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लोकतंत्र है, तो कुछ लोग इस फैसले के विरोध में भी अवश्य होंगे! और दुःख की बात है कि ऐसे लोग बड़ी आसानी से मिल गए, इसी ट्विटर पोस्ट के कमेंट बॉक्स में!
रोज़ ऐसा नहीं होता कि हम समाचारपत्र पढ़ें और वाह कर उठें! हजारों नकारात्मक समाचारों में कुछेक सकारात्मक खबरें, सचमुच हमारे दिन को भी सकारात्मक बना जाती हैं। सोचिए कि अगर ऐसी खबरें, हमें इतना सुकून दे रही है, तो जिनसे ये संबंधित हैं, उनकी तो पूरी जिंदगी सकारात्मक रूप से बदलने की क्षमता रखती ही होंगी! अर्थात् अमृत तुल्य!
ऐसी ही खबर इसी सप्ताह पढ़ने को मिली जब @PTI NEWS के सौजन्य से पता चला कि अब ट्रांस्जेंडर कम्यूनिटी के लोग भी ‘महत्वकांक्षी, भारतीय सेना के मुकाबले से संबंधित केन्द्रीय अर्धसैनिक बल’ में UPSC की परीक्षा पास कर, शामिल हो पाएंगे!
Transgenders can soon aspire to lead combat troops in central paramilitary forces as govt is mulling allowing them take annual UPSC exam for recruitment as officers in these forces: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) July 2, 2020
और सरकार की यह भी कोशिश है कि इस समुदाय की ऐसे प्रतिभाओं को अफसर रैंक के पद पर सुशोभित होने का मौका भी मिले! अर्थात वे इन उच्च पदों के लिए बिना किसी हिचकचाहट के अब आवेदन कर पाएंगे! और देश की सम्मानीय प्रतियोगिता परीक्षा UPSC में बैठ गर्व के अहसास से अपनी आत्मा को पुष्ट कर अपने परिवार, समाज, देश का गौरव बन पाएंगे!
जाहिर है लोकतंत्र है, तो कुछ लोग इस फैसले के विरोध में भी अवश्य होंगे! और दुःख की बात है कि ऐसे लोग बड़ी आसानी से मिल भी गए, वो भी इसी ट्विटर पोस्ट के कमेंट बॉक्स में! जिनको पढ़ कर एक विश्वास और पक्का हो गया कि पढ़े-लिखे होने से समझदार, नैतिक होने का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं क्योंकि उन लोगों के विचार इस कदम पर फब्तियाँ कसते से प्रतीत हुए जो कि किसी को भी हतोत्साहित कर सकते हैं।
परन्तु जिनकी मंजिल उस व्योम के छोर पर बंधी हो वो इन मेंढ़कों के टर्र-टर्र को महत्व कैसे दे सकते हैं? उनके अंतर्मन में गूंजने वाले विजय स्वर के गीत इन आवाजों को अवश्य दबा ही देगें।
माना कि अपने ही समाज के लोगों से यह युद्ध आसान नहीं, परन्तु असंभव भी नहीं! क्योंकि इसके प्रेरणास्रोत जैसे कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी जी, मानबी बंधोपाध्याय जी इसी समुदाय से संबंधित वो महान विभूतियाँ हैं, जो अपने संतप्त बचपन की दुख भरी यादों को उन्हीं गलियों में छोड़ आगे बढ़ते गए। और ऐसा पक्का राह बना दिया कि उनके जैसे आत्मग्लानि को बाध्य करने वाले इस अहसास से गुजरना ना पड़े।
तो भारतीय सेना, भारतीय सरकार के इस फैसले का हृदय से स्वागत है, जिन्होंने इस सुनहरे फैसले द्वारा लोकतंत्र की सच्ची मर्यादा को महत्व दिया है। समानता के मौलिक सिद्धांत को तरजीह दी है। इस कदम ने हमारे समाज के अभिन्न अंग ,इस समुदाय के व्यक्तित्व के फीते पर आत्मविश्वास के मेडल टाँक दिए हैं।
हमें पूरा विश्वास है कि इस पारी को भी अच्छा खेलते हुए ,विजय प्राप्त कर वे दुनिया को बता देंगे कि शौर्य, बहादुरी, देशभक्ति, देशप्रेम! ये सब कुछ लोगों की जागीर नहीं, इस पर इनका भी अधिकार है। और यह भी उम्मीद करते हैं कि जब इस समुदाय के लोग अर्द्ध सैनिक बल में शामिल हों तो उनके सामान्य साथी इन्हें अपनी ही मानव जाति के समझ कर दिल से उनका स्वागत करें, न कि ऐसा व्यवहार जैसा कि एम.के.गिरी उर्फ शैबी, जो भारतीय नेवी के पूर्वी कमांड में सात वर्ष पहले भुगतना पड़ा या पुलिस अफसर के.प्रीथिका याशनी जी को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के दौरान सहना पड़ा।
हमें उम्मीद है, जैसे दूसरे उच्च स्तरीय पदों पर जैसे कि बंगाल की जज आदरणीया ज्योति मोंदल जी, वकील आदरणीया सत्यार्थी शर्मीला जी, ने लंबे संघर्ष के बाद इन पदों पर सुशोभित हो अपना अपने समुदाय और हमारे समाज का नाम रौशन किया है, उसी तरह अब ट्रास्जेंडर कम्युनिटी की प्रतिभाएँ इन सर्वोच्च पदों पर सुशोभित हो देश का गौरव अवश्य बढ़ाएंगी! और इस सकारात्मक कदम से समाज के सामान्य लोग अपनी रूढ़ीवादी सोच के जाल से बाहर निकल इस समुदाय पर प्रश्न नहीं उठाएंगे।
जब ये फौजी बन शौर्य से सुसज्जित वर्दी पहन देश की सड़कों से गुज़रें तो हम दिल से इन्हें सैल्यूट कर सकें। चाहे कि इन लोगों को हमारे ही समाज के कुछ असामान्य लोगों का रक्षण प्राप्त नहीं हुआ परन्तु अब ये आपके और अपने देश के निस्वार्थ रक्षण से अपनी विशिष्टता सिद्ध कर अवश्य उन असामान्य लोगों को भी नतमस्तक कर देंगे।
मूल चित्र : Canva
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