कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
क्यों तुम उस स्त्री के पास न फटके, जिसने अपने पति को परमेश्वर समझ, अपनी अंतिम वक्त की नीम बेहोशी में भी, दोनों हाथ जोड़कर, आखिरी बार पूजा!
प्रेम,
मैंने सुना है कि तुम्हें तो सबका होना था,
फिर तुम कॉलेज के
उस लड़के के क्यों न हुए,
जो अपनी क्लास की
सबसे मुखर लड़की से,
कभी दिल की बात न कह सका !
क्यों तुम उस स्त्री के पास न फटके,
जिसने अपने पति को परमेश्वर समझ,
अपनी अंतिम वक्त की नीम बेहोशी में भी,
होठों से उसका नाम बुदबुदाकर,
दोनों हाथ जोड़कर,
आखिरी बार पूजा!
तुम कम से कम एक
वजह तो बताओ कि क्यों वो,
पड़ोस वाली बूढ़ी अम्मा,
उम्र भर अपने जिस परिवार की,
सेवा कर धन्य होती रही,
आज एक आश्रम में पड़ी,
दिन याद कर रही है अपना,
ब्याहले गौने का!
तुमने इस पर भी चुप्पी साध ली कि
क्यों गली की काली कुतिया,
सर्दी, गर्मी, बारिश, भूख, प्यास को झेलती,
छ: पिल्लों को मुंह में दबाए,
निपट अकेली,
जगह बदलती घूमती है ?
हो सके तो यह तो समझा ही दो कि,
बरसों बरस से बिन कुछ माँगे,
फल, छाया और शीतलता देने वाले,
अहाते में लगे आम के पेड़ को छोटे लड़के ने,
चंद रुपयों के बदले बड़ी बेरहमी से,
बुल्डोज़र चलवा कर क्यों उखड़वा दिया?
तुम इन सबके क्यों न हुए?
ये तो पूरी उम्र तुम्हारे लिए जीए?
मूल चित्र : Pexels
read more...
Please enter your email address