कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
अब किस बात की सिलवटों में, रातों की नींद गायब है। वो जो चुभा था में तुमको, मेरे जाने की चुभन तो होती होगी।
मैने कभी सोचा नहीं था,
उड़ान भरने की क़ीमत भी होती होगी।
रातों को जग कर जो सपने देखे,
उन्हें देख कर दुनिया सोती होगी।
मैने कब मांगा था तुमसे,
कुछ जरा सा भी हिस्सा तुम्हारा,
किस बात से तुमको यूं खलिष होती होगी।
लो फिर मैं यूं चला गया,
पर अब भी तो आजाद हूं मैं,
अब भी तो तुममें जीता हूँ।
अब किस बात की सिलवटों में,
रातों की नींद गायब है।
वो जो चुभा था में तुमको,
मेरे जाने की चुभन तो होती होगी।
मूल चित्र : Pexels
read more...
Please enter your email address