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एक ही पल में अचानक, बदली दी तूने दुनिया! लेकिन इस कोरोना काल में, बंद नहीं हुआ!
ऐ कोरोना! तूने क्या किया?
एक ही पल में अचानक
बदली दी तूने दुनिया!
तेरे ही कारण देश-व्यापी लॉकडाउन हुआ।
तेरे ही कारण अर्थ-व्यवस्था घुटनों पर आई।
तेरे ही कारण लाखों मजदूरों ने किया पलायन।
तेरे ही कारण महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा।
तेरे ही कारण गरीब किसानों ने खुदखुशी की!
तेरे ही कारण खुली विकास की पोल।
तेरे की कारण मंदिर-मस्जिद से
लेकर देवालयों पर लगा ताला।
तेरे ही कारण बंद हुए बाजार।
तेरे ही कारण बंद हुए रोजगार।
तेरे ही कारण बंद हुए व्यापार।
तेरे ही कारण बंद हुई सीमाएं।
तेरे ही कारण बंद हुए उत्पाद।
तेरे ही कारण छिन गया,
दुध-मुंहे बच्चों के सर से माँ-बाप का साया।
न जाने कितनी माँ-बहनों के माँगों के सिन्दूर।
ग्रामीणों के रोजगार!
लेकिन इस कोरोना काल में, बंद नहीं हुआ!
जातीय अत्याचार! जातीय अत्याचार!
लोकतांत्रिक जनांदोलनों पर, दमन और शोषण की है भरमार!
सब व्याकुल हैं इस कोरोना से, कब तक मिलेगा छुटकारा!
मूल चित्र: Canva
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