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प्रख्यात विदुषी कपिला वात्स्यायन की कला उनको हमेशा हमारे बीच ज़िंदा रखेगी

भारतीय शास्त्रीय नृत्य, वास्तुकला और कला इतिहास की प्रख्यात सदस्य कपिला वात्स्यायन ने 16 सितंबर 2020 को 91 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। 

भारतीय शास्त्रीय नृत्य, वास्तुकला और कला इतिहास की प्रख्यात सदस्य कपिला वात्स्यायन ने 16 सितंबर 2020 को 91 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। 

कला जगत की प्रख्यात सदस्य कपिला वात्स्यायन ने 16 सितंबर 2020 को 91 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। कपिला जी पद्मविभूषण से सम्मानित थीं और राज्यसभा की मनोनीत सदस्या थीं।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की स्थापना में कपिला वात्स्यायन का अहम योगदान रहा

कपिला वात्स्यायन भारतीय शास्त्रीय नृत्य, कला, वास्तुकला और कला इतिहास की विदूषी थीं। कथक और मणिपुरी नृत्य में एक प्रशिक्षित नृत्यांगना कपिला जी ने सरकार के साथ कला, संस्कृति के क्षेत्र में सलाहकार की भूमिका भी निभाई है। उन्होंने कई जाने-माने संस्थानों में अहम पद संभाले।

दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की स्थापना में भी उनका अहम योगदान रहा जहां उन्होंने संस्थापक निदेशक यानि फाउंडिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया। संगीत नाटक अकादमी फेलो रह चुकी कपिला जी प्रख्यात नर्तक शम्भू महाराज और प्रख्यात इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की शिष्या भी थीं।

कपिला वात्स्यायन का जीवन

अपने जीवन की ईहलीला खत्म होने से पहले 91 सालों में कपिला जी ने अद्भुत काम करते हुए देश को समृद्ध कला की विरासत दी। 25 दिसंबर, 1928 को राम लाल और सत्यवती मलिक के घर कपिला का जन्म हुआ। उनकी मां सत्यवती मलिक स्वंय एक प्रसिद्ध हिंदी लेखिका थीं। कपिला जी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए करने के बाद मिशिगन यूनिवर्सिटी से एम.ए इन एजुकेशन और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से PhD की शिक्षा-दीक्षा पूरी की।

कपिला का विवाह हिंदी के यशस्वी साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ से हुआ था लेकिन विवाह के 13 साल बाद दोनों पति-पत्नी निजी कारणों से अलग हो गए। उसके बाद से कपिला वात्स्यायन एकाकी जीवन ही व्यतीत कर रही थीं लेकिन उनकी कला हमेशा उनके साथ थी।

डॉ. कपिला वात्स्यायन 1930-40 के दशक में भारतीय नृत्य संबंधी अनुसंधानों के लिए जीती जागती रिकार्ड की तरह थी। यह दशक नृत्य संस्थानों के निर्माण का एक दशक था।

कपिला की किताबें

कपिला वात्स्यायन ने भारतीय नाट्यशास्त्र और कला पर कई किताबें लिखीं जिनमें the square and the circle of Indian arts (1997), भारत: नाट्य शास्त्र (1996) और मंत्रलक्षणम (1998), tradition of Indian folk (1976), dance in Indian painting (1982), role of culture in development (2018) जैसी किताबें शामिल हैं।

कपिला जी का मनना था कि हमारे देश के युवाओं के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि उनके देश की कला, संस्कृति और इतिहास कैसा है। वो चली गईं लेकिन हम सभी को कला की एक समृद्ध विरासत सौंप गईं।

मूल चित्र : Wikipedia 

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