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घर की चार दिवारी से बाहर, सतरंगी सपनों भरी दुनिया है मेरी, नीले आसमान तक उड़ान है मेरी, सीमा पर तिरंगा लहराते पहचान है मेरी।
मैं एक औरत हूँ,जिसके नहीं है सिर्फ दो रंग!तोला है तुमने हर बार काले और गौरे में,बस यही दो रंगों से नही हूँ बनी मैं,देखो भीतर मेरे हृदय रंगीन।
बेटी का नटखट रंग,बहन का शरारती रंग,पत्नी के प्रेम में रंगा,माँ की ममता में रंगा,हर एक रिश्ता रंग है मेरा।
घर की चार दिवारी से बाहर,सतरंगी सपनों भरी दुनिया है मेरी,नीले आसमान तक उड़ान है मेरी,सीमा पर तिरंगा लहराते पहचान है मेरी।
सफेद चोला में जीवन बचाते,मंगल के सपनों को आकार देते,हर एक रंग में रंगी पहचान है मेरी,बस यही दो रंगों की नहीं हूँ बनी।
मूल चित्र : Pexels
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