कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

ज़िंदगी से इक लम्हा चुराना चाहती हूं…

कभी सिर्फ अपने लिए भी, दिल में दबे अरमान पूरे करना चाहती हूं। नाते रिश्तेदार गर रूठ भी गए कोई गम नहीं, रूठे ज़मीर को मनाना है, सिर्फ अपने लिए !!

कभी सिर्फ अपने लिए भी, दिल में दबे अरमान पूरे करना चाहती हूं। नाते रिश्तेदार गर रूठ भी गए कोई गम नहीं, रूठे ज़मीर को मनाना है, सिर्फ अपने लिए !!

ज़िंदगी से इक लम्हा चुराना चाहती हूं…

कभी सिर्फ अपने लिए भी,

बढ़ती उम्र में से इक दिन जीना चाहती हूं।

कभी सिर्फ अपने लिए भी,

दिल में दबे अरमान पूरे करना चाहती हूं।

कभी सिर्फ अपने भी,

सांसें भले फूल जाएं दौड़ना चाहती हूं।

कभी अपने लिए भी,

मंज़िल भले मिले न मिले पर कोशिश करना चाहती हूं।

सिर्फ अपने लिए…

नाते रिश्तेदार गर रूठ भी गए कोई गम नहीं,

रूठे ज़मीर को मनाना है,

सिर्फ अपने लिए !!

मूल चित्र : Pexels

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

2 Posts | 4,323 Views
All Categories