कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
नहीं था कोई जवाब खुद के ही सवालों का खुद के पास, बस एक ही आवाज़ आ रही थी, कौन हूँ मैं? आखिर कौन हूँ मैं?
कौन हूँ मैं
खुद से खुद के लिए प्रश्न बन कर रह जाता है ज़हन में,
लड़की के रूप मे जन्म लिया था, पर बन कर रह गयी बेटी और बहन,
कभी जो पंख फैलाने चाहे, तो काट दिए कह कर बेटियाँ उड़ा नहीं करती,
जो ब्याह कर पत्नी बनी तो चलना चाहा हम सफर के साथ कदम से कदम मिलाकर तो,
रोक दिया यह कह कर घर और बच्चों को सम्भालो यह तुम्हारा काम नहीं।
अब जब उम्र के आखिर पड़ाव पर आकर ठहर गयी ज़िंदगी,
खुद से खुद करती प्रश्न, कौन हूँ मैं?
तब मन के कोने से आवाज़ आई, तू भी तो जीना चाहती थी अपने सपनों को,
फिर क्यों फँस कर रह गयी खोखले रिश्तों में,
उन रिश्तों ने छिन लिया तूझसे तेरे सपनों को।
नहीं था कोई जवाब खुद के ही सवालों का खुद के पास,
बस एक ही आवाज़ आ रही थी,
कौन हूँ मैं?
मूल चित्र : Canva Pro
read more...
Please enter your email address