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जिन्होंने देखा है अपनी मांओं को, सबसे आखिर में थाली लगाते, वे जानती हैं, चादर के आकार और पैरों को पसारने के बीच,सामंजस्य बैठाना, क्या अहमियत रखता है!
जिन्होंने देखा है अपनी मांओं कोपापा की पुरानी कमीज़ों सेब्लाऊज़ सिल कर पहनते,वे जानती हैं तनख्वाह कीएक एक पाई जोड़कर रखना,क्या अहमियत रखता है!
जिन्होंने देखा है अपनी मांओं कोसब्जी-भाजी का मोल भाव करते,मुट्ठी में बंधे पैसों को मन ही मन गिनते,वे जानती हैं,डायरी में हिसाब जोड़ते वक्त आएदस रुपए का फर्क ढूंढ पानाक्या अहमियत रखता है!
जिन्होंने देखा है अपनी मांओं को,सबसे आखिर में थाली लगाते,बच्चों की छोड़ी तरकारी चाव से खाते,वे जानती हैं, चादर के आकारऔर पैरों को पसारने के बीचसामंजस्य बैठानाक्या अहमियत रखता है!
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