कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

माना झूठ बोलना गलत है, लेकिन ऐसे कई झूठ बोलते हैं हम अपने बच्चों से…

ऐसे झूठ बोलना कि 'तू इतनी चाय पीती है ना इसलिए तेरा रंग ऐसा है, अब तुझसे तो कोई शादी भी नहीं करेगा' और मैं मूर्ख सच मान गयी और...

ऐसे झूठ बोलना कि ‘तू इतनी चाय पीती है ना इसलिए तेरा रंग ऐसा है, अब तुझसे तो कोई शादी भी नहीं करेगा’ और मैं मूर्ख सच मान गयी और…

वैसे तो झूठ बोलना गलत है लेकिन माता पिता अपने बच्चों की परवरिश करते समय कही बार झूठ भी बोलते हैं। प्यारे छोटे बच्चे इन बातों को सच भी मान लेते हैं। वो इन झूठे क़िस्सों को सच भी मान लेते हैं… बाद में पता चलता है कि वो तो ‘मज़ेदार’ झूठ हैं जो हर माता-पिता अपने बच्चों को कहते हैं।

ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ है। जब मैं छोटी थी तब मेरे पापा  कहते थे कि तुझे तो हम कचरे के ढेर से उठा कर लाये थे तभी तो तू ‘गंदी’ रहती है। मेरी मम्मी भी पापा की हाँ में हाँ मिला देती। मेरे भाई बहिन भी मेरा मजाक बनाते थे। कभी-कभी तो बहुत गुस्सा आता कि मुझे क्यों लाये थे। मुझे वही रहने देते। लेकिन जब बड़ी हुए तब पता चला कि वो मेरा मजाक करते थे। और मैं पागल उनके इस झूठ को सच मान रही थी।

कभी-कभी मम्मी कहती थी इतनी चाय पीती है कि तू ‘काली’(आज समझ आता है कि रंग-भेद करना कई लोगों के जीवन का आम हिस्सा है, कोशिश करके इस गलती को सुधारना होगा) हो गयी है, तुझसे तो कोई शादी भी नहीं करेगा और मैं मूर्ख सच मान गयी और कितने टाइम तक चाय भी नहीं पी। देखा तक नहीं चाय को।

रात को देर से सोते तो मेरी दादी कहती सो जा जल्दी नहीं तो तन्ने ‘बाबा’ ले जागा। बहुत डर लगता था। मैं अपने हाथ अपने नीचे दबा कर सोती थी लेकिन यह सब झूठ उनके लिए हमें डराने के लिए होते थे।

जब आज बड़े हो गए है तो इनमें से कुछ झूठ अपने बच्चों पर कभी-कभी आजमा लेते हैं।

एक मज़ेदार किस्सा अभी हाल ही में हुआ। मेरे मोबाइल में एक पिक्चर आयी जिसमें एक लड़की की आंखे रात को काली कर दीं उसकी मम्मी ने, ताकि जब वह सुबह उठे तो डर जाए। अब यह पिक्चर मेरी 5 साल की बेटी ने देख ली और बोली, “मम्मी क्या हुआ है इसको?”

तो मैंने कहा, “यह मोबाइल देखती थी, तब इसकी आंखे काली हो गयी। अब आपके साथ भी होगा।” तब तो मेरी बेटी बहुत डर गयी।

“मम्मी आप झूठ बोल रहे हो ना?” छोटी सी कुहू बोली।

“नहीं बेटा, सच में जो बच्चे ज्यादा मोबाइल और टीवी देखते हैं ना, उनकी आंखें ऐसे ही काली हो जाती हैं और डॉक्टर अंकल के पास जाना पड़ता है। फिर वो आँखों में इंजेक्शन लगा देता हैं, कड़वी दवाई भी पीनी पड़ती है।”

और अब मेरी बेटी कह रही है कि वो अब टीवी और मोबाइल नहीं देखगी। अब तो वह सबको बता रही है कि मोबाइल देखना खराब है, “पापा आप भी कम देखा करो, वरना आप की आँखे भी खराब हो जायेंगी।”

मैंने भी अपनी बेटी से एक झूठ तो बोला है, लेकिन ऐसा झूठ बोलना पड़ा उसके फायदे के लिए। देखते हैं मेरा यह झूठ, कब तक मेरे काम आता है।

दोस्तों, आपने भी अपने बच्चों को सुधारने और उनसे अपना काम करवाना के लिए मज़ेदार झूठ बोले होंगे। ऐसे कौन से झूठ है जो हमारे माता पिता हमसे कहते थे और आगे वो आप अपने बच्चों से कहते हो?

मूल चित्र : Digital Vision from Photo Images Canva Pro 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

90 Posts | 613,990 Views
All Categories