कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

एक दिन तो अपने लिए भी जिया जाए…

आज मैं भी कोई बर्तन उछाल देती हूँ, चलो! आज मैं ही हुक्का संभाल लेती हूँ। हफ़्ते का एक दिन तो अपने नाम करूँ, अपनी ख़ुशी से अपने लिए कोई काम करूँ।

आज मैं भी कोई बर्तन उछाल देती हूँ, चलो! आज मैं ही हुक्का संभाल लेती हूँ। हफ़्ते का एक दिन तो अपने नाम करूँ, अपनी ख़ुशी से अपने लिए कोई काम करूँ।

एक दिन तो ऐसा हो जिसमें कोई ज्वाला न हो,

आज ऐसा सोचती हूँ दिल में कोई छाला न हो।

आज आटे में सने हुए हाथ न हों,

झाग में डूबे कपड़ों की बारात न हो।

आज बटुए की निगरानी न हो,

मेरे बाहर जाने से किसी को परेशानी न हो।

आज तवे पर रोटियों की कोई सेक न हो,

आज चेहरे पर खिलती हुई हँसी फेक न हो।

आज झाड़ू पोंछे की छुट्टी कर दूँ,

दिल पर रखे पत्थर को आज खुशी से मिट्टी कर दूं।

आज मैं भी कोई बर्तन उछाल देती हूँ,

चलो! आज मैं ही हुक्का संभाल लेती हूँ।

आज मैं जींस और कुर्ते में अपना लुक देखूं,

आज कुछ अपनों का आउटलुक देखूं।

हफ़्ते का एक दिन तो अपने नाम करूँ,

अपनी ख़ुशी से अपने लिए कोई काम करूँ।

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

96 Posts | 1,403,554 Views
All Categories