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कॉन्सटेबल सुनीता यादव ने लेडी सिंघम बनकर पढ़ाया विधायक के बेटे को कानून का पाठ

जो काम कोई नहीं कर पाता उसे गुजरात के वराछा में अपनी ड्यूटी निभाते हुए एक महिला कांस्टेबल सुनीता यादव ने कर दिखाया।

जो काम कोई नहीं कर पाता उसे गुजरात के वराछा में अपनी ड्यूटी निभाते हुए एक महिला कांस्टेबल सुनीता यादव ने कर दिखाया। 

अक्सर हम “हमारे चाचा विधायक है, उठवा लेंगे” जैसे डायलॉग फिल्मों से लेकर हकीकत तक में सुनते आये हैं और जोक की तरह ले कर हमेशा नज़रअंदाज़ कर देतें हैं। और इसी से देश में नेताओं के बेटे अपनी मनमानी करते हैं। और सभी गलत वारदातों को अंज़ाम देतें हैं।

एक ऐसी ही घटना गुजरात के वराछा से सामने आयी लेकिन इसका अंत हमेशा की तरह नहीं हुआ। आखिरकार इसमें हमारे देश की लेडी सिंघम शामिल थी।

सुनीता यादव अपनी ड्यूटी और कानून व्यवस्था को लेकर डटी रही

वराछा में रात्रि कर्फ्यू के समय कॉन्स्टेबल सुनीता यादव अपनी ड्यूटी निभा रहीं थी। इसी दौरान कुछ युवक सवार एक कार आती है। जिसे कांस्टेबल ने पूछताछ के लिए रुकवाया और जिस में से किसी ने मास्क नहीं पहने थे। आगे पूछताछ में उन्हीं में एक युवक ने अपने दोस्त, प्रकाश कानाणी, स्वास्थ्य राज्य मंत्री के बेटे को फोन कर बुला लिया। और इसी के बाद कांस्टेबल सुनीता यादव और प्रकाश कानाणी में बहस शुरू हुई।

 

कांस्टेबल का कहना है कि वो अपने पिता की विधायक की नाम प्लेट लगाकर गाड़ी में घूम रहा था जो की क़ानूनी रूप से गलत से है। और उसके बाद प्रकाश कानाणी ने सुनीता यादव को धमकी दी की अभी अगर मैं चाहूँ तो तुम्हें 365 दिन यही खड़ा रख सकता हूँ। तुम्हारे जैसे कितने नेता रोज आते हैं और रोज चले जाते हैं। सत्ता की ताकत मत बता। इस पर कांस्टेबल सुनीता यादव कहती हैं कि तुम्हारी इतनी हिम्मत की हमें 365 दिन यहां खड़ा रख सको। क्या हम तुम्हारे गुलाम हैं।

सुनीता यादव ने गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री कुमार कानाणी से फ़ोन पर बात करी

उनकी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस वीडियो क्लिप से हम आसानी से एक ड्यूटी रहें पुलिस कर्मी की हालत का अंदाज़ा लगा सकते हैं। कांस्टेबल ने गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री कुमार कानाणी से फ़ोन पर बात करी और कानून का हवाला देते हुए अपनी बात निष्पक्षता से रखी।  सुनीता यादव कहती है कि अगर हम ड्यूटी पर आने में 10 मिनट भी लेट हो जाएं तो हम पर 2500 का ज़ुर्माना लगा दिया जाता है। और उसके बाद भी सीनियर से डांट पड़ती है वो अलग और आप नेता लोग तो 1 घंटा लेट हो जाये तो भी कुछ नहीं। तो अब आप मुझे प्रैक्टिकल होना सिखाएंगे।

मैं खाकी पहनती हूँ और इस वर्दी के साथ मुझे अधिकार है  

अगर तुम्हारे पास मुझे 365 दिन खड़ा रखने की औकात है तो मैं भी देखती हूँ। मैं खाकी पहनती हूँ और इस वर्दी के साथ मुझे अधिकार है कि मैं नरेंद्र मोदी को भी रोक सकती हूँ। अभी मेरे पास अधिकार नहीं है इसलिए जा रही हूँ।  हमारे साहब के ऊपर नेताओं का हाथ है इसलिए मुझे चुप होना पड़ रहा है। नहीं तो तुम सबका मैं हिसाब कर देती। थोड़ी सी पावर और होती तो तुम्हारी हड्डी तोड़ देती।

सुनीता यादव का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया

इन सभी के बाद सुनीता यादव ने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। और अभी सुनीता यादव छुट्टी पर चली गयी हैं और मामले की जाँच जारी है।

सुनीता यादव ने मीडियाकमिर्यों से कहा कि वह तब तक कुछ उजागर नहीं करेंगी, जब तक सरकारी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती है। अभी मेरा फोन टैप किया जा रहा है, इसलिए कोई भी जानकारी देने में मैं असमर्थ हूं। जल्द ही मीडिया के सामने वीडियो सामने रखूंगी और सबकी पोल खोल कर रख दूंगी।

स्वरा भास्कर ने कहा “जिसे प्रमोशन मिलना चाहिए, उसे इस्तीफा देना पड़ रहा है!”

इसे बॉलीवुड सेलिब्रिटी स्वरा भास्कर और तापसी पन्नू ने भी सपोर्ट किया। स्वरा भास्कर ने कहा ‘अपनी ड्यूटी अच्छे से करने के लिए उन्हें प्रमोशन मिलना चाहिए था मगर इसके बजाय फ्रस्ट्रेशन में उन्हें इस्तीफा देना पड़ रहा है। क्या इस देश में अपनी ड्यूटी करने वाले सरकारी कर्मचारी को ये इनाम मिलता है ?’

इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी सुनीता यादव की सराहना करी

इंडियन पुलिस फाउंडेशन ने भी सुनीता यादव की सराहना करते हुए कहा कि हर पुलिस अधिकारी भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेता है, बिना किसी डर या पक्षपात के कानून को सख्ती से लागू करने की भी शपथ लेता है। जब कोई पुलिसकर्मी गरिमा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है, तो यह उसके सुपरवायजर्स का कर्तव्य है कि वह उसके साथ खड़े रहे। ”

देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार और खत्म हो रहे प्रजातंत्र को बचाने के लिए हमें ऎसे ही जाबाज़ अफसरों की जरूरत है। जो बेबाक अपनी ड्यूटी निभाते हुए ऐसे विधायकों और उनके रिश्तेदारों को सबक सीखा सकें।

मूल चित्र: ट्विटर, सुनिता यादव

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Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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