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"जा बेटा! तू भी कुछ अपनी चोट पर दवाई लगा ले। तेरी चोट तो, छोटू से भी ज्यादा है।" ये सुनने के बाद, रिमी को अपने दर्द का एहसास हुआ और मीरा जी को, रिमी की चोट का!
“जा बेटा! तू भी कुछ अपनी चोट पर दवाई लगा ले। तेरी चोट तो, छोटू से भी ज्यादा है।” ये सुनने के बाद, रिमी को अपने दर्द का एहसास हुआ और मीरा जी को, रिमी की चोट का!
“अरे ठीक से स्कूटी को चलाना था। देखो गिरा दिया तुमने, छोटू को! घुटना छिल गया, उसका!” मीरा जी, रिमी को डांटने में पड़ी हुई थी।
रिमी के लिए नई स्कूटी खरीदी गई थी और उसी को वो सीख रही थी। उसका छोटा भाई छोटू, अपनी दीदी के पीछे लगा हुआ था। वो जिद कर रहा था, स्कूटी पर बैठने की। रिमी ने उसे पीछे बैठाया और चलाने लगी। आगे मोड़ पर ना जाने, कहां से एक सब्जी वाला, अपना ठेला लेकर आ गया। रिमी स्कूटी संभाल ना सकी और सड़क पर गिर पड़ी।
घर पर आते ही मीरा जी ने छोटू और स्कूटी की हालत देख कर रिमी को डांटना शुरू कर दिया, “अब खड़ी क्या हो, जाओ जल्दी से! छोटू के लिए, हल्दी वाला दूध लेकर आओ।”
मीरा जी ने, रिमी को आदेश दिया और रिमी अपनी दर्द की परवाह करे बिना, किचन की ओर भागी। तब तक पड़ोस वाली आंटी, छोटू को देखने आ गई।
उनके सामने जब रिमी ने छोटू को दूध दिया और छोटू दूध पीने लगा। तब वो रिमी से बोली, “जा बेटा! तू भी कुछ अपनी चोट पर दवाई लगा ले। तेरी चोट तो, छोटू से भी ज्यादा है।” ये सुनने के बाद, रिमी को अपने दर्द का एहसास हुआ और मीरा जी को, रिमी की चोट का।
मूल चित्र : Canva
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