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इससे पहले कि, प्रेम रीत जाए! इसे दिल में उतार कर, बचा लो रिश्ता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, अहसास मर जाए! इसे कागज पर उतार कर, बचा लो कविता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, इंसानियत गिर जाए! इसे दिल में उतार कर, बचा लो मानवता! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, सूरज डूब जाए! इसे अंधकार में उतार कर, बचा लो रौशनी! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, बचपन रूठ जाए! इसे मुस्कुराहट में उतार कर, बचा लो मासूमियत! कि वक्त बीत रहा है!
इससे पहले कि, तुम मर जाओ! इस ‘मैं’ को खत्म कर, बचा लो परम आत्मा! कि वक्त बीत रहा है!
मूल चित्र: Canva
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