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हमारे घरों में काम करने वालों को समाज के लोग हीन दृष्टि से ही देखते हैं। बहुत कम ही परिवारों में उनका सम्मान किया जाता है। उन्हें उचित दर्जा दिया जाता है।
“बीबी जी, आज क्या है घर में?”
“इतनी सब्जी क्यों लायी हो? कोई मेहमान आने वाले हैं? क्या किसी को खाने के लिए बुलाया है? या कोई पार्टी है क्या?”
“हां रज्जो आज तेरे भैया और किट्टू का बर्थडे है। आज किट्टू एक साल का हो गया है, तो मैंने सोचा आज दोनों का बर्थडे साथ में मनाते हैं, सबको बुला लेते हैं।”
“बीबी जी अच्छी बात है। लेकिन विक्की भैया तो अपना जन्मदिन मनाते नहीं हैं। इस बार कैसे मान गए?”
“अरे अपने लाडेसर बेटे के साथ मनाने को तैयार हो गए और तू ध्यान से सुन शाम को अच्छे से तैयार होकर आ जाना, बच्चों को भी साथ लाना। काफी सारे मेहमान आएंगे उनका नाश्ता, खाना पीना सब तूने देखना है। जल्दी आ जाना।”
“ठीक है बीबीजी मैं टाइम से आ जाऊंगी।” रज्जो काम कर करके चली गई और सीमा अपने काम मे लग गयी।
आस पास के सब रिश्तदारों, पड़ोस के बच्चों के साथ ही रज्जो भी अपने बच्चों के साथ आ गयी। आते ही उसने किचन में अपना मोर्चा संभाल लिया। सबको कोल्डड्रिंक देने लगी तभी विक्की भी, अपने माता-पिता के साथ, जो आ गाँव से आये हैं, आ गए।
दोनों पिता-पुत्र ने एक जैसा, एक ही रंग का कुर्ता-पायजामा पहन लिया। सीमा ने भी अपने पति और बच्चे के कपड़ों के रंग से मेल खाती मेहरून रंग की साड़ी पहन ली।
सबने मिलकर विक्की और किट्टू का जन्मदिन की बधाइयां दी, केक काटा और सब खाना खा कर जाने लगे। सब बच्चों ने मिलकर पूरा आनंद लिया। रज्जो के बच्चे एक कोने में खड़े चुपचाप देखते रहे। सीमा उन्हें बार-बार बुला रही थी, लेकिन वो बच्चे अपनी माँ को छोड़कर नहीं आये।
इन सब प्रोग्राम में रज्जो ने सिर्फ रसोई के काम को देखा। उसे बस सबको परसोना, बर्तन उठाना, पानी देना था और सबके जाने के बाद वापिस सफाई कर जाने लगी। तब सीमा ने कहा, “रज्जो खाना खा कर जाओ और बाकी बचा हुआ खाना अपने घर ले जाओ।”
रज्जो ने वैसा ही किया और वो खाना लेकर चली गयी।
सबके जाने के बाद सीमा और बाकी के परिवार वाले वही ड्राइंगरूम में बैठकर बातें करने लगे और सभी के गिफ्ट्स देख रहे थे तभी उन गिफ्ट्स में से रज्जो का भी एक गिफ्ट निकला। सीमा ने जल्दी से उसको खोल कर देखा तो उसमें एक गणेश जी की छवि और किट्टू के लिए एक ड्रेस थी।
सीमा और विक्की को गिफ्ट बहुत पसंद आया लेकिन तभी सीमा की सास बोल पड़ी, “अरे बहू यह गिफ्ट मत रखना, उसे वापिस कर देना। हम लोगों को इन कामवालियों का कुछ लेना नहीं चाहिए पता नहीं क्या कर के लायी होगी?”
“ना ना बहू तुम वापिस कर देना। देखा है ना तुमने, कितनी गंदी रहती है रज्जो? उसमें से पसीने की बदबू आती है। और तो तुमने हद ही कर दी आज रज्जो को तुमने रसोई के काम दे दिए और उसने अपने उन्ही हाथों से खाना बनाया भी और सबको खिलाया?”
“तुम तो बहुत खुले विचारों की हो, लेकिन मुझे ये सब पसंद नहीं है।” सीमा और विक्की मम्मी जी की बात को सुनकर दंग रह गए।
विक्की अपनी माँ को समझाने लगे, “माँ रज्जो तो बहुत अच्छी है। सीमा की बहुत मदद करती है। किट्टू को भी देखती है। उसके बच्चे भी पढ़ते हैं। माना काम करती है, लेकिन मन की साफ है।”
“तू तो चुप हो जा विक्की!”
तभी सीमा भी बोल पड़ी, “नहीं मम्मीजी, ये सही कह रहे हैं। किट्टू के होने से पहले और बाद में रज्जो ने मेरी बहुत मदद की है। आप तो गाँव से नहीं आई थीं, लेकिन मुझे आपकी कमी बिल्कुल नहीं लगी। रज्जो ने पूरा मेरा साथ दिया।”
“रज्जो को काम करते हुए 4 साल हो गए। आज तक उसने कोई शिकायत का मौका नहीं दिया। रही बात गंदे रहने की, पसीने की बदबू की, तो वो पांच घरों में काम करती है। तो काम में कपड़े तो गंदे हो ही जाते हैं। रज्जो तन से मैली है लेकिन मन की साफ है।”
“मम्मी जी आप भी उसके साथ रहोगे तो मान जाओगे।”
“तुम तो उसकी पैरवी ही करोगी सीमा बहू। तुम्हें कुछ भी कहना बेकार है। विक्की हमें तो तुम गाँव ही छोड़ दो वापिस। यहां हमारा गुज़ारा नहीं हो सकता।”
सीमा और विक्की एक दूसरे को चुपचाप देखते रहे।
दोस्तों ये बात बिल्कुल सत्य है आज भी हमारे घरों में काम करने वालों को हमारे समाज के लोग हीन दृष्टि से ही देखते हैं। बहुत कम ही परिवारों में उनका सम्मान किया जाता है। उन्हें उचित दर्जा दिया जाता है।
माना काम करने वाले ये लोग पैसा लेकर काम करते हैं, लेकिन इनका भी मान सम्मान है। ये लोग तन से मैले जरूर होते हैं, लेकिन इनका मन साफ होता है।
आप सबका क्या कहना है इस बारे में? अपने विचार भी बताइए। आप अपने घर में काम करने वालों के साथ कैसा बर्ताव करते हो? यह भी जरूर बताना।
मूल चित्र : Canva Pro
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