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किसी ने सही कहा है,जब अमेजिंग हो सकते हैं तो नॉर्मल क्यों होना? मेरी बहू अमेजिंग है तो मैं भला इसकी तुलना दूसरों से क्यों करूं?
“भाभी कल की किटी पार्टी मेरे घर पर आप सब ज़रूर आइएगा, एक नए कंपनी का प्रोडक्ट लॉन्च रखा है मैंने, दोनों काम एक साथ हो जाएंगे, तो आप सब का मैं इंतजार करूंगी।”
“यह दीप्ति भी पता नहीं क्या-क्या करती रहती है? कभी कुछ तो कभी कुछ, किसी एक कंपनी में ज्यादा दिन टिकती ही नहीं है, फिर भी जाने कौन सा भूत सवार है बिज़नेस करने का कि हर महीने कुछ न कुछ नया ही सुनाई देता है। चलिए देखते हैं इस बार क्या नया सियापा लिया है।”
दीप्ति के जाने के बाद सोसाइटी की कुछ औरतें आपस में हंसकर उसका मज़ाक उड़ा रही थी।
दीप्ति अभी घर आकर बैठी ही थी कि उसकी सासू मां राधा जी उसके लिए गरमा गरम चाय लेकर आ गईं।
“अरे मां! आपने तकलीफ़ क्यों की मैं बना लेती”, दीप्ति ने चाय हाथ में लेते हुए कहा।
“नहीं दीप्ति! तुम भी तो थक जाती हो दिनभर इतनी भागदौड़ करती हो, तुम्हें भी तो आराम का हक है।”
“अरे मां! यही तो उम्र है भाग दौड़ करने की बाद में आराम कर लिया जाएगा, बस मेरी वजह से आप टेंशन मत लिया कीजिए। आज भी आपका चेहरा उतरा हुआ लग रहा है। क्या हुआ शीला नहीं आई थी क्या? कहीं काम आपने तो नहीं निपटाए घर के? यह शीला भी ना! उसे पता है कल किटी पार्टी भी रखी हुई है।”
“नहीं दीप्ति! ऐसा कुछ नहीं है। शीला आई थी, उसने अपने काम निपटा दिए और कल की तैयारी भी कर दी है। मैं उस वजह से परेशान नहीं हूं।”
दीप्ति ने सास को उदास देखा तो उनका हाथ पकड़ के बगल में बैठा लिया, “मां आप खुलकर बताइए क्या बात है।”
“दीप्ति आज मैं सुबह सोसाइटी के मंदिर गई थी हालांकि यह आज की बात नहीं है, मैं हमेशा से ही सुनती आई हूं पर इस बार मुझे बहुत दु:ख हुआ। तुम कितना कुछ करती हो इन सबके लिए,अब देखो ना कल भी किटी पार्टी रखी है ऐसी औरतों के लिए जो पीठ पीछे तुम्हारी बुराई करती हैं। मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता है पर मैं किससे किससे लड़ूँ।”
“नहीं मां! आपको किसी से लड़ने की कोई जरूरत नहीं है बस आप सुनकर अनसुनी कर दीजिए। एक कान से सुनो दूसरे कान से निकाल दीजिए। आपको पता है यह सिर्फ एक तरीका है दूसरों को हतोत्साहित करने का और मेरे मुंह पर कभी किसी ने कुछ नहीं कहा क्योंकि जानती हैं उनको पता है मेरे पास उनके सवालों का पूरा जवाब है।”
“दीप्ति एक बात तो मैं भी पूछना चाहती थी कि तुम कुछ दिनों पर एक नया काम शुरू कर देती हो। ऐसी क्या वजह होती है? राहुल को देखो 8 साल से एक ही कंपनी में है।”
“मां राहुल की स्टेबल नौकरी है जबकि मैं छोटे-मोटे व्यवसाय देख रही हूं। आपको पता होता है, मैं फुल टाइम काम नहीं करती। बच्चों के साथ-साथ थोड़ा बहुत अपने लिए समय निकालना मुझे अच्छा लगता है और इस समय का सदुपयोग मैं इन छोटे-मोटे कामों को करके ही करती हूं, रही बात समय समय पर काम बदलने की तो आप मुझे बताइए भला इसका नुकसान क्या हुआ है? मैं कोशिश ही तो कर रही हूं।”
“मुझे नहीं फर्क पड़ता है कि वह लोग जिनका मेरी सफलता में कोई योगदान नहीं है वह मेरे बारे में क्या बोलते हैं। मुझसे जितना बन पड़ता है मैं फिर भी इन लोगों के लिए करती रहती हूं क्योंकि एक तरह से यह लोग मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित ही कर रहे हैं।”
“दीप्ति बेटा इनकी शिकायत रहती है कि वैसे तो तुम हर किसी के घर आती जाती नहीं हो लेकिन किटी पार्टी के बहाने सब को बुला कर अपने प्रोडक्ट का प्रचार कर लेती हो।”
” प्रचार? मां मैं चाहती हूं कि वह भी कुछ करें अपने पैरों पर खड़े हो सकें और अगर प्रचार की ही बात है तो हां मां तो उसमें बुराई ही क्या है? यह उनकी चॉइस है वह आना चाहें तो आ सकते हैं नहीं आना चाहे तो नहीं आ सकते हैं।”
“और माँ मैं अपने करीबी दोस्तों का चुनाव बहुत ही ध्यान से करती हूं। आप ही बताइए वह लोग जो मेरी पीठ पीछे ऐसी बातें करते हैं क्या वह मेरे सफलता में मेरा साथ देंगे, बिल्कुल नहीं। इसीलिए मैं उनसे सिर्फ कुछ एक मौक़ों पर मिलती हूं और ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैं सोसाइटी के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेती हूं। आपने देखा है मैं बढ़-चढ़कर योगदान करती हूं चाहे आर्थिक रूप से हो या शारीरिक श्रम से हो। मैं तो खुद चाहती हूं कि बाकी महिलाएं भी अपने पैरों पर खड़ी हों और आगे बढ़ने का अवसर मिले बस इसीलिए उन्हें बुलाकर अपनी योजनाएं बताती हूं।”
“दीप्ति बेटा मुझे डर लगता है कि पता नहीं अगर कभी तुम भी इन सब की बातों को सुनकर हतोत्साहित हो गई तो क्या होगा?”
“मां आप जानती हैं मैं अपना प्रोत्साहन खुद करती हूं। लाइफ में अच्छे और बुरे समय आते जाते रहते हैं। जब हम किसी काम को करने की ठानते हैं तो सबसे बड़ा डर फेल होने का ही रहता है। इनकी बातों को दिल पर मत लिया कीजिए। इससे आप सिर्फ और सिर्फ परेशान होंगी और कुछ नहीं ,तो चलिए कल की तैयारी करते हैं आखिर मुझे अपना पॉवर ऑफ पॉजिटिविटी भी तो दिखाना है”, कहकर दीप्ति जोर से हंसने लगी।”
राधा जी ने दीप्ति को गले लगाया और भगवान को शुक्रिया किया कि उन्हें इतने समझदार और प्यार करने वाली बहू दी है। किसी ने सही कहा है, जब अमेजिंग हो सकते हैं तो नॉर्मल क्यों होना? मेरी बहू अमेजिंग है तो मैं भला इसकी तुलना दूसरों से क्यों करूं? और मुझे यकीन है कि या इसी तरह सफलता की नई ऊंचाइयों को छुएगी।
मूल चित्र : Pexels
Name sushma, somewhere it means "Gift of God",a nature lover, has spiritual believes. Born in "sapno in nagari" Mumbai,originally from Bihar. Currently living in Mumbai. Travelled and studied in many cities of India read more...
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