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माँ ये पत्र मैं आपको इसलिए लिख रही हूँ क्यूँकि आपकी बहु आने वाली है और…

माँ आज ये पत्र मैं आपको इसलिए लिख रही हूँ क्यूँकि मैं यह नहीं चाहती कि जो मेरे साथ हुआ वही मेरी माँ या मैं खुद अपनी भाभी के साथ करें।

माँ आज ये पत्र मैं आपको इसलिए लिख रही हूँ क्यूँकि मैं यह नहीं चाहती कि जो मेरे साथ हुआ वही मेरी माँ या मैं खुद अपनी भाभी के साथ करें।

प्यारी माँ,

अगले महीने भाई की शादी है, मैं कुछ दिन पहले ही आ पाऊँगी। तब तक घर में और भी रिश्तेदार आ जायेगें। उस समय शायद में मैं अपने दिल की बात आपसे न कह पाऊँ इसलिए ये खत भेज रही हूँ।

वैसे तो आज के जमाने में कोई खत नहीं भेजता लेकिन आपको तो पता है ना जब भी मुझे आपसे कोई विशेष बात कहनी होती थी, तो मैं आपको एक खत लिखती थी और आप मेरा खत पढ़कर न केवल मुस्कराती थी बल्कि मेरी बात को समझ भी जाया करती थीं।

मां मैं इतनी बड़ी तो नहीं हुई कि आपको समझा सकूं लेकिन कुछ बातें हैं जो मुझे एक लड़की होने के नाते कहनी हैं, सो कह रही हूं।

माँ एक महीने बाद हमारे घर में एक लड़की आयेगी। अपना सब कुछ छोड़कर, आंखों में ढेर सारे सपने लेकर। माँ आप उसे ये कहकर घर लायेगीं कि आप उसे मेरी तरह रखेगीं यानि आप एक बेटी लेकर जा रही है लेकिन दुनिया की तमाम सासों की तरह कुछ ही महीने में आप भूल जायेगीं कि आप उसे बेटी बनाकर लाई थीं और उसके प्रति आपका व्यवहार बदल जायेगा।

अपनी दिनचर्या, अपना पहनावा, अपना समस्त जीवन बदलकर भी वो आपमें अपनी माँ नहीं देख पायेगी, तो एक दिन वह भी बदल जायेगी ठीक मेरी तरह और समझ जायेगी कि ससुराल वालों के लिए प्राण भी दे दो तब भी सन्तुष्ट नहीं हो सकते और फिर वह आपसे दूर होती जायेगी।

पूरे परिवार की शान्ति और सुकुन कहीं खो जायेगा और आप एक नारी होकर भी दूसरी नारी की दुश्मन बन जाओगी। बस माँ मैं यही नहीं चाहती कि जो मेरे साथ हुआ वही मेरी माँ या मैं खुद अपनी भाभी के साथ करूं।

  • माँ उसे सिर्फ कहावत में ही नहीं सच में मेरी जगह देना।
  • उसके सभी सपने पूरे करने में मदद करना जैसे मेरे करती थी।
  • अपनी पसन्द के कपडे़ पहनने का हक था मुझे मां ये हक उसे भी दे देना।
  • कभी अगर उठने में देर हो जाये तो नाराज न होना, प्यार से जगाना जैसे मुझे जगाती थी।
  • कभी कोई डिश बनाना ना आये तो खुद बनाकर सिखाना और खिलाना भी जैसे मुझे खिलाती थी।
  • कभी कोई उसके बारे में गलत बोले तो वैसे ही लड़ जाना जैसे मेरे लिए लड़ जाया करती थी।
  • भाई से झगड़ा हो जाये तो भाई में डांट लगा देना और उसे प्यार से समझाना जैसे मुझे समझाती थी।
  • कभी रूठ जाये तो मना भी लेना जैसे मेरे आगे पीछे घूमती थी।
  • उसके भी मन के भावों को आंखों से पढ़ लेना जैसे मेरी हर बात को पढ़ लिया करती थी।
  • कभी रो जाये किसी बात पर तो अपना आंचल देना उसे और सीने से लगा लेना जैसे मुझे लगाती थी।
  • मां उसे खुला आसमान देना जहां वो खुलकर हंस सके, मुस्करा सके, अपने सभी ख्वाब पूरा कर सके जैसे शादी से पहले तक मुझे मिला हुआ था उस घर में खुला आसमान।

और अन्त में एक बहुत बड़ी बात माँ – माँ तू माँ ही रहना कभी सास मत बनना और देखना तेरे घर की लक्ष्मी कैसे खिलखिलाती रहेगी तेरे आंगन में। उसके पैरों की रूनझुन से गूंजेगा एक सुन्दर संगीत तेरे आंगन में। वो खुश रहेगी तो सब कुछ खुशनुमा होगा। माँ तू अपने घर की लक्ष्मी को सच में लक्ष्मी समझना और देखना कैसे तेरा घर स्वर्ग से भी सुन्दर बनता है।

बाकी बातें मिलने पर…

तेरी परछाई,
तेरी गुड़िया।

किसी ने सच ही कहा है, नारी की सबसे बड़ी दुश्मन नारी ही होती है क्योकिं हमारी ज्यादातर समस्या या तो पितृसत्ता की बनायीं, या एक दूसरे से जलन, कपट और अहम भावना के कारण होती है। कितना अच्छा हो अगर हर नारी एक दूसरे की कदर करे, एक दूसरे की खुशियों के बारे में सोचे। दुनिया की सारी समस्याओं का अन्त ही हो जायेगा।

एक नई सोच के साथ मेरी ये नई कहानी, उम्मीद है आपको पसन्द आयेगी।

मूल चित्र : Bhupi from Getty Images via Canva Pro 

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