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खिलौना नहीं हूँ…

लाचार नहीं है अब मजबूत है इरादों से, यह आज की नारी है कोई खिलौना नहीं।

लाचार नहीं है अब मजबूत है इरादों से, यह आज की नारी है कोई खिलौना नहीं।

बदलते वक्त की ज़रुरत हो गयी अब,

लड़की को गुड्डे गुड्डियां के खेल नहीं खिलाना,

फौलादी सीने सा कठोर बनाना है।

कोमल शरीर को पत्थर से मजबूत बनाना होगा,

अस्मत को ना लूट पाये उसकी कोई,

ऐसी ताकत मन में भरनी होगी।

लाचार नहीं है अब मजबूत है इरादों से,

यह आज की नारी है कोई खिलौना नहीं।

मूल चित्र : Pexels

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