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गरिमा अरोड़ा जी कहता हैं, "हम औरतों की सामाजिक कर्मभूमि को ही आर्थिक कर्मभूमि बना देना चाहिए ताकि उनको चुनाव की समस्या न हो!"
गरिमा अरोड़ा कहती हैं, “हम औरतों की सामाजिक कर्मभूमि को ही, आर्थिक कर्मभूमि बना देना चाहिए ताकि उनको चुनाव की समस्या न हो!”
आज शेफ का अर्थ, खाना बनाने वाले बावर्ची से संबंधित न होकर, एक ऐसे कलाकार के समान है, जो प्लेट में भोजन नहीं, अपितु अपनी ‘सर्वोत्तम कलाकृति’ प्रस्तुत करता है। तथा उस व्यंजन की तह में सिमटी सुगंध, सरसता, स्वाद आपकी आत्मा तक पहुंच, आपको आत्म आह्लादित कर देती है।
अगर शेफ में ‘भारतीय महिला शेफ’ की बात करें, तो हमें हर तरह की पाक कला में माहिर ‘भारतीय महिला शेफ’ मिल जाएंगे। जिन्होंने ना केवल देश अपितु विदेश में भी अपनी प्रतिभा से शेफ के वास्तविक अर्थ सर्वोत्तम कलाकृति के शाहकार के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
आज हम बात करने जा रहे हैं, प्रसिद्ध, प्रतिष्ठित, अंतर्राष्ट्रीय ‘मिशेलिन सम्मान’ से सम्मानित ‘प्रथम भारतीय महिला शेफ गरिमा अरोड़ा की। जो ‘थाई पाक कला’ की विशेषज्ञ हैं। और थाई व्यंजनों के बारे में जो जानते हैं, तो उन्हें पता होगा कि ये व्यंजन खुशबू से भरपूर, थोड़े से तीखे, ना बहुत पकाए हुए, ना कच्चे, रंग-रूप में सम्पूर्णता लिए, मगर सादे होते हैं और औषधीय गुणों से भी युक्त होते हैं।
ऐसी विशिष्ट पाक कला में माहिर गरिमा अरोड़ा मानती हैं कि, “खाना बनाना एक कला न होकर, लोगों के साथ संवाद करने के समान है।”
गरिमा अरोड़ा को नवंबर 2018 में, बैंकॉक में स्थित, उनके अपने तीन मंजिला शानदार होटल ‘Gaa’ के उच्च स्तरीय पाक कला की विशेषताओं के लिए ‘अंतरराष्ट्रीय मिशेलिन सम्मान’ से सम्मानित किया गया। फिर इनके होटल ने, मार्च 2019 को, “एशिया के प्रथम 50 होटलों की सूची” में तथा जून 2019 को, “संसार के प्रथम 50 होटलों की सूची में” शामिल होने का सम्मान कमाया। और स्वयं गरिमा अरोड़ा जी फरवरी 2019 में, “संसार के प्रथम 50 दक्ष बावर्चियों की सूची” में अपना नाम लिखवाने में सफल हुईं।
मुम्बई में पली-बढ़ी गरिमा अरोड़ा, पंजाबी परिवार से हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वे पहले पत्रकार बनना चाहती थीं और इसी लिए 2008 में फ्रांस में स्नातक शिक्षा के लिए चली गईं । जब सिंगापुर में पत्रकारिता के लिए उन्हें जाना पड़ा तो वहीं से आकर, एक दिन इन्होंने अपने समस्त परिवार को अपने हाथों से व्यंजन बना कर खिलाए। वो शाम उनके दिल में ऐसी बसी कि फिर पत्रकारिता को छोड़ उन्होंने ‘भोजन के जरिए लोगों से मुलाकात’ करने को अपना भविष्य बना लिया।तब उन्होंने बिलकुल नहीं सोचा था कि उनका अपना होटल होगा! और वो भी इतना सफल कि बैंकॉक के बाकी होटलों को बंद करवा दे।ऐसा नहीं कि उन्होंने पहले कभी खाना नहीं बनाया था अपितु अपने पिता को रसोई में खाना बनाते हुए देखना और उनसे सीखना, ये सब उनकी दिनचर्या में शुमार था। अर्थात् पिता ही उनकी प्रेरणा हैं। और जब उन्हें मिशेलिन सम्मान मिला तो उन्होंने सबसे पहले, अपने पिता को ही फोन किया था।
उनकी पाक कला की बात करें तो वे भारतीय हैं तो भारतीय संस्कारों से युक्त परंपरागत तकनीक से अपने व्यंजन बनाती हैं और थाईलैंड में कार्य करती हैं तो वहां के स्थानीय खाद्य सामग्री का प्रयोग कर अपने अतिथियों या ग्राहकों को लाजवाब कहने पर मजबूर कर देती हैं । यहां तक की जब संसार के प्रथम 50 होटलों में उनके होटल के नाम को शामिल करने के आयोजन में इस आयोजन की डिप्टी डायरेक्टर ‘लॉरा प्राइस’ ने इनके हाथों के व्यंजन का आनंद लिया तो उन्होंने कहा, “हर व्यंजन के पीछे भारत की शताब्दियों से परंपरागत तकनीक है, जो पूरे एशिया की विशेषताओं को लिए थाईलैंड से जुड़ जाती हैं। और ये सब भारतीय परंपरा का कमाल है!”
गरिमा अरोड़ा खुद कहती हैं कि हम अतिथि या ग्राहक की प्लेट में व्यंजन के जरिए, उसकी समस्त इंद्रियों को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं । वे अपने व्यंजनों में ‘कटहल’ का प्रयोग करती हैं जो भारत में कच्चे रूप में परन्तु थाईलैंड में पके रूप में खाया जाता है। और गरिमा जब वहां के स्थानीय लोगों को, उनका स्थानीय कटहल पका कर परोसती हैं तो वे वाह-वाह कर उठते हैं। एक बार जब वे अपनी माँ को अपने होटल में खाना खिलाने ले गईं तो उनकी माँ ‘गोभी ब्रेड’ खाकर जैसे आत्मविभोर हो गईं और पता करने पर हैरान हो गईं कि ये ब्रेड गरिमा ने भारतीय ‘गोभी परांठे’ से प्रभावित होकर बनाई है।
उनके कुछ लाजवाब व्यंजन के यूट्यूब लिंक
ये नाम, प्रसिद्धि गरिमा ने अपनी अथक मेहनत और लगन से कमाई है, और वह भी पुरुषों के वर्चस्व में सेंध लगा कर! क्योंकि विश्व में पुरुष शेफ के मुकाबले केवल 5% महिला शेफ का योगदान है। और मिशेलिन सम्मान पाने में भी महिला शेफ की औसत सहभागिता 50 में से केवल 4 ही है। इन परिस्थितियों से स्पष्ट है कि पुरुषों के वर्चस्व में गरिमा अरोड़ा को कितनी मेहनत और संघर्ष करना पड़ा होगा! या आम महिला शेफ को करना पड़ता है।
वैसे गरिमा का मानना है कि उन्हें इस मुकाम तक पहुँचने के रास्ते में उनके सहयोगी पुरुष शेफ का सहयोग ही मिला है। उन्होंने पैरिस में नामी ‘गोर्डन रामसे’, ‘रेने रेड्जपी’ तथा बैंकॉक में ‘आनंद गग्गन’ के साथ काम करने का मौका मिला। और फिर इन्होंने बैंकॉक में अपना तीन मंजिला होटल ‘Gaa’ खोल लिया।
सफल महिला शेफ गरिमा अरोड़ा का मानना है, “औरतें मर्दों से अलग हैं तो हमारा पुरुषों से बराबरी का या प्रतियोगिता का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। हम अपनी बहुमूल्य शक्ति क्यों नष्ट करें। बस समाज को चाहिए कि वे अपने समाज के इस अभिन्न अंग को उसका कार्यक्षेत्र और साधन अवश्य दें!’
सचमुच अगर ऐसा हो तो सब औरतें फिर देखें क्या कमाल करती हैं!
गरिमा का कहना है, ” हम महिलाओं को परिवार और व्यवसाय में से एक का चुनाव करना पड़ता है। दोनों में सफलता बहुत कम महिलाओं के नसीब में होती है। क्योंकि हम औरतों की आर्थिक कर्मभूमि और सामाजिक कर्मभूमि में अंतर रखा गया है। जिसमें हमें चुनाव करना पड़ता है। और यह चुनाव का प्रश्न पुरुष के सामने नहीं आता। इसलिए हम औरतों की सामाजिक कर्मभूमि को ही आर्थिक कर्मभूमि बना देना चाहिए ताकि उनको चुनाव की समस्या न हो। औरतें इस संसार से बाहर नहीं हैं। इस घेरे में औरतें भी पुरुषों की तरह सामान्य रूप से कार्य कर सकती हैं और यही हर महिला की सफलता की शुरुआत है।”
सत्य है, जो औरतें अथक मेहनत से संघर्षरत हो प्रयत्नशील रहती हैं, वे आर्थिक कर्मभूमि पर भी सफल हो जाती हैं परन्तु बहुत कुर्बानियाँ भी देनी पड़ती हैं, जिसमें परिवार का सहयोग आवश्यक है।
इसी चुनाव के कारण असंख्य योग्य प्रतिभाएँ सामाजिक घेरे में ही बंधी रह जाती हैं। अगर समाज अपनी जिम्मेदारी समझे तो परिवार और समाज के सहयोग से महिलाएं अपनी आर्थिक कर्मभूमि पर भी सफल हो सकती हैं ।
* आपकी सफलता का पैमाना, कोई दूसरा नहीं, बल्कि आपको तय करना चाहिए!* मेहनत और मेहनत करो!* कार्य के दबाव को झेलने के लिए, बस मेहनत करें और अपनी शक्ति सही दिशा में लगाएं!* बस शुरुआत करें!
उनके ये विचार केवल कहने के लिए ही नहीं, ये सब उनके बैंकॉक स्थित होटल ‘गा’/ Gaa के नाम में झलकता है जो कि उनके नाम के आरंभिक अक्षरों के जोड़ से बना है।
अंत में हमें पूरी उम्मीद है कि गरिमा अरोड़ा के विचार रूपी, इस सफलता मंत्र से, हमारी भारतीय महिलाएँ अवश्य लाभान्वित होंगी और वे अपनी आर्थिक सफलता के लिए, व्यर्थ कारणों पर शक्ति खर्च न कर, उसे उचित दिशा में लगाएंगी और अपने द्वारा निश्चित मंजिल की राह में प्रतियोगिता, आने वाली चुनौतियों से करेंगी।
मूल चित्र : Facebook
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