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किसी दिन तुम पिंजरे में से केले के लिए, हाथ बढ़ाओ! और कोई बंदर तुम्हें, उसमें छिपाकर पटाखा दे जाए, तो?
सोचो! किसी दिन, कोई पंछी तुम्हें, दाना समझकर चुगने लगे, तो?
किसी दिन, कोई मामूली हवा का झोंका, तुम्हें तिनके की तरह, उड़ा कर ले जाए, तो?
किसी दिन सर्कस के रिंग में तुम्हें, शेर के कहने पर, उठक-बैठक करनी पड़े, तो?
किसी दिन कोई पेड़ आकर, तुम्हें बीच में से काट डालें, तो?
किसी दिन समंदर में तुम आक्सीजन ढूंढते तैर रहे हो, और मछलियाँ, तुम्हें जाल में फंसा कर, बाहर निकाल लें, तो?
किसी दिन तुम पिंजरे में से केले के लिए हाथ बढ़ाओ! और कोई बंदर तुम्हें, उसमें छिपाकर पटाखा दे जाए, तो?
किसी दिन इंसान की तलाश में, ईश्वर धरती पर आए और तुम्हारी करतूतों का टैस्ट कराकर, ‘इंसानियत नैगेटिव ‘ रिपोर्ट दे जाए, तो ?
मूल चित्र: Canva
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