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आज एक और मासूम नहीं रही। आखिर और कितने उन्नाव, हैदराबाद, दिल्ली, हाथरस गैंगरेप, जैसे हादसे होंगे एक कड़ा कानून बनाने के लिए?
चेतावनी : इस पोस्ट में बलात्कार का विवरण है जो कुछ लोगों को उद्धेलित कर सकता है।
उत्तर प्रदेश में हो रही दरिंगदी रुकने का नाम नहीं ले रही है। आये दिन खबरो में उत्तर प्रदेश में पुरुषों की हैवानियत का शिकार महिलाएं होती नज़र आ रही है। हाँ ये ख़बरे आपको शायद अखबार के पन्ने के एक कोने में ही मिलेंगी और न्यूज़ चैनल में तो शायद वो जगह भी नहीं है। लेकिन आज फिर से सोशल मीडिया पर एक लड़की के लिए इंसाफ़ की गुहारें लगाई जा रही हैं। ये वही उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले की मासूम दलित समुदाय की गैंगरेप की शिकार लड़की है जिसने आज दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया है।
Hathras gang-rape victim was admitted at Safdarjung hospital for better healthcare facilities. She died today morning. More details are awaited: Safdarjung hospital official https://t.co/B67W9ceOlA
14 सितम्बर को हाथरस के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में दरिंदगी करने वालो का शिकार बनी मासूम लड़की 15 दिनों तक जिंदगी और मौत से जंग लड़ी है।
चारों आरोपियों ने युवती के साथ जो किया उसके बारे में जब-जब चर्चा होती है, लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। 21 सितंबर को युवती के होश में आने के बाद की गई डॉक्टरी परीक्षण के दौरान मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप की पुष्टि हुई है। पीड़िता ने इशारों से अपराधियों की जानकारी दी। वहीं इस मामले में पुलिस का लापरवाही भरा रवैया भी सामने आया है। पुलिस ने रेप की धाराओं में FIR दर्ज नहीं की थी। छेड़खानी के आरोप में एक युवक को हिरासत में लिया था और आख़िरकार बीते शनिवार को सभी आरोपियों को जेल में डाला गया।
गैंगरेप करने वाले आरोपियों की पहचान पीड़िता के गांव के ही रहने वालों के रूप में हुई है। हाथरस पुलिस अधीक्षक ने बताया, आरोपियों को दुष्कर्म, हत्या के प्रयास और एससी/एसटी अधिनियम की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। वहीं पीड़िता के पिता ने रविवार को मीडिया से कहा था कि चारों आरोपियों के परिवार उन्हें धमका रहे हैं। लड़की ने अपने परिवार को यह भी बताया था कि चार लोगों ने उसे इस घटना के बारे में किसी को सूचित करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट्स के अनुसार यूपी पुलिस के पास हर 2 घंटों में एक रेप केस रजिस्टर करवाया जाता है। और उन्हीं में से ये एक था लेकिन इन धमकियों की वजह से ऐसे न जाने कितने हज़ार केस तो रिपोर्ट ही नहीं हो रहे हैं। उनका क्या? ख़ैर जब हमारे देश में निर्भया के आरोपियों को सजा मिलने में 7 साल लग गए तो क्या ही कहा जाये।
इन सबमें कुछ चीज़ें जो हर बार सामने आ रही है और वो सियासत में तेजी आना। हां, आज फिर सभी मौके के इंतज़ार में बैठे विपक्षी दलों ने सरकार को निशाना किया है और ट्वीट की बौछार करते हुए आरोपियों को जल्द कड़ी से कड़ी सजा दिलाने की मांग की है। काश उन्होंने अपने सत्ता में रहते हुए इतनी चिंता जताई होती तो आज माहौल कुछ और होता।
इसके बाद बात करें मीडिया की जिन्होंने आज लगभग 15 दिन बाद बॉलीवुड से ऊपर उठकर बात करने की कोशिश करी है। वो भी शायद इसलिए क्योंकि बॉलीवुड एक्टर्स ने भी तो हाथरस गैंगरेप के बारे में ट्वीट किया है। क्यों सारा अली खान के कपड़ो के रंग से लेकर दीपिका पादुकोण के चप्पल के बारे में रिपोर्ट करने में उलझे हुए थे? शायद मीडिया अपना कर्तव्य निभाए तो लोग जागरूक हो सके और सरकार से मांग रख सकें।
अब सवाल उठता है क्या इन्हें सजा मिलेगी या फिर सालो तक केस को घसीटा जायेगा और लड़कियों के सब्र की परीक्षा ली जाएगी? और अगर इन्हें सजा मिलती भी है तो क्या बस ज्यादा से ज्यादा कैपिटल पनिशमेंट से हम इन से निबट सकते है?। और कितने हाथरस, उन्नाव, हैदराबाद, दिल्ली जैसे इंसिडेंट होंगे जब कोई कड़ा कानून बनेगा? और अगर बन भी जाये तो क्या वो भ्रस्टाचार से जीत पायेगा?
सरकार के ही जारी आकंड़ो के स्टडी के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में एक बलात्कार हो रहा है। और इस साल कोविड 19 में बेशक इसमें बढ़ोतरी होने के साथ केस रिपोर्ट भी कम हुए है। लेकिन क्या निर्भया के आरोपयों को फांसी लगने के बाद इन दरिंदो में डर हुआ या फिर हैदराबाद केस के आरोपियों के एनकाउंटर के बाद थोड़ा डर बैठा। शायद ज़वाब ना। इसीलिए आज भी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, केरल जैसे राज्यों में आये दिन ये हाथरस गैंगरेप घटनाएं हो रही है।
तो फिर ऐसा क्या किया जाये कि इस हैवानियत को अंज़ाम देने से पहले दरिंदो की रूह काँप जाये। हमें कैपिटल पनिशमेंट और उसके प्रोसेस पर एक बार फिर से काम करने की ज़रूरत है। हमें बॉलीवुड से ऊपर उठकर न्यूज़ देखनी होगी। हमें हर उस रेप केस के बारे में बात करनी होगी। सरकार से इसके लिए भी सीबीआई जाँच बैठाने की मांग करनी होगी। हमे नेताओं को जेंडर बेस्ड वायलेंस को खत्म करने के लिए मज़बूर करना होगा। और अपनी आवाज उठाने के लिए हर बार की तरह एक और हाथरस गैंगरेप या निर्भया केस का इंतज़ार बंद करना होगा। हां, एक और बात, सिर्फ ट्विटर पर गुस्सा दिखाने से कुछ नहीं बदलेगा, पहले अपने आस पास के लोगो से हर जेंडर डिस्क्रिमिनेशन को लेकर सवाल उठाये।
मूल चित्र : thainolpho via Canva Pro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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