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ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 9 नवंबर को रिलीज़ हो रही अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी बम को दर्शक अधिक उत्सुकता से देखते अगर उसमे ट्रांस महिला का किरदार ट्रांस महिला ही निभाती।
2020 की अक्षय कुमार की फ़िल्म, लक्ष्मी बम की आखिरकार रिलीज़ डेट की घोषणा कर दी गई है। इसे 9 नवंबर को दिवाली वीकेंड पर ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी+ हॉटस्टार पर रिलीज करी जाएगी। लक्ष्मी बम में अक्षय कुमार एक ट्रांसजेंडर की भूमिका में नजर आएंगे।
फिल्म के टीजर को अपने इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट्स पर साझा करते हुए अक्षय कुमार ने लिखा, “इस दिवाली आपके घर में” लक्ष्मी “के साथ एक धमाकेदार “बम” भी आएगा। आ रही है #LaxmmiBomb 9 नवंबर को, केवल @DisneyPlusHSVIP पर। गेट रेडी फॉर अ मेड राइड क्योंकि #ये दिवाली लक्ष्मी बम वाली।”
Iss Diwali aapke gharon mein “laxmmi” ke saath ek dhamakedar “bomb” bhi aayega. Aa rahi hai #LaxmmiBomb 9th November ko, only on @DisneyPlusHSVIP! Get ready for a mad ride kyunki #YehDiwaliLaxmmiBombWaali ? #DisneyPlusHotstarMultiplex @advani_kiara @offl_Lawrence pic.twitter.com/VQgRGR0sNg
ये हॉरर कॉमेडी तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्म, मुनि 2: कंचना की रीमेक है जो 2011 में रिलीज हुई थी। राघव लॉरेंस, इस फिल्म के साथ अपने हिंदी निर्देशन की शुरुआत करेंगे। वे इसकी ओरिजिनल फिल्म का भी हिस्सा थे। फ़िल्म लक्ष्मी बम में कियारा आडवाणी, तुषार कपूर, शरद केलकर भी मुख्य भूमिका में नज़र आएंगे। लक्ष्मी बम पहले ईद के दौरान मई में रिलीज़ होनी थी, लेकिन कोरोनो वायरस महामारी के कारण इसे भी शिफ्ट कर दिया गया था।
लक्ष्मी बम में, अक्षय कुमार एक ट्रांसजेंडर महिला की तामसिक भावना से ग्रस्त एक व्यक्ति की भूमिका में दिखाई देंगे। हॉटस्टार डिज़नी प्लस पर लाइव इंटरेक्शन के दौरान अक्षय कुमार ने इस फ़िल्म की शैली को फेवरेट और पैशन प्रोजेक्ट बताते हुए इस किरदार को अब तक का सबसे मुश्किल किरदार भी बताया।
फ़िल्म के नए टीज़र की बात करें तो वो एक दमदार कैप्शन के साथ शुरू हो रहा है: ‘When the outcast becomes outraged’ ( जब आउटकास्ट उग्र हो जाते हैं ) और बैकग्राउंड में आवाज़ गूँजती है, “आज से तेरा नाम लक्ष्मण नहीं, लक्ष्मी होगा। और अक्षय कुमार को एक ट्रांसजेंडर में बदलते हुए दिखाया जाता है। इस टीज़र के बाद दर्शक इससे कई तरह की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
इस फिल्म को उन फिल्मों की सूचियों में जोड़ा जा सकता है जो मेनस्ट्रीम सिनमा में LGBTQIA++ की सकारात्मक छवि लेकर आ रहे हैं। ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’, ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ जैसी फ़िल्मों के बाद लक्ष्मी बम से हमें उम्मीद है कि वो क्वीर कम्युनिटी को और बेहतर तरीक़े से पेश करेगी और समाज में रूढ़ि वादी सोच को ख़त्म करने के लिए एक कदम आगे आएगी।
बॉलीवुड में क्वीर कम्युनिटी की छवि को कई दशकों से गलत दिखाई जा रही थी। लेकिन अब समय के साथ इन में बदलाव हो रहें हैं और अब खुलकर इन पर कहानियां आ रही है और लोगों के द्वारा काफी पसंद भी करी जा रही है। हम कह सकते हैं ये क्वीर कम्युनिटी को समाज में स्वीकार करने के लिए बहुत हद तक मायने रखता है।
लेकिन क्या इतना काफी है? सोचिये अगर अक्षय कुमार की ही किसी फिल्म का मुख्य किरदार पुरुष की जगह महिला निभाती या महिला की जगह पुरुष तो आप उसे स्वीकार करते?पिछले साल जब तापसी पन्नू और भूमि पेंडेकर की फिल्म ‘सांड की आँख’ आयी थी तो वो बहुत कॉन्ट्रवर्सी में रही। एक मुख्य कारण था कि क्यों दादी के किरदार में यंग स्टार्स को लिया गया। बॉलीवुड से लेकर आम जनता तक कई लोग इसके विरोध में आये थे। तो अब नहीं लगता कि ट्रांसजेंडर पर बनी फ़िल्म में रोल उन्हें ही मिलना चाहिए। क्यों उन्हें मौका नहीं दिया जा रहा। हाँ हो सकता है, अक्षय कुमार या कोई और एक्टर इन किरदारों को उतनी ही खूबसूरती से हम तक पेश करें लेकिन ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को भी मौका दिया जाना चाहिए।
बॉलीवुड में ऐसी कितनी फिल्में आयी हैं जिसमें मुख्य किरदार किसी LGBTQIA ++ कम्युनिटी ने निभाया हो? ज़वाब, शायद एक भी नहीं। कितने ट्रांस एक्टर को आप जानते हैं? शायद बहुत कम या दो तीन? क्योंकि अभी सिनेमा में उन्हें जगह ही नहीं दी गयी है। तो ये बात समझना बहुत ज़रूरी होगा कि हम ट्रांस लोगों के बिना उनकी कहानियों को सेलिब्रेट नहीं कर सकते हैं।
पहले ही इंडिया में LGBTQIA ++ कम्युनिटी के लिए मुश्किलें कम नहीं है। उन तक रिसोर्सेज नहीं पहुंच पाते हैं। उन्हें कई तरह की सोशल, इकनोमिक, पर्सनल इश्यूज का सामना करना पड़ता है। ऐसे में उनसे इस तरह के मौके छीनना दर्शाता है कि अभी भी बहुत कुछ बदलना बाकि है।लक्ष्मी बम को दर्शक और अधिक उत्सुकता से देखते अगर इसमें ट्रांसवुमन की आवाज़ एक हेट्रो सेक्सुअल मैन – अक्षय कुमार की जगह कोई ट्रांसवुमन ही बनती। अभी भी उम्मीद है ये फ़िल्म सोसाइटी में एक सकारात्मक बदलाव लेकर आएगी।
मूल चित्र : Poster of the movie Laxmmi Bomb
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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