कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
विमेंस वेब ने पॉज फॉर पर्सपेक्टिव की संस्थापक और क्लिनिकल साइकॉलॉजिस्ट, आरती सेल्वन से बात करी और जाना हम सब कैसे मेंटल स्ट्रेस का सामना कर सकते हैं।
जब से कोरोना ने दुनिया जकड़ी हुई है तब से मैं, आप और हम सभी किसी न किसी मेंटल स्ट्रेस से ख़ुद को जकड़े हुए हैं। कई लोग इसे हल्के में ले रहें हैं तो कई लोगों के लिए ये बहुत गंभीर होता जा रहा है। इसके उदाहरण देने की शायद ज़रूरत नहीं है कि मेंटल स्ट्रेस यानि मानसिक तनाव किस हद तक एक इंसान को मजबूर कर सकता है। इससे लड़ने के लिए हम में से कई लोगों ने किसी का सहारा लिया तो कई लोगों ने अकेले ही इससे लड़ने का सोचा। लेकिन कहीं न कहीं अब ये दौर मुश्किल होता जा रहा है।
इसी लिए विमेंस वेब ने मेंटल हेल्थ प्रोफ़ेशनल, क्लिनिकल साइकॉलॉजिस्ट, आरती सेल्वन से बात करी और जाना हम सब कैसे मेंटल स्ट्रेस का सामना कर सकते हैं। आरती ने अपना बैचलर्स, मास्टर्स और एम फिल साइकॉलॉजी में किया है। आरती सेल्वन, पॉज फॉर पर्सपेक्टिव ( मेंटल हेल्थ सेंटर ) की फाउंडर हैं। पॉज फॉर पर्सपेक्टिव में करीब 20 थेरेपिस्ट मिलकर काम कर रहें हैं जिसमें नरेटिव थेरेपी, माइंडफुलनेस थेरेपी, कॉग्निटिव थेरेपी आदि थेरेपीज़ इस्तेमाल करी जाती है। इंडिविजुअल कॉउंसलिंग, मैरिज कॉउंसलिंग, फैमिली कॉउंसलिंग, ग्रुप कॉउंसलिंग आदि सभी तरह की कॉउंसलिंग के लिए आप इनकी मदद ले सकते हैं।
ये पेन्डेमिक एक ऐसी सिचुएशन है जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। फिर इसकी वजह से लॉक डाउन हो गया और इंडिया में तो लॉक डाउन एक दिन पहले अनाउंस हुआ था। तो यूं अचानक से स्कूल, कॉलेज, ऑफिस सब बंद हो गए। ये सबको ब्रेक तो मिला लेकिन एक पेनफुल ब्रेक। अगर देखा जाए तो सबसे ज्यादा स्ट्रेस इस समय औरतों के लिए है क्योंकि बच्चों से लेकर बड़े तक सब घर पर है तो उनके लिए दोगुना काम हो गया है।
लेकिन इन सबसे बड़ा है वायरस का डर और वायरस के साथ आया सोशल स्टिग्मा। जिन्हें कोविड पॉजिटिव है, लोग उनसे बात भी नहीं कर रहें तो ये सभी मिलकर बहुत बड़े मेंटल स्ट्रेस का रूप ले रहें हैं। और इसमें सबसे ज्यादा जो प्रभावित हो रहें हैं वो है माइनॉरिटी। अब चाहे वो जेंडर माइनॉरिटी हो या रिलिजियन माइनॉरिटी या सेक्सुअल माइनॉरिटी और यही सब मिलकर बहुत बड़ा मेंटल स्ट्रेस बन गए हैं।
इस पेन्डेमिक से पहले मेंटल हेल्थ को लेकर भी एक स्टिग्मा था। अगर कोई कहता था तो उसे अक्सर लोग कहकर टाल देते थे कि ऐसा कुछ नहीं होता है। और अब पेन्डेमिक की वजह से सब लोग स्ट्रेस्ड हैं। इसमें डॉक्टर , प्रोफ़ेशनल, आम जनता सब शामिल है। अब ऐसा लगता है कि पता नहीं ये पेंडेमिक स्ट्रेस की वजह से या कोविड की वजह से। कुछ कह नहीं सकते हैं।
आप हमेशा ध्यान रखें कि स्ट्रेस का आपकी बॉडी के साथ को -रिलेशन है। स्ट्रेस ज्यादा होगा तो इम्युनिटी कमजोर होगी और उससे वायरस से ज्यादा खतरा है। और लोगों को अब तो ये लगता है की ये स्ट्रेस्ड लाइफ न्यू नार्मल है और वो इसी के साथ आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन आपको बता दूं ऐसा नही है, बल्कि इस वजह से आप के अंदर स्ट्रेस और बढ़ रहा है जो कहीं न कहीं पूरी लाइफस्टाइल को अफेक्ट कर रहा है।
इन सबसे निबटने के लिए मैं यही कहूंगी कि बात करना बहुत ज़रूरी है। एक दूसरे को सपोर्ट करना बहुत ज़रूरी है। जैसे अगर किसी को कोविड है तो ज़रूरी नहीं आप उनके साथ रहकर ही बात करें। अब हमें कम्युनिटी ऑफ़ केयर बनानी है। जिसमे सब एक दूसरे से शेयर और केयर करें और फिर मदद करें। अक्सर हम देखते हैं की घरों में औरतें ही सबसे ज्यादा काम करती हैं। और सबसे अंत में सबसे ज्यादा स्ट्रेस्ड भी वही हो जाती हैं। तो वो स्ट्रेस कम करने के लिए तो घर में सबके साथ बात करना ज़रूरी है ना कि कैसे सब मिलकर काम करें। इसीलिए शेयर करना मेन्टल स्ट्रेस से लड़ने के लिए सबसे पहला स्टेप होता है।
इसके लिए दो चीज़ें बहुत ज़रूरी है वो है काइंडनेस (दयालुता) और कम्पैशन ( सहानुभूति ) और उसके बाद आती है अकॉउंटेबिलिटी (जिम्मेदारी) और इन सबके साथ होती है केयर ( देख-भाल)। अब केयर हम दुसरों की सुनकर सबसे बेहतरीन तरीक़े से कर सकते हैं। इसके अलावा उस इंसान के लिए छोटी छोटी चीज़ें करना भी केयर है। तो सामने वाले को केयर शो करना भी बहुत जरूरी है। ताकि वो हमारे साथ कम्फर्ट फील करें क्योंकि तब ही हम उनकी मदद कर सकते हैं।।
जैसे मैंने कहा कि ये डिसाइड करना बहुत मुश्किल हो गया है कि ये वायरस का पेंडेमिक है या स्ट्रेस का, क्यूंकि अभी स्ट्रेस इतना बढ़ चुका है कि उसकी वजह से कोविड का खतरा और हो गया है। तो जैसे हम कोविड के लिए डॉक्टर के पास जा रहें हैं तो स्ट्रेस के लिए साइकोलोजिस्ट के पास क्यों नहीं जा रहे हैं? यह बिलकुल आपकी हेल्थ के लिए डॉक्टर के पास जाने जैसा ही है। क्यूंकि माइंड का भी हमारी बॉडी के साथ बहुत गहरा रिश्ता है। तो मैं ये कहूंगी की जैसे आप अपनी बाकि बॉडी प्रॉब्लम के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं वैसे ही इसके लिए भी जाएँ।
मैं ज़्यादातर सबसे पहले साइको थेरेपिस्ट के पास जाने के लिए रेकमंड करती हूँ। साइको थेरेपिस्ट वो होते हैं जिनके पास क्लिनिकल साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री क्वालिफिकेशन या एम फिल डिग्री क्वालिफिकेशन होती है। तो अगर आप साइको थेरेपिस्ट के पास जायेंगे तो वो बात करके जान सकते हैं कि वो आपकी मदद कर सकते हैं या नहीं। अगर नहीं, तो फिर वो आपको आगे रेकमंड करते हैं।
यह कहना मुश्किल है। लेकिन इसके हम पॉज़िटिव आस्पेक्ट्स देखें तो पूरी फैमिली साथ है। आप अपनी फैमिली के साथ वक़्त बिताऐं। शाम में सब साथ बैठकर कुछ खेल सकते हैं। आपस में बात करें। और दूसरी सबसे बड़ी चीज़ की सब एक दूसरे की मदद करें। पूरे घर की ज़िम्मेदारी एक व्यक्ति के ऊपर ही नहीं डालें। और वो एक व्यक्ति अक्सर घर की औरतें ही होती हैं। तो अगर एक ही व्यक्ति काम करेगा तो बहुत स्ट्रेस हो जाता है। तो सभी फैमिली मेंबर्स मिलकर काम करें।
यह बहुत मुश्किल वक़्त है ख़ासकर के उन युवाओं के लिए जिनका करियर अभी शुरू ही होने वाला था। अब जॉब्स नहीं मिल रही हैं तो बहुत से लोग यही सोचते हैं कि ये उनमें किसी कमी की वजह से नहीं मिल रही है। लेकिन सबको ये समझना होगा कि हम अभी ऐसे दौर में है जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था। और ये स्थिति कुछ समय के लिए है, अभी ज़िंदगी पूरी बाकि है। और बस आप ये सोचें की इस सिचुएशन में कैसे अपना बेस्ट कर सकते हैं जिससे आपका स्किल डवलपमेंट हो। आप स्किल डवलपमेंट ट्रेनिंग कर सकते हैं या सोशल मीडिया की मदद से अपने स्किल दिखा सकते हैं जिससे आपको ख़ुशी मिले। तो बस ऐसे ही छोटी छोटी चीज़ें जो आपको ख़ुशी दें, वो करें और सही वक़्त का इंतज़ार करें।
सोशल मीडिया ब्रेक बहुत ज़रूरी है। लेकिन हम हमेशा तो नहीं कर सकते हैं। इसीलिए मैं यही सुझाव दूँगी की आप अपने अकॉर्डिंग उसको कंज्यूम करें। जहां एक तरफ सोशल मीडिया पर बहुत सारा नेगेटिव कंटेंट है वैसे ही पॉजिटिव कंटेंट भी है। तो जो आपको पॉज़िटिव लगे वही आप फॉलो करें। और यकीन मानिये, पॉजिटिव कंटेंट स्ट्रेस कम करने में बहुत हद तक मदद करता है।
जैसे हम सेक्सिज़्म, पेट्रीआर्की, रेसिज़्म बोलते हैं वैसे ही अबलिज़्म है जिसमें लोग सोचते हैं कि जैसे हम हैं, बस वही नार्मल है और सबको ऐसे ही रहना चाहिए। लेकिन हमारी दुनिया बहुत बड़ी है और उसमे बहुत तरह के लोग रहते हैं। हमें सबकी रेस्पेक्ट करनी है, अगर वो किसी डिसेबिलिटी के साथ रह रहें हैं तो भी। और जो लोग दूसरों पर कमेंट करतें हैं वो समझते नहीं हैं। खासकर के जो लोग सोसाइटी के इन्फ्लुएंसर्स हैं उनके लिए खुद को शिक्षित करना बहुत ज़रूरी है और फिर सबकी रेस्पेक्ट करना और उन्हें समझना भी उतना ज़रूरी है।
क्लिनिकल साइकॉलॉजिस्ट आरती सेल्वन कहती हैं, “स्ट्रेस लेवल अब बहुत बढ़ गया है। पहले भी वही प्रॉब्लम्स थीं और वही स्ट्रेस था लेकिन अब ये और बढ़े हुए हैं और उस वजह से उनसे लड़ने की क्षमता कम हो गयी है। तो लोग अभी भी वही इश्यूज़ के साथ आते हैं लेकिन अब वो ज़्यादा दर्द के साथ आते हैं क्योंकि अब लाइफ पूरी तरह से चेंज हो गयी है।”
सबसे पहले तो आप प्रजेंट मोमेंट में जीना सीखें। जो अभी कर रहें हैं उसमे ख़ुशी ढूंढें। आने वाले पल की या बीते हुए पल के बारे में नहीं सोचें। उसके अलावा जो भी आपके करीबी हैं अब चाहे वो दोस्त हो या परिवार उनसे कनेक्ट रहें। उनसे बात करते रहें। और अपने सोशल मीडिया को पोजिटिवली कंज्यूम करें और नेगेटिव कंटेंट से दूरी बनाये रखें। इन सबसे हम बहुत हद तक खुद को खुश रख सकते हैं।
आरती कहती हैं कि इंडिया में सुसाइड केसेस में अक्सर देखते हैं कि उसने कैसे करा, गलत किया या सही किया और कौन उसमें शामिल है। ये नहीं देखते कि ऐसा क्या सिस्टम है जिस वजह से इंसान ने सुसाइड जैसा कदम उठाया और हम अब कैसे उस सिस्टम को बदल सकते हैं। हमें पॉज़िटिव अप्रोच की ज़रूरत है।
तो क्यों न ये बदलाव अपने आप से शुरू करे और किसी भी व्यक्ति पर टिप्पणी करने से पहले सोचें?
कहते हैं ना अगर आप मानसिक रूप से मज़बूत हैं तो किसी भी परेशानी का सामना कर सकते हैं। तो फिर क्यों मानसिक बीमारी को अनदेखा करते हैं? यकीन मानिये, अगर आप मेन्टल स्ट्रेस से गुज़र रहे हैं तो आप खुश नहीं है और अपनी ख़ुशी के लिए तो आप कम से कम ख़ुद की मदद कर सकते है ना? तो जाइये और अपनों से बात करिये और मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल की मदद लें। हमें उम्मीद है ये सभी सुझाव आप अपने जीवन में अपने लिए ज़रूर अपनाएंगे और हमेशा याद रखें कि ये वक़्त भी गुज़र जायेगा।
आप क्लिनिकल साइकॉलोजिस्ट, आरती सेल्वन से यहां संपर्क कर सकते हैं :
Email: [email protected]
Phone: 9490708947, 8106864001, 7032562301
Address: 6/3/1219/7/B Uma Nagar, Begumpet, St. No. 6, St. Francis Degree College, Hyderabad 500016
मूल चित्र : Aarathi Selvan, Pause For Perspective
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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