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मीनाक्षी शर्मा कहती हैं, "मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है जहां बचपन से गीता पढ़ाई गयी, क्रिएटिव चीज़ों से मुझे हमेशा से बहुत लगाव था।"
मीनाक्षी शर्मा कहती हैं, “मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है जहां बचपन से गीता पढ़ाई गयी, क्रिएटिव चीज़ों से मुझे हमेशा से बहुत लगाव था।”
कहा जाता है कि किसी भी आर्गेनाईजेशन की सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान उसके कंज्यूमर्स का होता है। लेकिन हमारा मानना है कि उसमे योगदान देने वालों का भी उतना ही बड़ा हाथ होता है। हां अगर हम वीमंस वेब की बात करें तो हमारे रीडर्स की वजह से हम यहां तक पहुंचे हैं, लेकिन ये संभव हुआ है हमारे ऑथर्स की वजह से, जिन्होंने हमारे प्लेटफॉर्म के लिए समय निकाला और समय समय पर अपने विचार हमारे साथ साझा करे। उनका जितना शुक्रिया करें, उतना ही कम है।
अब एक सीरिज़ के ज़रिये हम हमारे रीडर्स यानि की आपको हमारे ऑथर्स से मिलवायेंगे। आखिर आपको भी पता होना चाहिए की कैसे वो अपनी पर्सनल लाइफ में से समय निकल कर अपने विचार हमारे साथ साझा करते हैं। इस सीरिज़ में हम अपने टॉप ऑथर्स से इंटरव्यू करेंगे और जानेंगे कि आखिर वो कौन हैं, क्या करते हैं और भी बहुत कुछ।
तो क्या आप अपने हिंदी टॉप ऑथर से मिलने के लिए तैयार हैं ? अगर हां, तो जुड़े रहिये हमारी इस खास सीरिज़ के साथ। हम जल्द ही सभी इंटरव्यू आपसे साझा करेंगे।
ये 6 – 7 सालों से मीडिया से जुडी हुई हैं। इन्होने कई न्यूज़ चैनल्स में काम किया है। और अभी पीआर फर्म में कार्यरत हैं। ये ज़्यादातर फिल्मों और फैशन से जुड़े लेख लिखती हैं, लेकिन इन्होंने सामाजिक मुद्दों के बारे में भी उतनी ही भावना से लिखा है।
हमारी फिल्मों इत्यादि की केटेगरी मिनाक्षी के कई लेखों से सुसज्जित है। इनके लेख अक्सर फीचर्ड लेख के कॉलम में प्रकाशित होते हैं। उम्मीद है आपने ज़रूर पढ़े होंगे और अगर नहीं पढ़े हैं तो आज ही पढ़े।
इसी सिलसिले में मीनाक्षी शर्मा से लिया गया इंटरव्यू आपसे साझा कर रहें हैं
मैं कई वर्षों से मीडिया से जुड़ी हुई हूँ, तो लेखन की शुरुवात तो मेरी वहीँ से हो गयी थी। लेकिन एक जॉब में अक्सर होता है की आपको जो दिया जाता है, वो लिखना पड़ता है और खासकर के आप न्यूज़ में तो आप अपना पर्सनल पॉइंट ऑफ़ व्यू नहीं रख सकते हैं। तो उस से मुझे कभी सेटिस्फैक्शन नहीं मिला। मुझे हमेशा लगता था की मेरे पास कुछ ऐसा होना चाहिए जिस से मैं अपने विचार रख सकूँ। इस वजह से मैं बहुत परेशान और फ़्रस्ट्रेट हो गयी। फिर मैंने ऑनलाइन सर्च करना शुरू किया और मुझे कुछ महीनों बाद मुझे विमेंस वेब के बारे में पता चला और मैंने लिखना शुरू किया। अब पिछले कुछ महीनों से मैं लगातार लिख रही हूँ।
मैं हर तरह के लेख लिखना पसंद करती हूँ। फिक्शनल कंटेंट भी मुझे उतना ही पसंद है जितना नॉन फिक्शनल। जो भी विषय अच्छा होता है और अगर मुझे लगता है की इस पर मुझे लिखना चाहिए तो मैं लिख देती हूँ।
जब मैं लिखती हूँ तो मुझे कोई डिस्टर्बेंस पसंद नहीं है। और अक्सर रात के समय ही शांत माहौल होता है। इसलिए रात को लिखना पसंद है लेकिन अगले दिन के बिज़ी शिड्यूल की वजह से हर रात देर तक नहीं कर सकते हैं। फिर भी मैं शाम के समय या रात में ही लिखना पसंद करती हूँ।
शुरुवात मैं जब मैंने लिखना शुरू किया था तब मुझे ज्यादा समय लगता था लेकिन जैसे जैसे मैंने लिखा तो समय कम लगने लगा। अब लगभग 2 घंटे में एक अच्छा आर्टिकल तैयार हो जाता है। और कई बार 1 घंटे में भी हो जाता है। हां लेकिन मुझे लगता है कम से कम 2 घंटे तो हमे एक आर्टिकल को देने ही चाहिए।
मेरी परवरिश एक ऐसे परिवार में हुई है जहां हमे बचपन से गीता पढ़ाई गयी है। इसके अलावा क्रिएटिव चीज़ों से मुझे हमेशा से बहुत लगाव था। मैं हमेशा स्टेज़ परफॉर्मेंस में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेती थी। लेकिन जैसे बड़ी हुई और खुद को बेहतर समझने लगी तो मुझे लगा की कुछ चीज़े ऐसी है जिन्हें मैं बोलने से ज्यादा लिख कर बेहतर समझा सकती हूँ। इसीलिए मैंने लिखना शुरू किया और इससे मैं खुद को और बेहतर समझने लगी।
अब मुझे दिन का कुछ समय अपने लिए चाहिए ही होता है जिसमे मुझे कोई डिस्टर्बेंस नहीं पसंद है। इसके अलावा मुझे लगता है की जब किसी भी आर्टिकल को लिखने से पहले हम जो रिसर्च करते हैं, उससे मुझे बहुत कुछ सिखने को मिलता है। इसीलिए लेखन मेरे लिए बहुत खास है।
मेरी फैमिली मेरे आर्टिकल्स पढ़ती है और नहीं पढ़ती तो मैं उन्हें ज़बरदस्ती पढ़वाती हूँ क्यूंकि मुझे लगता है जो कॉन्फिडेंस हमें फॅमिली और फ्रेंड्स दे सकते हैं, वो और कोई नहीं दे सकता है।
मेरी मम्मी ने हमेशा से मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा दी है। मेरे पापा को पढ़ना बहुत पसंद हैं तो वो मेरे आर्टिकल्स हमेशा से पढ़ते आये हैं और कहीं न कहीं आज ये उन्हीं की देन है। अभी मेरे इन-लॉज़ को पढ़ने का इतना शौक नहीं है लेकिन वे मेरे आर्टिकल्स पढ़ते ज़रूर पढ़ते हैं और मुझे उनसे पूरा सपोर्ट मिलता है। खासकर के मेरे हस्बैंड से। वो मुझे हमेशा मेरे लिए टाइम देते हैं। तो मैं कह सकती हूँ मुझे हर तरीके से सपोर्ट मिला है।
ये एक ऐसी फीलिंग है जिसे मैं शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती हूँ। मैं मीडिया में पिछले 6 – 7 सालों से काम कर रही हूँ। लेकिन मुझे कभी वो सटिस्फैक्शन नहीं मिला। लेकिन लिखने के बाद से मुझे लगने लगा की हाँ मैं समाज के लिए और खुद के लिए कुछ अच्छा कर रही हूँ। अगर हम हमारे समाज को देखे तो आज भी लड़कियों के लिए कई पांबंदियाँ हैं। और मुझे बचपन से इन सब चीज़ों से ऑब्जेक्शन रहा है।
धीरे धीरे मुझे लगने लगा कि अगर मैं खुद के लिए आवाज उठा सकती हूँ तो दूसरों के लिए क्यों नहीं। उसके लिए मुझे लिखना ही सबसे बेहतरीन माध्यम लगता है। इसीलिए इस आज मुझे एक सटिस्फैक्शन मिलता है की हाँ मैं कुछ कर रही हूँ। साथ ही मेरे अंदर पहले से ज्यादा कॉन्फिडेंस आगे है और मैं अब ज्यादा अच्छे से अपने आप को एक्सप्रेस करने लगी हूँ।
मैं मीडिया में जुडी हुई हूँ तो लिखती तो हमेशा से आयी हूँ। तो लोगो को लगता था की लिखना कौन सी बड़ी बात है। लेकिन अब जब से मैंने विमेंस वेब पर लिखना शुरू किया है तो लोगो को लगता है की हाँ मैं कुछ अलग कर रही हूँ। तो लोगो का मेरे प्रति जो नज़रिया बदला है वो मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है। अब वो लोग मुझे मोटीवेट करने लगे हैं। मेरी सराहना करने लगे हैं जिससे मेरा सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़ा है। यही सब मेरे लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है।
राइटिंग के अलावा संगीत एक ऐसी चीज़ है जिससे मैं सबसे ज्यादा पसंद करती हूँ। मैंने संगीत में प्रभाकर किया हुआ है। लेकिन बड़े होने के साथ वो कहीं पीछे छूट गया। लेकिन अब मैं उसे दुबारा से शुरू करना चाहती हूँ।
मैं इंट्रोवर्ट हूँ, तो मुझे लगता है की इंट्रोवर्ट हमेशा अपने आप को एक्सप्रेस करने के लिए क्रिएटिव चीज़ों का सहारा लेते है। इसीलिए मुझे सभी क्रिएटिव चीज़ों से जुड़े रहना अच्छा लगता है। पेंटिंग, डांस ज्यादा खास है। इसके अलावा मूवीज, वेब सीरीज देखना मेरा सबसे पसंदीदा काम है।
विमेंस वेब मेरे लिए दो चीज़ों की वजह से सबसे ज्यादा खास है –
पहला इस प्लेटफॉर्म ने मुझे वो मौका दिया जिसे मैं बहुत समय से ढूंढ रही थी। और दूसरी चीज़ है विमेंस वेब हिंदी की टीम। मुझे लगता है कि मैं इतना अच्छा नहीं लिखती हूँ। लेकिन इस प्लेटफॉर्म ने और उन्होंने हमेशा मुझे बहुत मोटीवेट करा है और मेरे हर काम को सराहा है।
इस पूरी जर्नी में सबसे बड़ा योगदान हिंदी एडिटर प्रगति अधिकारी का ही है। उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे इस जर्नी में आगे बढ़ाया है। उन्होंने मुझे किताब लिखने के लिए भी प्रेरित किया है। मुझे लगता है जब आपके मेंटर सपोर्टिव होते हैं तो आपकी जर्नी आसान हो जाती है। ये प्लेटफॉर्म मेरे लिए बहुत मायने रखता है क्यूंकी इसने मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाया है।
तो ये थी मीनाक्षी शर्मा से हमारी एक छोटी सी बातचीत। अपने आप को बडिंग राइटर मानने वाली मीनाक्षी शर्मा का कहना है कि हमें बस अपना कर्म करते रहना चाहिए, फल की चिंता ऊपर वाले पर छोड़ देनी चाहिए।
मूल चित्र : मिनाक्षी शर्मा की एल्बम
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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