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इस 100 वें विमेंस इक्वालिटी डे यानि महिला समानता दिवस पर हम आपको भारतीय राजनीती में सक्रिय 9 युवा महिलाओं से परिचित कराते हैं, जो बन रही हैं सबकी प्रेरणा।
विमेंस इक्वालिटी डे हर साल २६ अगस्त को मनाया जाता है। अमेरिका में 26 अगस्त, 1920 को 19वें संविधान संशोधन के माध्यम से पहली बार महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। इसके पहले वहां महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिक का दर्जा प्राप्त था। महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली एक महिला वकील बेल्ला अब्ज़ुग के प्रयास से 1971 से 26 अगस्त को ‘महिला समानता दिवस’ के रूप में मनाया जाने लगा।
आज यह दिवस सिर्फ महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिलाने तक नहीं रह गया है। ‘इक्वलिटी डे’ हर प्रकार से बराबर होने की बात करता है।
भारत में आज़ादी के बाद से ही महिलाओं को वोटिंग का अधिकार प्राप्त था और अभी २०१९ में हुए लोकसभा इलेक्शंस में ६८ प्रतिशत महिलाओं ने वोट दिया था और आपको यह भी बता दें की अब बात सिर्फ वोट देने तक सीमित नहीं है अब वो भारतीय राजनीति की करता धर्ता भी बन रही हैं, 2019 में, भारत ने 17 वीं लोकसभा में 78 महिला सांसदों को भेजा है।
दिव्या को राम्या नाम से भी जाना जाता है। दिव्या कन्नड़ा फिल्म अभिनेत्री और एक युवा राजनीतिज्ञ हैं।
स्पंदना 2012 में भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल हुईं। वह 2013 में उपचुनाव जीतकर कर्नाटका में मांड्या निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की सांसद बनीं। 2014 के भारतीय आम चुनाव में, उन्होंने फिर से मांड्या से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं।
मई 2017 में उन्होंने INC के सोशल मीडिया विंग को हैंडल करने का काम दिया गया और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की डिजिटल टीम का राष्ट्रीय प्रमुख बनाया गया।
नुसरत जहाँ एक मशहूर बंगाली फिल्म एक्ट्रेस हैं। अभी नुसरत 29 वर्ष की हो चुकी हैं। वह 2019 में सक्रिय राजनीति में शामिल हुईं और बशीरहाट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की, नुसरत सबसे युवा सांसदों में से एक हैं। जिस लोकसभा सीट पर नुसरत ने जीत हासिल की से कुल १३ उम्मीदवार हुए थे।
25 साल की उम्र में, मुर्मू ने सबसे कम उम्र के लोकसभा सदस्य बनकर इतिहास रच दिया था। चंद्रानी मुर्मू 17 वीं लोकसभा में क्योंझर, ओडिशा से सबसे कम उम्र में सांसद बनीं, मुर्मू बीजू जनता दल के सदस्य हैं। उन्होंने 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी डिग्री पूरी की पॉलिटिक्स में आने से पहले वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहीं थीं।
अल्का ‘आम आदमी पार्टी’ का जाना माना चेहरा हैं, अल्का केवल 38 साल की हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष बनकर दिल्ली विश्वविद्यालय में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। अलका लांबा का भारतीय राजनीति की दुनिया में एक मजबूत क़द है। उन्होंने कई संगठन अखिल भारतीय महिला कांग्रेस, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (AICC), दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति (DPCC), राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान (NIPCCD) आदि के साथ काम किया है।
मेघालय से 38 साल की उम्र में अगाथा कोंग्कल संगमा संसद की सदस्य बनीं। 2009 में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के उम्मीदवार के रूप में मेघालय के तुरा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में सबसे कम उम्र की सांसद बनीं। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय में भर्ती हुईं। उन्होंने ब्रिटेन के नॉटिंघम विश्वविद्यालय से पर्यावरण प्रबंधन में परास्नातक भी किया।
30 साल की, मिमी चक्रवर्ती एक भारतीय अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ हैं, और सबसे गर्म राजनेता में से एक हैं। 2019 में, वह राजनीति में शामिल हो गईं और 2019 में लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय आम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। वह बंगाली सिनेमा और टेलीविजन में अपने काम के लिए जानी जाती हैं।
32 वर्षीय रेम्या राहुल गांधी द्वारा 2010 में आयोजित आगामी नेताओं की तलाश में गांधी के ‘टैलेंट हंट’ के टॉपर्स में से एक थीं, और उन्होंने अलथुर, केरल से लगभग दुर्गम बाधाओं के खिलाफ जीत हासिल की। हरिदास दो दशकों से कांग्रेस से जुड़ी हैं। उन्होंने कांग्रेस छात्र संगठन केरल स्टूडेंट्स यूनियन में भी अविस्मरणीय योगदान दिया था।
शेहला राशिद एक राजनीतिक और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता हैं, जो वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प.एच.डी. हैं। शेहला मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स में सक्रिय नहीं हैं, वह 2015-16 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) की उपाध्यक्ष थीं और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) की सदस्य थीं।
गुरमेहर कौर एक भारतीय छात्र कार्यकर्ता और लेखक हैं, कौर सिर्फ २३ साल की हैं। कौर पोस्टकार्ड्स फ़ॉर पीस की एक राजदूत भी हैं, जो ब्रिटेन की एक धर्मार्थ संस्था है जो किसी भी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने में मदद करती है। अक्टूबर 2017 में, टाइम मैगज़ीन ने “फ्री स्पीच वारियर” के टाइटल से नवाजा था और 2017 में ही “10 नेक्स्ट जेनरेशन लीडर्स” सूची में उन्हें शामिल किया गया था। वह जनवरी 2018 में नई दिल्ली में आयोजित हार्वर्ड यूएस इंडिया इनिशिएटिव में एक वक्ता भी थीं। उन्होंने अब तक दो बुक लिखी हैं ,’स्माल एक्ट्स ऑफ़ फ्रीडम’ और ‘द यंग एंड द रेस्टलेस: यूथ एंड पॉलिटिक्स इन इंडिया’.
गुरमेहर अभी मेनस्ट्रीम राजनीती में सक्रिय नहीं हैं लेकिन उनको एक लीडर के तौर पर देखा जाता है।
इस विमेंस इक्वालिटी डे उर्फ़ ‘समानता दिवस’ पर अगर महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता की बात की जाए तो हमें यह पता चल जायेगा कि महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में समानता नहीं मिली है और यह लड़ाई अभी बहुत लम्बी है। भारतीय राजनीती सक्रिय युवा महिला की संख्या और कहानी देखकर इतना तो विश्वास आ ही जाता है की रास्ता कितना भी ना हो लेकिन नामुमकिन नहीं है।
मूल चित्र : Twitter
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