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मेरा अभिमान है मेरी बेटी, तो क्या हुआ अगर उसने ख़ुद अपना जीवनसाथी चुना है, उसने मुझसे ही तो सीखा है, इंसान की परख करना।
मेरा अभिमान है, मेरी बेटी, तो क्या हुआ, अगर उसने अपने खेलने के लिए, गुड़िया नहीं फुटबॉल को चुना है, उसे अपने लिए क्या पसंद है, वह स्वतंत्र है ख़ुद अपने लिए फैसले लेने के लिए।
मेरा अभिमान है, मेरी बेटी, तो क्या हुआ, अगर उसने ख़ुद, अपना जीवनसाथी चुना है, उसने मुझसे ही तो सीखा है, इंसान की परख करना।
मुझे गर्व है, मेरी बेटी जैसी उन लाखों बेटियों पर, जो अपने लिए ख़ुद फैसले लेती हैं, और मैं गर्व करना चाहता हूं, ऐसे समाज पर, जो ऐसी सभी बेटियों का, सम्मान करे।
मूल चित्र : Canva
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