कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
सुजाता गुप्ता का मानना हैं कि किसी लेखक या एक पेंटर की आत्मा को अपने काम से जो ख़ुशी मिलती है, उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम अपने चुनिंदा टॉप ऑथर्स को, हिंदी टॉप ऑथर सीरीज़ के ज़रिये, आपसे मिलवाने ला रहे हैं, तो क्या आज आप अपने अगले फेवरेट ऑथर से मिलने के लिए तैयार हैं?
आइये मिलवाते है आपको एक ऐसी दृढ़ महिला से जो अपने जीवन के हर मोड़ पर नया सिखने की चाह रखती हैं। ये हैं सुजाता गुप्ता यानि कि सुज्ञाता । अपने जीवन के 22 वर्ष अध्यापन के क्षेत्र में देते हुए इन्होने हिंदी में कई बच्चों को महारत बनाया है। लेकिन इनका मानना हैं कि इन्हें अभी बहुत कुछ सीखना है। सुजाता गुप्ता ने कई मुद्दों पर अपनी आवाज़ लेखों के ज़रिये बुलंद की है।
सुजाता गुप्ता के लेख अक्सर फीचर्ड लेख के कॉलम में प्रकाशित होते हैं। और इनकी कवियाएँ सबसे लोकप्रिय हैं। उम्मीद है आपने इनके लेख ज़रूर पढ़े होंगे और अगर नहीं पढ़े हैं तो आज ही पढ़ें।
मेरे 22 वर्ष के टीचिंग करियर ने मुझे लिखने की सौगात दी। एक टीचर को पढ़ाने के साथ साथ और भी काम करने होते है। मैंने बच्चों की एक्टिविटी बुक्स के लिए स्टोरी एडिटिंग करी, बहुत सी कविताएं लिखी। जब भी स्कूल में कोई फ़ंक्शन या एक्टिविटी होती तो उसकी स्क्रिप्टिंग का काम मैं ही किया करती थी। तो वहां सभी को मेरा काम बहुत पसंद आता था और मुझे मोटीवेट करते थे।
वहीं से लिखने की शुरुवात हुई। फिर उसके बाद मुझे लगने लगा की अब इस जॉब से मुझे कुछ नया नहीं मिल रहा है, तो मैंने वो छोड़ दिया। उसके बाद से मैंने कुछ ट्रांसलेशन वगैरह किया। फिर मैं विमेंस वेब से जुड़ी और पिछले 2 – 3 सालों से लगातार लिख रही हूँ।
मैं अक्सर अपने आस पास जो हो रहा है, मेरे जो अनुभव रहे हैं, उन पर कविताएं और आर्टिकल्स लिखती हूँ। इसके साथ ही समाज में जो चल रहा होता है, उस पर भी अपने विचार साझा करना पसंद करती हूँ। मेरा मानना है की जो मैंने जो एक्सपीरियंस किया है, वो मैं सभी के साथ साझा करूँ।
मुझे लगता है लिखना एक ऐसी कला है, जो समय की पाबंद नहीं है। आपके मन में विचार कभी भी आ सकते हैं। और फिर चाहें वो दिन हो या रात, आपको लिखना ही पड़ता है। तो जनरली जब भी मेरे मन में विचार आते हैं तो मैं उन्हें नोट कर लेती हूँ या ऑडियो फॉर्मेट में सेव कर लेती हूँ। मैं लिखने के लिए कोई शिड्यूल फॉलो नहीं कर सकती हूं।
अगर मैं कविता लिखती हूँ तो उस में समय नहीं लगता है। कई बार तो वो चंद मिनटों में तैयार हो जाती है। लेकिन अगर कोई आर्टिकल लिखती हूँ, जिस में आंकड़ों से अपनी बात रखती हूँ तो उस में वक़्त लग जाता है। कई बार 2 से 3 दिन भी लग जाते हैं।
लेखन को मैं समय नहीं देती हूँ, ये खुद मुझ से समय ले लेता है। मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी तब होती है जब मैं देखती हूँ की मेरा लेख पब्लिश हुआ है। वो लोगो तक पहुंच रहा है। उससे मुझे बहुत कॉन्फिडेंस मिलता है। इसलिए लेखन मेरे लिए एक बच्चे के समान है जिसे समय देना अच्छा लगता है।
मुझे नहीं लगता कि इंडिया में रचनात्मक क्षेत्र में किसी लेखक या एक पेंटर को अच्छी इनकम मिलती होगी। लेकिन उसकी आत्मा को जो ख़ुशी मिलती है, उसकी कोई कीमत नहीं लगा सकता। वो एक अलग ही अनुभव होता है।
एक वक़्त था जब मुझे अपनी आवाज़ से भी नफरत हो गयी थी, मैं बहुत कठोर हो गयी थी। लेकिन जब से लेखन कार्य मेरी जिंदगी से जुड़ा, मैंने अपने अंदर कई बदलाव देखे। इसने मुझसे एक बार फिर से वही बना दिया जो मैं थी। मेरे लिए ये एक अलग ही दुनिया है, जहां मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी मिलती है।
मुझे शुरुवात में खुद पर विश्वास नहीं था कि मैं कर पाऊँगी। मैंने कभी किसी को नहीं बताया था कि मैं इस तरह से ब्लॉग लिख रही हूँ। फिर मैं लिखती गयी, तो मुझे विश्वास हुआ कि हां मैं लिख सकती हूँ। उसके बाद मैंने अपनी कवितायें अपने हस्बैंड को सुनाई, पेरेंट्स को सुनाई। तो धीरे धीरे ये लोग रूचि लेने लगे।
उसके बाद फैमिली व्हाट्सएप्प ग्रुप पर मेरी लिखी कवितायें शेयर हुई, वो भी मेरे नाम के बिना या सुज्ञाता के नाम से। तो मेरे हस्बैंड ने बताया की ये सुजाता की लिखी हुई है, तब जाकर धीरे धीरे फैमिली में, फ्रेंड्स को पता चला की हां मैं लिखती हूँ। उसके बाद मुझे बहुत अच्छा रिस्पांस मिला। अब मेरे बच्चे भी इसमें दिलचस्पी लेने लगे हैं और मुझे हर तरीके से सपोर्ट करते हैं।
मेरी जर्नी वाक़ई अच्छी रही। लेकिन अगर आज मैं पीछे मुड़कर कर देखती हूँ तो मुझे लगता है हां मैं और बेहतर कर सकती थी। मुझे बहुत ख़ामियाँ नज़र आती है। आज मैं जब भी अपने पुराने ब्लॉग देखती हूँ तो उन में बहुत से सुधार करती हूँ।
मुझे लगता है ये एक निरंतर प्रयास है, जिसमें हर दिन आप नया सीखते हैं। आप ये नहीं कह सकते कि हां मैं टॉप पर आ गयी हूँ। मैंने अपनी जर्नी से हर दिन सिखने की कोशिश करी है। हाँ और ये एक ऐसी चीज़ है जिसे ने मुझे एक नई दुनिया दी जहां मैंने सब कुछ अपने लिए शुरू से शुरु किया। मुझे बहुत ख़ुशी होती है कि मैंने इसे ज़ारी रखा और खुद के लिए कुछ करा।
मेरी सबसे बड़ी अचीवमेंट है जब मेरे पाठकों ने मेरे द्वारा लिखे हुए आर्टिकल्स को एक पुस्तक का रूप देने को कहा। तो फिलहाल मैं एक बुक लिख रहीं हूँ, जो लगभग पूरी हो चुकी है। यह फ़िल्मी गीतों के रिव्यू हैं। अलग अलग भाषाओं के तकरीबन 25 – 30 गाने मैंने इसमें शामिल किये है। तो मेरा मानना है की एक लेखक के लिए यही सबसे बड़ी होती है जब उसके पाठक उसे इस तरह का प्यार दें।
इसके अलावा मेरे लिए सबसे गर्व का क्षण था जब कमला भसीन जी ने भी मेरे लेख को शेयर करते हुए लिखा वैरी पावरफुल वर्ड्स … और उसमें मेरा क्रेडिट नहीं था। उसके बाद विमेंस वेब हिंदी के एडिटर प्रगति अधिकारी जी ने वहां मेंशन किया कि ये सुजाता गुप्ता जी की रचना है। वो मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। प्रगति जी के उस एक कमेंट ने मुझे मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार दे दिया। उसी दिन मुझे लगा कि शायद मुझे मेरा सर्टिफिकेट मिल गया है। ये सभी मूमेंट्स मेरे लिए किसी भी अचीवमेंट से बढ़ कर हैं।
मुझे कुकिंग और डांसिंग का बहुत शौक है। मैंने कोरिओग्राफी भी करी है। इसके अलावा मुझे इवेंट्स के लिए स्क्रिप्टिंग करना और एक तरीके से पूरा इवेंट कोर्डिनेट करना बेहद पसंद है। और अभी फ़िलहाल तो लिखना ही मेरा फेवरेट है।
विमेंस वेब मेरे लिए बहुत खास है। ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसने मुझे कॉन्फिडेंस दिया। जब भी मैं पढ़ती हूँ की आपका लेख प्रकाशित किया गया है, उस समय जो महसूस होता है न उसकी कोई तुलना नहीं है। मेरे पास लेखन की कोई डिग्री नहीं है लेकिन मैं गर्व के साथ कह सकती हूँ की विमेंस वेब एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिसने मुझे डिग्री दी। इसने मुझे सर्टिफाय किया है कि हाँ मैं लिख सकती हूँ। मैं दिल से इस प्लेटफॉर्म को सम्मान करती हूँ।
तो ये थी सुजाता गुप्ता से हमारी खास बातचीत। जिस में हम ने उन्हें थोड़ा जानने की कोशिश करी। ये एक ऐसी महिला हैं जिन्होंने अपने जीवन के 22 वर्ष हिंदी को दिए। इन्होंने अनगिनत बच्चों को हिंदी सिखाई। लेकिन आज भी इनका मानना है कि ये हर दिन सीख रहीं हैं। शायद ऐसे ही लेखकों की हमें ज़रूरत है, जो निरंतर सीखने की चाह रखते हैं।
नोट : जुड़े रहिये हमारी टॉप ऑथर्स की इस खास सीरिज़ के साथ। हम ज़ल्द ही सभी इंटरव्यू आपसे साझा करेंगे।
मूल चित्र : सुजाता की एल्बम
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
Please enter your email address