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अंशु सक्सेना कहती हैं कि जहां हम एक तरफ समानता की बात करते हैं वह दूसरी तरफ हमारे ग्रामीण महिलाओं को अपने मूल्य अधिकारों के बारे ही जानकारी नहीं है।
जैसा कि आप सब जानते हैं कि हम आपको अपने कुछ चुनिंदा टॉप ऑथर्स को हिंदी टॉप ऑथर सीरीज़ के ज़रिये मिलवाने ला रहे हैं, तो क्या आज आप अपने अगले फेवरेट ऑथर से मिलने के लिए तैयार हैं?
हमारे टॉप ऑथर्स की इस सीरीज़ में मिलिए हमारी अगले टॉप ऑथर अंशु सक्सेना से :
अंशु सक्सेना एक लेखिका एवं समाजसेवी हैं। इन्होंने रसायनशास्त्र में MSc किया है और कई वर्षों तक अध्यापन कार्य किया। साथ ही ये ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के उज्ज्वलता और बेहतर भविष्य के लिए लगातार काम कर रहीं हैं। अपनी अनुभूतियों को कविताओं, कहानियों एवं लेखों के माध्यम से व्यक्त करना अंशु सक्सेना को अत्यन्त प्रिय है।
अंशु सक्सेना के लेख अक्सर फीचर्ड लेख के कॉलम में प्रकाशित होते हैं। उम्मीद है आपने ज़रूर पढ़े होंगे और अगर नहीं पढ़े हैं तो आज ही पढ़े।
मैंने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी और उसके लिए मुझे पुरस्कार मिला तो उसके बाद मेरा हौसला बढ़ता गया और तभी से मेरे लिखने का सिलसिला चल पड़ा। स्कूल से लेकर कॉलेज तक, मैं हर तरह के लेखन से संबंधित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी। उसी बीच कुछ अखबारों और मैगज़ीन में भी मेरे लेख छपे। उसके बाद मेरी शादी हुई तो मेरी कलम में एक ब्रेक लग गया। लेकिन पिछले 6 – 7 सालों से लेखन का कारवाँ एक बार फिर से चल पड़ा है और अब मैं कई प्लेटफॉर्म के लिए लिख रहीं हूँ।
मैं फिक्शनल लिखना ज्यादा पसंद करती हूँ। मेरे आस पास के परिवेश के मुद्दों पर ही मैं लिखती हूँ। कविताएं लिखने में मुझे शुरू से ही दिलचस्पी रही है और अभी 3 – 4 सालों से कहानियाँ भी लिख रही हूँ। अब मैं कई नई विधाएँ सीख रही हूँ और धीरे धीरे मेरा आत्मविश्वास बढ़ रहा है।
कोई फिक्स शिड्यूल तो फॉलो नहीं कर पाती हूँ। हां लेकिन रात में लिखना ज़्यादा पसंद करती हूँ क्योंकि उस समय थोड़ी शांति हो जाती है।
कविताएं तो बहुत जल्दी लिख लेती हूँ। मेरी 5 से 10 मिनट में एक कविता पूरी हो जाती है। हाँ, लेकिन कहानियों में मुझे वक़्त लगता है। अगर छोटी कहानी है तो आधे घंटे में पूरी हो जाती है लेकिन अगर कोई लंबी कहानी है जैसे मेरी कई कहानियां 3000 शब्दों से ऊपर की हैं तो उन्हें लिखने में लगभग 2 से 3 घंटे का समय लगता है।
लिखने से मुझे आत्म संतुष्टि मिलती है। मन में नकारात्मक विचार भी नहीं आते हैं। मेरे मन में जो भी विचार आते हैं, मैं उन्हें कागज़ पर उतार कर बहुत अच्छा महसूस करती हूँ। अब लेखन मेरी रोज़मर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।
मैं अपने लेख सबसे पहले अपने परिवार को पढ़ाती हूँ। सोशल मीडिया पर जो भी लोग मेरे लेख पढ़ना पसंद करते हैं वो तो पढ़ते ही हैं। और शायद लोगों को मेरा लिखा हुआ पसंद आता है तभी मैं आज तक लिख पा रही हूँ। मुझे लगता है बिना फैमिली सपोर्ट के हर काम अधूरा है। मेरे बच्चे और हस्बैंड मुझे बहुत मोटीवेट करते हैं। कई बार जब मैं लिख रही होती हूँ तो वो लोग मुझे डिस्टर्ब भी नहीं करते हैं। और अब मेरे दोनों बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं तो मुझे अब अपने लिए ज़्यादा समय मिलने लगा है। अब मैं कह सकती हूँ कि मैं अपनी ज़िंदगी पूरी तरह से जी रही हूँ।
मैंने अब तक कई सीढ़ियां चढ़ी है लेकिन अभी मंज़िल बहुत दूर है। हर दिन कुछ नया सीखना है। लिखने से मुझे टीचर और सोशल वर्कर के अलावा लेखक के रूप में एक नई पहचान मिली है जो मुझे मेन्टल सेटिस्फैक्शन, सुकून और साथ में बहुत आत्म विश्वास देती है। मुझे लिखना बहुत अच्छा लगता है और मेरी यही कोशिश रहती है की इसमें और ज्यादा समय दे पाऊं और अपने लिए ऊंचाइयां छू पाऊं।
लेखन से मेरे अंदर आत्म विश्वास आया है। मैं अपने आप को सही मायने में पहचान पायी हूँ। मुझे अब लगता है कि हां मैं लिख सकती हूँ, मैं अभी भी बहुत कुछ कर सकती हूँ। मेरे अंदर पॉजिटिविटी आयी है और यही सब सबसे बड़े अचीवमेंट्स हैं।
इन सबके अलावा मेरे 3 साझा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। उसमें से दो कहानियों के हैं और 1 कविता की है। और इन्हीं में एक डिजिटल बुक ‘ऑनलाइन वुमनिया’ है। इस बुक को 32 वीमेन ऑथर्स ने मिलकर लिखी है और हमारी बुक को इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। मुझे मॉम्सप्रेस्सो से साहित्य सम्मान पुरस्कार मिला है। इसके अलावा एक अन्य प्लेटफार्म से कला सम्मान का पुरुस्कार मिल चुका है। मेरी सोसाइटी से भी मुझे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। इन सबके अलावा मेरी खुद की कहानियों और कविताओं की पुस्तक पर काम चल रहा है जो उम्मीद है जल्द ही पूरा होगा।
मुझे यात्रा करने के बहुत शौक है। नई नयी जगह के एक्सपीरियंस लेना चाहती हूँ। हर पल ज़िंदगी जीना चाहती हूँ। मैं हमेशा पॉजिटिव रहने की कोशिश करती हूँ। मुझे लोगो के साथ मिलना, बातें करना बहुत अच्छा लगता है। और इन्हीं सब शौक के चलते मैं हमेशा खुश रहती हूँ। मेरी ज़िंदगी का यही उद्देश्य है की मुझे कॉन्फिडेंस और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ते जाना है।
विमेंस वेब महिलाओं के लिए बहुत अच्छा काम कर रहा है। ये हर तरह से महिलाओं के मुद्दों को सामने लाते हैं। विमेंस वेब महिलाओं के ओवरऑल डवलपमेंट के लिए काम करता है। महिलाओं का आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए यह सबसे बेहतरीन प्लेटफॉर्म में से एक है क्योंकि इस पर हर तरह के विषयों पर लेख मिलते हैं।
तो ये थी अंशु सक्सेना के साथ एक छोटी सी मुलाकात। इनका कहना है कि आज भी हमारे ग्रामीण महिलाओं की स्थिति बहुत नाज़ुक है। जहां हम एक तरफ समानता की बात करते हैं वह दूसरी तरफ उन्हें अपने मूल्य अधिकारों के बारे ही जानकारी नहीं है। अभी महिलाओं के समानता की मंज़िल बहुत दूर है। वाकई इन्होंने एकदम सही कहा और हमें उम्मीद है आप से प्रेरणा लेकर कई महिलाएं अपने लिए, अपने आस पास की महिलाओं के लिए आवाज़ उठाएंगी।
विमेंस वेब की तरफ से शुक्रिया : और इसी के साथ हमने इस सीरीज़ का आखिरी इंटरव्यू आपके साथ साझा किया है लेकिन ये सिलसिला अभी ख़त्म नहीं बल्कि शुरू हुआ है। हमे पूरी उम्मीद है इस लिस्ट में अभी कई नाम जुड़ने हैं। आप और हम मिलकर ऐसे ही हमारे ऑथर्स का हौसला बढ़ाते रहेंगे। क्योंकि अगर चंद शब्दों में हम उनका शुक्रिया करें तो वो जायज़ नहीं होगा। और विमेंस वेब की तरफ से इस सीरीज़ में शामिल सभी ऑथर्स को एक बार फिर तहे दिल से शुक्रिया। हम शुक्रगुज़ार है कि आपने वक़्त निकला और हमारे साथ बात करी। इस में हमने आप सभी से बहुत कुछ सीखा और जाना। यह वाकई बहुत प्रेरणास्पद रहा।
साथ ही हमारे रीडर्स और उन तमाम ऑथर्स का भी आभार जिन्होंने अपने लेख हमारे साथ साझा किये। बस आप यूँ ही हमारे साथ जुड़े रहिये और ये कारवाँ यूँ ही आगे बढ़ता रहेगा।
मूल चित्र : अंशु की एल्बम
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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