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तूने जो सिखाया है उसका मान बढ़ाऊंगी, जो कभी टूटने लगे हिम्मत मेरी, आकर कंधा थपथपा देना, दो बोल हिम्मत के तुम बतला जाना...
तूने जो सिखाया है उसका मान बढ़ाऊंगी, जो कभी टूटने लगे हिम्मत मेरी, आकर कंधा थपथपा देना, दो बोल हिम्मत के तुम बतला जाना…
विदाई पर अपने चावल के दानों को पीछे फेंक कर,
बता दिया था उसने जाते जाते।
दहलीज से बाबुल चली हूँ सब कुछ छोड़कर,
अब ना मांगूंगी अपने बेटी होने का हक।
तूने जो सिखाया है उसका मान बढ़ाऊंगी,
जो कभी टूटने लगे हिम्मत मेरी, आकर कंधा थपथपा देना।
तेरी दहलीज के चावल छोड़ ससुराल के चावल से,
नये जीवन की शुरुआत करने जा रही हूँ।
बाबुल तुम ना होंगे साथ मेरे, मेरी ग़लतियों पर भी प्यार करने के लिए,
पर चुप के आकर कान में कह देना, आप साथ हैं मेरे हर पल, हर कदम।
बाबुल छोड़ चली आज तेरा आंगन,
पर भूला ना देना मुझ को छोड़ पराये लोगों के भरोसे।
जब भी थकने लगूँ ज़िम्मेदारी के बोझ से,
दो बोल हिम्मत के तुम बतला जाना।
विदा घर से हुई हूँ, दिल से विदा ना करना बाबुल,
जब भी फ़ुरसत मिले बचपन मेरा लौटा देना।
मूल चित्र : Pexels
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