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समिधा नवीन वर्मा: अगर हम अपने लिए आवाज़ उठाएंगे तभी समाज हमारी सुनेगा

समिधा नवीन वर्मा का मानना है कि हर महिला को अपनी आवाज रखनी चाहिए, बात करने से ही बात बनती है, हम अपने लिए आवाज़ उठाएंगे तभी समाज हमारी सुनेगा। 

समिधा नवीन वर्मा का मानना है कि हर महिला को अपनी आवाज़ रखनी चाहिए, बात करने से ही बात बनती है, हम अपने लिए आवाज़ उठाएंगे तभी समाज हमारी सुनेगा। 

जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम अपने चुनिंदा टॉप ऑथर्स को, हिंदी टॉप ऑथर सीरीज़ के ज़रिये, आपसे मिलवाने ला रहे हैं, तो क्या आज आप अपने अगले फेवरेट ऑथर से मिलने के लिए तैयार हैं?

हमारे टॉप ऑथर्स की इस सीरीज़ में मिलिए हमारे अगले टॉप ऑथर समिधा नवीन वर्मा से

समिधा नवीन वर्मा: अपनी फेमिनिस्ट कविताओं के ज़रिये हम सब का दिल मोह लिया है

समिधा नवीन वर्मा एक प्रोफेशनल ट्रांसलेटर हैं। इन्होंने ऑटोकेड और कंप्यूटर (Autocad and Computer) कोर्स किया है और 3 वर्षों तक कॉन्वेन्ट स्कूल में कम्प्यूटर विषय की शिक्षा भी दी है। किन्तु ये अपनी भावनाओं को कविता या लेखों के माध्यम से हिन्दी भाषा में व्यक्त करना ज्यादा पसंद है। समिधा जी ने अपनी फेमिनिस्ट कविताओं के ज़रिये हम सब का दिल मोह लिया है। इनके लेख अक्सर फीचर्ड लेख के कॉलम में प्रकाशित होते हैं। उम्मीद है आपने ज़रूर पढ़े होंगे और अगर नहीं पढ़े हैं तो आज ही पढ़े।

इसी सिलसिले में इनसे लिया गया इंटरव्यू आपसे साझा कर रहें हैं

आपने लेखन की शुरुवात कब से करी और आपको पहली बार कब महसूस हुआ की आपको लिखना है?

मुझे बचपन से लिखने का शौक था। लेकिन उस समय में इस तरह के प्लेटफॉर्म नहीं हुआ करते थे। इसीलिए बस कभी कभार फैमिली गेट-टुगेदर में सुना दिया करती थी। उसके बाद कुछ राइटिंग क्लब जॉइन किये। लेकिन हमेशा से लिमिटेड लोगो तक ही मेरी बात पहुंच पाती। फिर इंटरनेट ब्लॉगिंग शुरू हुई और इसने ब्लॉगर्स को एक नई पहचान दे दी। और मैंने भी इसी के ज़रिये एक प्रोफ़ेशनल राइटिंग का काम शुरू किया।

आप किस शैली में लिखना पसंद करती हैं?

मैं अक्सर मेरे आस पास जो चल रहा होता है, उससे बहुत ज्यादा प्रभावित होती हूँ और वही आगे चलकर मेरी कवितायों का हिस्सा बनते हैं।

आप किस समय पर लिखना ज्यादा पसंद करती हैं? क्या कोई फिक्स शिड्यूल फॉलो करती हैं?

जब मेरे मन में कुछ चल रहा होता है तो उसे मैं चाहकर भी बाहर नहीं निकाल पाती। तो बस ऐसा लगता है पेन पेपर उठाऊं और उसे लिख डालूं। जब भी मैं ऐसा कुछ देखती हूँ, जिसे देखकर लगता है कि हां इस पर मुझे अपने विचार व्यक्त करने हैं तो मैं लिखने लग जाती हूँ।  फिर चाहे दिन हो या रात। तो कोई फिक्स शिड्यूल नहीं है।

सामान्य तौर पर आपको एक लेख लिखने में कितना समय लगता है?

मैं ज्यादा बड़े-बड़े लेख नहीं लिखती हूँ। मेरी कविताएं और आर्टिकल्स दोनों ही सिमित शब्दों के होते हैं। कई बार मुझे एक लेख को समाप्त करने में 4 से 5 दिन भी लग जाते हैं। और अगर एक पूरा स्ट्रक्चर मुझे पता रहता है तो वो ज़्यादा से ज़्यादा 4-5 घंटों में पूरा हो जाता है। तो ये डिपेंड करता है कि मैं क्या लिख रही हूँ।

आप लेखन से किस तरीके से अपने आप से जुड़ाव महसूस करती हैं? क्या आपके लिए ये मी टाइम की तरह है?

जो मैं लिखती हूँ वो अक्सर मेरे मन में चल रहा होता है। और अगर मैं उसे लिख कर व्यक्त कर देती हूँ, तो मुझे बहुत सुकून मिलता है। इससे मुझे खास फर्क नहीं पढ़ता कि रीडर्स क्या कहेंगे या  उनकी सोच मेरी सोच से मिलती है या नहीं। लेकिन मुझे लिख कर बहुत अच्छा लगता है। इससे मैंने अपने अंदर बहुत से बदलाव महसूस किये हैं।

रीडर्स में क्या आपके फैमिली और फ्रेंड्स भी शामिल हैं? वो आपको किस तरीके से सपोर्ट करते हैं?

मेरी पूरी फैमिली मुझे बहुत सपोर्ट करती हैं। मेरे मम्मी पापा ने मेरी पहली कविता से लेकर आज तक मुझे सपोर्ट किया है।  मेरे हस्बैंड बहुत सपोर्टिव हैं, वो अक्सर मुझे लिखने के लिए नए-नए टॉपिक्स बताते रहतें हैं। मेरे दोनों बच्चे भी मेरी हर तरह से मदद करते हैं। वो मुझे मोटीवेट करते हैं और हमेशा कहते हैं कि मम्मा आप और अच्छा लिख सकती हैं। मेरी पूरी फैमिली की वजह से ही आज मेैं यहां तक पहुंच पाई हूँ। वही लोग मेरी इंस्पिरेशन हैं और वही लोग मेरी हर कदम पर सराहना करते हैं।

आप अपने फ़र्स्ट ब्लॉग से लेकर अब तक की जर्नी को कैसे देखती हैं? आपको इस मुकाम पर पहुंच कर कैसा लगता है?

बचपन में जब मैंने मेरी पहली कविता लिखी थी तब शायद वो उतनी अच्छी नहीं थी। लेकिन फिर भी मेरे पैरेंट्स ने उसकी बहुत सराहना की। और वहीं से मेरे अंदर कॉन्फिडेंस आया कि हां मैं बेहतर लिख सकती हूँ। और आज जब देखती हूँ तो लगता है, हाँ मैंने हर दिन नया सीखा है और अभी बहुत कुछ सीखना बाकि है।

इसके साथ ही मुझे कोट्स लिखने का भी बहुत शौक है। मैं पिछले 3 – 4 साल से हर दिन सुबह अपने फैमिली व्हाट्सएप्प ग्रुप पर या दोस्तों को अपने बनाये हुए कोट्स भेजती हूँ। और अगर किसी दिन भेजने में देर हो जाये तो उन लोगों के मेरे पास मैसेज और फ़ोन आने शुरू हो जाते हैं। तो ये सब देख कर मुझे लगता है कि हाँ लोगो को मेरा काम पसंद आ रहा है। लोग मेरे लेख का इंतज़ार कर रहे हैं। मुझे इस बात की बहुत ख़ुशी है कि मेरी आवाज़ डायरी तक सिमित न रहकर इतने लोगो तक पहुंच रही है।

आप लेखन के क्षेत्र में अपनी अचीवमेंट्स को किस प्रकार देखती हैं?

जब रीडर्स मुझे फीडबैक देते हैं और उस से मैं अपने आप में सुधार लाती हूँ, तो वही मेरे लिए सबसे बढ़ा अचीवमेंट है। अगर आप हर दिन कुछ नया सिख रहे हो, तो मुझे नहीं लगता उससे बढ़ी कोई अचीवमेंट होती है। साथ ही अगर मुझे किसी से भी अप्प्रेसिएशन मिलता है तो वो मुझे बहुत अच्छा लगता है।

राइटिंग के अलावा समिधा नवीन वर्मा के और क्या शौक हैं?

मेरे घर में हमेशा से ही क्रिएटिव माहौल रहा है। इसीलिए मुझे भी हर क्रिएटिव चीज़ को सिखने का बहुत शौक है। सिलाई, बुनाई भी मुझे बेहद पसंद हैं। इसके अलावा रीडिंग भी मेरी पसंदीदा चीज़ों में से एक है। कुकिंग करना भी मुझे बहुत अच्छा लगता है। मैंने कुकिंग से रिलेटेड भी कई आर्टिकल्स लिखे हैं। तो जब भी मुझे कुछ नया देखने को मिलता है तो मैं उसे सिखने की ज़रूर कोशिश करती हूँ।

विमेंस वेब समिधा नवीन वर्मा के लिए किस तरह से अलग है ?

विमेंस वेब ने मेरे व्यूज़ को डायरी और व्हाट्सएप्प से बढ़कर एक प्लेटफॉर्म दिया है। मुझे आज तक का ये सबसे बढ़ा प्लेटफॉर्म मिला है जिस के माध्यम से मैं अनगिनत लोगो तक मेरे लेख पहुँचा पायी हूँ। विमेंस वेब ने मुझे मेरी पहचान दी। इसके अलावा मैं इसके एडिटर प्रगति अधिकारी की भी आभारी हूँ जो हमारे लेख को इतने बेहतरीन तरिके से प्रजेंट करते हैं। इस सशक्त प्लेटफॉर्म ने मुझे मेरी बहुत बड़ी अचीवमेंट दी है।

तो ये थी समिधा जी से एक छोटी से मुलाकात जिसके ज़रिये आप और हम उनसे मिले। समिधा जी का मानना है कि हर महिला को अपनी आवाज़ रखनी चाहिए। बात करने से ही आखिरकार बात बनती है। अगर हम अपने लिए आवाज़ उठाएंगे तभी समाज में हमारी लोग सुनेंगे।

नोट : जुड़े रहिये हमारी टॉप ऑथर्स की इस खास सीरिज़ के साथ। हम जल्द ही सभी इंटरव्यू आपसे साझा करेंगे।

मूल चित्र : समिधा की एल्बम

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Shagun Mangal

A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...

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