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रेप का कारण कोई छोटी समस्या नहीं है, रेप इसीलिए होते हैं क्यूंकि रेप करने वालों की हिम्मत होती है, उन्हें हमारे समाज का सपोर्ट होता है, कहीं न कहीं।
चेतावनी : इस पोस्ट में रेप का विवरण है जो कुछ लोगों को उद्धेलित कर सकता है।
हम सभी गर्व से कहते हैं कि हम भारत देश में रहते है पर क्या हमने कभी ये सोचा है कि हमारा देश जो पूरे विश्व में नारी को सम्मान देने के लिए जाना जाता है, वहाँ वास्तव में बेटियों की क्या इज्जत है?
आजकल हमारे समाज में रेप की घटनाएं बहुत तेजी बढ़ रही हैं, जैसे आजकल ये कोई आम बात हो गयी है। क्या यही हमारा भारत देश है जहाँ हर नारी को माँ, बहन, बेटी का दर्जा दिया जाता रहा है?
आज किसी भी अख़बार को उठा के देख लीजिए या किसी भी न्यूज़ चैनल को लगाइये शायद ही कोई ऐसा दिन होता होगा जब रेप की घटना न होती हो। क्या यही हमारा समाज है? क्या कारण है कि दरिंदे बच्चियों को भी नहीं छोड़ते, चाहे वो बच्ची 8 महीने की हो या 8 साल की।
जब इस तरह की कोई घटना होती है तो हमारा समाज भी उन दरिंदो का साथ अप्रत्यक्ष रूप से साथ देता है, लोग यही कहते है कि लड़कियों को देर तक बाहर नहीं रखो। मॉडर्न कपड़े न पहनाओ, ज्यादा पढ़ाओ न और भी पता नहीं कौन कौन सी नसीहतों की झड़ी लगा देते हैं ये समाज के जिम्मेदार लोग।
मेरा उन सभी समाज के ठेकेदारों से एक ही सवाल है कि इसमें उन बच्चियों का क्या दोष है? जिनको रेप की परिभाषा भी नहीं आती और उनकी ज़िन्दगी बर्बाद केर दी जाती है? अगर लड़कियां छोटे कपड़े पहन कर निकलती हैं, जो कि हमारे समाज के मुताबिक गलत है, तो उन बच्चियों के बारे में क्या कहेंगे जो 4 महीने, 4 साल या चार दिन की हैं, जिन्हें ये भेड़िये नहीं छोड़ते। वो ऐसी कौन सी गलती करती होंगी, उनकी एक ही गलती है कि वो मासूम है।
कठुआ रेप कांड हो, दिल्ली रेप कांड हो या गुजरात का रेप कांड। बलात्कार छोटी बच्ची का हो, बड़ी लड़कियों का हो, या औरतों का हो, इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। दोस्तों हैवान तो वो आदमी है जो इस घटना को अंजाम देते हैं।
रेप में कोई धर्म या जाती नहीं होती रेप तो एक मासूम सी बच्ची का होता है वो भले ही किसी भी धर्म या जाती की क्यों न हो ये घटनाये दिल दहला देती है। हमारे यहां आज भी बहुत जगह मासूम नवजात बच्चियों को झोले में भर के नाली में फेक देते है क्यों?
क्या ये दरिंदे ये भूल जाते है जिनकी पूजा होती है उन्हीं के साथ ये घिनौना काम कर रहे हैं? शर्म आनी चाहिए इन्हें। और इन्हीं को शादी करने के लिए लड़की चाहिए, राखी बाँधने के लिए बहन चाहिए। और तो और बच्चा पैदा करने के लिए भी औरत चाहिए पर जन्म बेटी को नहीं देना चाहते!
नवरात्रों में कंजके खिलाते हो और उन्ही के साथ दुष्कृत्य करते हो? इनकी जितनी भी सजा मिले कम है। कोई सजा उतनी तकलीफदेह नहीं हो सकती जो उस बच्ची को हुई होगी और कोई भी उस तकलीफ का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। अपने बच्चों को कोई खरोच भी आ जाती है तो हमारा दिल घबरा जाता है, और उन माँ बाप के बारे क्या किसी ने सोचा है जिनकी बच्चियों के साथ रेप होता है, कैसे झेल पाते होंगे ये दुःख?
रेप का कारण कोई छोटी समस्या नहीं है। रेप इसीलिए होते हैं क्यूंकि रेप करने वालों की हिम्मत होती है। उन्हें हमारे समाज का सपोर्ट होता है कहीं न कहीं। लड़कियां गलत कामों के लिए बढ़ावा नहीं देतीं, बल्कि अगर वो सही हैं, उनकी कोई गलती नहीं है तो कम से कम उनके साथ खड़े होकर इस आपराध का विरोध तो हम सब कर ही सकते है।
मूल चित्र : Canva Pro
Shailja is a writer,blogger & a content curator by profession. A editor in collaboration with India Imagine. In her Free time she loves to chat with her friends and learn new things. She thinks that read more...
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