कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मैं तिरंगा, केवल लाल किले से ही नहीं बोलता हूं!

किसी कालेज के फ्रीडम फैस्ट में आज़ादी मांगती, अल्हड़ युवती के गालों पर सजे तिरंगे की टैटू बन उसके दिल में बहते देशभक्ति के झोंके से भी बोलता हूं!

किसी कालेज के फ्रीडम फैस्ट में आज़ादी मांगती, अल्हड़ युवती के गालों पर सजे तिरंगे की टैटू बन उसके दिल में बहते देशभक्ति के झोंके से भी बोलता हूं!

मैं तिरंगा,
केवल लाल किले से ही
नहीं बोलता हूं!

हर राष्ट्रीय पर्व की शुभ बेला में
चौराहे की लाल बत्ती पर
रोटियों की खातिर
रुकी गाड़ियों के
बंद शीशों को थपथपाते
मुझे हाथ में पकड़े
बच्चे की आँखों से भी
बोलता हूं!

हर विद्यालय के मंच पर
‘तेरी मिट्टी में मिल जावां’
गीत की धुन पर नृत्य करते
पिरामिड बनाते बच्चों के हाथ में
लहराकर मिली तालियों की
गड़गड़ाहट से भी बोलता हूं!

किसी कालेज के फ्रीडम फैस्ट
में आज़ादी मांगती, ठहाके लगाती
अल्हड़ युवती के
गालों पर सजे तिरंगे
की टैटू बन उसके
दिल में बहते देशभक्ति
के झोंके से भी बोलता हूं!

माईनस तापमान की
जमी बर्फ के बीच,
सरहद की किसी ऊंची
पहाड़ी की ओट से
हाथों में बंदूक थामे
सैनिक के सीने पर लगे तिरंगा बैज
के पीछे से आती दिल की धड़कनों
से भी बोलता हूं!

बाद छंटने के किसी स्वतंत्र गणतंत्र
के समारोह की वो हाई क्लास भीड़,
पार्कों, सभागारों को
व्यवस्थित कर सहेजते,
मंच की मेजों, कुर्सियों पर बिखरे पड़े,
मेरे अस्तित्व को,
झाड़,पोंछकर हाथ में दुलारकर,
मेरी सिलवटें दूर करते,
सफाई कर्मचारी के प्लास्टिक
बैग से भी बोलता हूं!

मैं तिरंगा,
केवल लाल किले से ही
नहीं बोलता हूं!

मूल चित्र : Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

98 Posts | 300,182 Views
All Categories