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बहु ने घर के पर्दे बदल दिए हैं, किचन का समान भी अपने हिसाब से मंगाती है सुरेश से। ऐसे ही और भी कई घर की चीजें...अब क्या क्या बताऊँ तुझे?
बहु ने घर के पर्दे बदल दिए हैं, किचन का समान भी अपने हिसाब से मंगाती है सुरेश से। ऐसे ही और भी कई घर की चीजें…अब क्या क्या बताऊँ तुझे?
आज मेरी मुलाक़ात मेरे पड़ोस में रहनेवाली विमला चाची से हुई।
उन्होंने बताया, “जबसे उनकी बहु रजनी आयी है, कुछ ना कुछ घर के रहन सहन के ढंग में परिवर्तन करती रहती।” और वे बड़े दुखी मन से बोलीं, “अब तो मेरा सुरेश भी मेरी बात कम और बहु की ज़्यादा सुनता है।”
मैंने उत्सुकता वश पूछ लिया, “चाची जी ऐसा भी क्या बदल गया जो आप इतना दुखी हो रही हैं?”
कुछ देर मौन रखने के बाद वे बोलीं, “बहु ने घर के पर्दे बदल दिए हैं, किचन का समान भी अपने हिसाब से मंगाती है सुरेश से। ऐसे ही और भी कई घर की चीजें…अब क्या क्या बताऊँ तुझे?” ऐसा बोलकर वो चुप हो गयीं।
कुछ समय बाद वो अपनी बेटी काजल के बारे में बताने लगीं जो एक साल से अपने सास-ससुर के पास रह रही थी।
मैंने पूछा, “अब काजल कैसी है चाची जी?”
उन्होंने झट से उत्तर दिया, “अब तो उसके अच्छे दिन आने वाले हैं। वो अपनी मर्ज़ी से सब कुछ कर पाएगी।”
मैंने पूछा, “ऐसा कैसे हुआ?”
बड़ी प्रसन्नता के साथ उन्होंने उत्तर दिया, “अब दामाद जी काजल को लेकर अलग घर में रहने जानेवाले हैं। फिर उसे कोई टेन्शन नहीं।”
ये बताते हुए चाची जी के चेहरे पर अलग तरह का सुकून और तेज था। तभी मैंने उनको समझाने की कोशिश की, “आप रजनी भाभी की थोड़े से बदलाव से इतना दुखी हो रही थीं और आपकी बेटी अपने बूढ़े सास-ससुर को अकेला छोड़कर अलग रहेगी उसके लिए आपको इतनी प्रसन्नता हो रही है? ये तो भेदभाव हुआ ना? अगर आप भी भाभी के लिए काजल दीदी जैसा स्वभाव रखें तो वो भी आपको माँ का सम्मान देंगी।”
ये बात सुनकर उनको अपनी गलती का शायद कुछ एहसास हुआ और उन्होंने घर जाकर भाभी को अपने गले से लगा लिया। शायद एक सास को बेटी और बहु को माँ मिल गयी।
मूल चित्र : Canva Pro
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