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गुलाबी-नीले रंग से लेकर ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ का सफर…

,जब कोई लड़का हाथ उठाता है या कहीं हथियार उठाता है, तब उस बच्चे के सूखे आंसू बह जाने को मचलते हैं जब गुलाबी नीले रंगों में, बचपन बांटा जाता है!

जब कोई लड़का हाथ उठाता है या कहीं हथियार उठाता है, तब उस बच्चे के सूखे आंसू बह जाने को मचलते हैं, जब गुलाबी नीले रंगों में, बचपन बांटा जाता है!

गुलाबी नीले रंगों में,
क्यों बचपन बांटा जाता है
कहानी, खिलौने, वस्त्रों में
विभाजन तभी हो जाता है।

क्यों लड़कों को लाल गुलाबी रंग
बिलकुल रास नहीं आता,
क्यों लड़कियों को राजकुमारी का ही
रूप हमेशा है भाता?

गुड़ियों गुड्डों का खेल तो बस
लड़कियां ही खेला करती हैं
गाड़ी, प्लेन, बस, ट्रक और रेल
का खेल वो नहीं समझती हैं?

बल्ले गेंद के मैदानों में
क्यों लड़के ही बाज़ी मारें
रसोई बर्तन का खेल सिर्फ
क्यों कर लड़कियों को ही साजे?

रोएं जो खेल के मैदानों में
कमजोर क्यों कहलाते हैं?
मार पीट गाली देकर
क्यों अपना क्रोध जताते हैं?

क्यों लड़के रो नहीं सकते?
क्यों भाव शब्दों में पिरो नहीं सकते?
क्या ऐसे ही पैदा हुए थे या,
हमने ऐसा बना डाला?
मर्द को दर्द नहीं होता,
कह संवेदना को कुचल डाला?

जब कोई लड़का हाथ उठाता है
या कहीं हथियार उठाता है,
तब उस बच्चे के सूखे आंसू
बह जाने को मचलते हैं
पर हंसेंगे सब कहकर,
वो हिंसा अस्त्रों में बदलते हैं।

मूल चित्र : Canva Pro 

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