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क्यूँ बनना चाहती हूँ, मैं औरों की तरह? मेरी अलग अपनी पहचान है, नहीं बनना मुझे औरों की तरह। आप भी ऐसा ही सोचते हैं ना?
खुद को आज मैं जब आइने में निहार रही थी। गौर से सुना तो, आइने में से, मैं खुद को पुकार रही थी।
क्यूँ बनना चाहती हूँ, मैं औरों की तरह? मेरी अलग अपनी पहचान है, नहीं बनना मुझे औरों की तरह।
मैं जैसी भी हूँ, अपने आप में हूँ अनूठी। क्यूँ न जिऊँ अपने जैसे क्यों जिऊँ जिन्दगी झूठी?
ख्याल ये आते ही, आईना मुस्कुरा उठा आँखों में चमक आ गई, आत्मविश्वास जाग उठा।
कामयाब व्यक्ति के पीछे होता उनका आत्मविश्वास। मेरी खुद की क्षमता पर, मेरा पक्का अटूट विश्वास।
चाहे कितनी कठिन हो राहें मंजिल तो मैं पा कर ही रहूँगी। मेरा अंदाज़ ही मेरी पहचान है, कमल हूँ मैं, खिल कर ही रहूँगी।
हाँ, मेरा अंदाज़ ही मेरी पहचान है, कमल हूँ मैं, खिल कर ही रहूँगी।
मूल चित्र : MediaProduction from Getty Images Signature via Canva Pro
Samidha Naveen Varma Blogger | Writer | Translator | YouTuber • Postgraduate in English Literature. • Blogger at Women's Web- Hindi and MomPresso. • Professional Translator at Women's Web- Hindi. • I like to express my views on various topics read more...
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