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क्यूं मैं कहलाती हूं नारीवादी, जब मैं मांगती हूं आज़ादी, एक आधी सी आबादी की, कहने को तो आधी आबादी है वह, पर आज़ाद तो अब भी नहीं है वह।
क्यूं मैं कहलाती हूं नारीवादी, जब मैं मांगती हूं आज़ादी, आज़ादी; एक आधी सी आबादी की, उस आबादी की, जिसकी तरफ उंगलियां उठा दी जाती हैं; हर बार, बार – बार, उस आबादी की, जिसके लिए तय किए जाते हैं; मापदंड, पारंपरिक परिधान ही पहनने के, अच्छी बेटी, अच्छी बहन बनने के, और जब बारी आए अपने सपनों की आहुति देने की, तो सभी नज़रें उठ जाती हैं, उसकी ही तरफ, क्यूं मैं कहलाती हूं नारीवादी, जब मैं मांगती हूं आज़ादी, एक आधी सी आबादी की, कहने को तो आधी आबादी है वह, पर आज़ाद तो अब भी नहीं है वह, तो अगर कहलाती हूं मैं, नारीवादी, तो हां! हूं मैं नारीवादी, और हर वह पुरुष भी है नारीवादी, जो चाहता है, इस आधी आबादी, की सही मायने में आज़ादी।
मूल चित्र : Canva Pro
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