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जो हुआ उसके बारे में सोच सोच के अपना आज बर्बाद करने से बेहतर होगा कि अपने आने वाले कल के बारे में सोचे। शांति से सोचो तो हर समस्या का समाधान मिल जाता है।
सत्यजीत बहुत सज्जन पुरुष थे। 10 दिन रह गए थे रिटायरमेंट के। सीधे इतने कि पूछिये मत…
जब कोई सत्यजीत से कहता कि “अजी वो आपको बेवकूफ़ बना के अपना उल्लू सीधा कर गए।”
सत्यजीत मुस्कुरा के बोलते “काम पूरा होना चाहिए वो करे या मैं।”
(सत्यजीत के ऑफिस में)
“आज क्या भेजा है भाभी ने टिफिन में” सत्यजीत के कुलीन ओम प्रकाश ने पूछा।
“कच्चे केले के कोफ्ते बनाये हैं तुम्हारी भाभी ने, ये लो तुम भी खाओ”, सत्यजीत ने टिफिन बढ़ाते हुए कहा।
“हां हां ज़रूर, सत्यजीत सच कहूँ तुम्हारे जाने का इतना दुख नहीं हो रहा जितना भाभी के हाथ के खाने का होगा”, ओम प्रकाश ने एक कोफ्ता लेते हुए बोला।
(फिर दोनो ठहाके मार के हंसने लगे।)
“कुछ सोचा रिटायरमेंट के बाद क्या करोगे”, ओम प्रकाश ने पूछा।
“आगे का पता नहीं पर रिटायरमेंट के बाद तुम्हारी भाभी को वर्ल्ड टूर पे ले जाने का मन हैं। मेरी नौकरी पेशा ज़िंदगी में कभी नौकरी तो कभी बच्चों की ज़िम्मेदारी में ही उलझे रहे। कभी वक्त नही मिला उनकी ख़्वाहिश को पूरा करने का।”
मुझे आज भी याद शादी के पहली रात को मैंने पूछा था तुम्हारी भाभी से उनकी ख़्वाहिश, तो उन्होंने धीरे से कहा था, “ज़िंदगी मे कभी भी एक बार मुझे वर्ल्ड टूर पे ले जाना।”
“तब पूरी न कर पाया तो अब सही। 2,3 ट्रेवेल एजेंसी से बात की है पर अभी कुछ फाइनल नही किया।”
(रिटायरमेंट के बाद एक दिन)
“हेलो सर… क्या आप सत्यजीत बोल रहे हैं?”
“जी हां आप कौन”?
“मैं ट्रेवेल एजेंसी से मीनाक्षी बोल रही हूँ।”
“सर हमारे पास आपके लिए वर्ल्ड टूर का बहुत अच्छा पैकेज है। आपको जान के ये खुशी होगी कि हमने एक लकी ड्रा निकालना था जिसमे आप लकी ड्रा के विनर हो। इस कारण हम आपको वर्ल्ड टूर में 50 प्रतिशत डिस्काउंट दे रहे है” मीनाक्षी बोली।
“क्या सच में.. मुझे क्या करना करना पड़ेगा,” सत्यजीत ने उत्साह से पूछा।
“बस आपको फॉर्मेलिटी के लिए नाम, पता व पिन नम्बर बताना होगा। बस आपकी बुकिंग हो जाएगी और 50 प्रतिशत डिस्काउंट मिल जाएगा।”
“ठीक है डिटेल लिख लीजिए।” मीनाक्षी ने बड़ी चालाकी से बातों बातों में सत्यजीत से उसका पिन नम्बर भी लिया।
थोड़ी देर बाद सत्यजीत के फोन पर मैसेज आया.. “योर अकाउंट हेज़ जीरो बेलेंस।”
मैसेज पढ़कर सत्यजीत के होश उड़ गए… तुरंत बैंक फोन किया तो पता चला थोड़े देर पहले ही उनके अकॉउंट से किसी ने सारे पैसे निकाल लिए।
ये सुनते ही उनके आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और वो बेहोश हो गए।
होश आया तो खुद को बिस्तर पे और सामने घबराई हुई पत्नी व दोस्त समान डॉक्टर को देखा।
सत्यजीत को समझ नही आ रहा था कि कैसे वो अपने पत्नी को बताए कि जिंदगी भर की कमाई एक झटके हाथ से फिसल गई।
सत्यजीत अंदर ही अंदर घुट रहा था। क्या होगा अब.. इस उम्र में आकर सब कुछ छीन गया। पूरी जिंदगी भर की कमाई मिट्टी में मिल गयी। बस ये सब सोच सोच के सत्यजीत अपने को इतना असहाय समझने लगा कि आत्महत्या की कोशिश की। वो अपने कपकपाते हाथों से अपने हाथ की नस काटने ही वाले थे कि समय पर सत्यजीत की पत्नी सुलोचना पहुंच गई और अनर्थ करने से रोका… फिर जोर का थप्पड़ मारा।
(उस पल गहरी खामोशी छा गयी।)
सत्यजीत बिन कुछ कहे कुर्सी पे बैठ गए वो सुलोचना से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे।
सुलोचना भी बिना कुछ बोले सत्यजीत को पानी दिया।
“सत्यजीत तुम्हें हर विपत्ति से लड़ते देखता हैं। दुख इस बात का हैं कि तुम्हें कोई बात इतनी खाये जा रही थी कि ज़िंदगी से अच्छी मौत लग गयी। मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा? बच्चे पहले ही अमेरिका में जा बसे। उनका होना न होना एक बराबर ही है। उनको छोड़ मैंने तुम को चुना क्योंकि सबसे पहले मेरी ज़िंदगी में तुम हो सत्यजीत”, सुलोचना बोली।
“सुलोचना सब ख़त्म हो गया। मेरी ज़िंदगी भर की कमाई सब चली गयी।” फिर सत्यजीत ने आखिरकार अपने साथ हुए धोखा की बात सुलोचना को बताई।
“तुम्हारे लिए पैसे ज़िंदगी से बढ़कर कैसे हो गए। तुम्हें याद है जब हम पहली बार शहर आये थे तब न ही तुम्हारे पास नौकरी थी न ही घर। उस स्थिति में तुमने कभी आशा नही छोड़ी तो अब क्या हुआ” सुलोचना बोली।
“तब मैं जवान था। गरम खून था। मुझे खुद पे विश्वास था कि चाहे कुछ हो जाये अपनी मंज़िल पा के रहेंगे पर आज मैं बूढ़ा हो गया। मेरे में इतनी ताकत नही कि मैं फिर से खड़ा हो सकूँ। ज़िंदगी भर की कमाई थी मेरी एक झटके में चली गयी। भगवान मेरे साथ ऐसा करेंगे सोचा न था। तुम कितनी पूजा करती हो जब देखो गीता पढ़ती रहती हो। फिर भी तुम्हारे भगवान ने हमारे साथ ऐसा किया”, सत्यजीत हताश होकर बोला।
“जब हम यहां आए थे तो हमारे पास न घर था, न नौकरी ,न पैसा था, तो बस इरादा व मेरा भगवान पे भरोसा पर आज ये मकान है और इरादा भी फिर तुम ऐसा कैसे कह सकते हो कि भगवान ने इतना बुरा क्यों किया?”
“वो पैसे हमारे नही थे इसलिए हमे मिले नहीं। वैसे भी भाग्य से ज़्यादा कभी किसी को मिलता है क्या? जो हुआ उसे बदल नहीं कर सकते। उसको सोच सोच के अपना आज बर्बाद करने से बेहतर होगा कि अपने आज और आने वाले कल के बारे में सोचे। शांति से सोचो तो हर समस्या का समाधान मिल जाता है।”
तुम्हारी समस्या का समाधान है मेरे पास…
हम ये 3 बी .एच .के. फ्लैट बेच देंगे और 1 बी एच के फ्लैट ले लेंगे। बाकी पैसा बैंक में और बिना टेंशन के ज़िंदगी जियेगे।”
“तुम हर परिस्थिति में इतनी सकारात्मक कैसे सोच लेती हो” सत्यजीत बोले।
“मेरी कहते कहते आधी ज़िंदगी बीत गयी, गीता पढ़ना शुरू करो। ज़िंदगी के सारे प्रश्न के उत्तर मिल जायेंगे। दिल दिमाग सकारात्मक से परिपूर्ण हो जाएगा। पर मेरी सुनते कहां हो”, सुलोचना बोली।
“पर इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं तुम्हारी ख़्वाहिश पूरी न कर पाया”, सत्यजीत बोले।
“शादी के पहली रात को मैंने अपनी ख़्वाहिश वर्ल्ड टूर की बतायी ज़रूर थी वो मैंने पहली बार आख़िरी था क्योंकि मेरा संसार यानी वर्ल्ड तो तुम हो जी.. तुम जहां वही मेरा वर्ल्ड टूर और रही मेरी ख़्वाहिश की बात तो सारे इसी जन्म में पूरी क्यों करनी कुछ अगले जन्म के लिए भी छोड़ दो? आज मुझसे दो वादा करो पहला ये कि कितनी भी बड़ी विपत्ति क्यों न आ जाये आज के बाद फिर कभी ऐसा कदम नहीं उठाओगे।”
“और दूसरी” सत्यजीत ने पूछा…
“गीता पढ़ना शुरू करोगे वो भी आज से। गीता बेस्ट ग्रन्थ है हमारे अंदर के नकारात्मकता को हटाने के लिए” सुलोचना बोली।
“मैं कुछ पल के लिए कमजोर पड़ गया था पर तुमने मुझे टूटने से बचा लिया। मैं वादा करता हूँ कि फिर कभी ऐसा कदम नही उठाऊंगा, मैं गीता भी पढ़ना शुरू करुंगा और जिंदगी को नए सिरे से शुरू करूँगा” सत्यजीत बोला…
फिर दोनों काफी देर तक बात करते रहे।
मूल चित्र : Pexels
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