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सितंबर को PCOS अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है और रियो पैड्स का ये नया विज्ञापन रागों के माध्यम से बता रहा है कि PCOS में क्या होता है।
जहां एक कंटेंट क्रिएटिविटी लेवल बिल्कुल खत्म होता जा रहा है वहीं नोबेल हायजीन के रियो हैवी फ़्लो पैड्स ने अपने नए कैंपेन #RIOTalksPCOS के जरिये पीसीओएस (PCOS) के अवेयरनेस को लेकर एक खूबसूरत विज्ञापन में बिन कुछ कहे सब कुछ कह दिया। संगीत के रागों के जरिये इसमें पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं के पीरियड्स दौरान होने वाले हार्मोनल चेंजेज के बारे में जागरूक किया गया है और बताया है कि PCOS में क्या होता है।
नोबेल हाइजीन के वाईस प्रेजिडेंट कार्तिक जौहरी ने इस कैम्पेन के बारे में बात करते हुए कहा कि “रियो के रिसर्च से पता चला है कि पीसीओएस से पीड़ित महिलाएं हमेशा चिंता में रहती है और एक अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है कि उनके पीरियड्स किस तरह होंगे। इस एड फ़िल्म के ज़रिये हम उस वास्तविक दर्द और हर ट्विस्ट एंड टर्न के साथ उसके प्रभाव के बारे में बात करना चाहते हैं। इस पीसीओएस जागरूकता महीने में उन्हें सुनते हैं – लीसन, पीरियड”
वहीं इसकी क्रिएटिव डायरेक्टर दिशा दासवानी इसमें रागों के इस्तेमाल के बारे में समझाते हुए कहती हैं, “रागों में हमेशा से दर्द और पीड़ा होती है जो उन्हीं के माध्यम से कह सकते हैं। इन भावनाओं के रोलरकोस्टर को पीसीओएस/PCOS से ग्रसित महिलाओं से जोड़कर उनकी फ़ीलिंग्स को एक अनूठे रूप में बताया गया है।” वाकई! रियो सेनेटरी पैड्स के विज्ञापन हमेशा बहुत क्रिएटिव तरीके से अपनी बात रखते हैं। इससे पहले भी राधिका आप्टे स्टारर विज्ञापन में पीरियड ब्लड को ब्लू न दिखाकर रेड दिखाया जो की एक महिलाओं के लिए पीरियड के बारे में खुलकर बात करने की दिशा में एक नायाब कदम है।
पीसीओएस या पॉलीसिस्टिक ओवरी (अंडाशय) सिंड्रोम महिलाओं में सबसे आम होने वाला हार्मोनल डिसऑर्डर है। भारत में, हर पाँच में से लगभग एक महिला इससे पीड़ित है। हालांकि, जागरूकता की कमी के कारण, इस बीमारी को सहने वाली अधिकांश महिलाएं इससे अनजान हैं। इसीलिए इसके बारे में जागरूकता फैलाना ज़रूरी है।
सितम्बर महीने को पूरे विश्व में पॉलीसिस्टिक ओवरी (अंडाशय) सिंड्रोम या पीसीओएस/PCOS अवेयरनेस मंथ के रूप में मनाते है। लेकिन क्या आप जानते है PCOS में क्या होता है और किस तरह से आप बच सकते हैं।
नीचे दी गयी सभी जानकारी सामान्य स्तर पर दी गयी है। इसके लिए आप विशेषज्ञ से परामर्श लें।
पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है जो आमतौर पर 20 से 35 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं में मिलती है। यह हॉर्मोन में असंतुलन के कारण होती है। स्वस्थ महिलाओं में, ओवरी से कहीं-न-कहीं पीरियड्स के 15 वें दिन एक एग रिलीज़ होता है जबकि पीसीओएस से प्रभावित महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता है। एग ओवरी के अंदर रह जाता है और फ्लूइड उसके चारों और जमा हो जाता है और एक बबल फॉम स्ट्रक्चर बन जाता है और ऐसे बहुत सारे बन जाते हैं जिससे पीसीओएस हो जाता है।
सबसे पहला लक्षण है अनियमित मासिक धर्म यानि की इर्रेगुलर पीरियड्स। इसके अलावा वज़न बढ़ना, बालों का झड़ना, अनचाहे शरीर के अंगों पर बाल आना जैसे चेहरे, छाती, पीठ, पेट आदि। इसमें डिप्रेशन, एंग्जायटी, चिड़चिड़ापन, थकावट रहना आदि भी शामिल है। बार-बार गर्भपात होना या गर्भ धारण में समस्या इसके मुख्य लक्षणों में से एक माने जाते हैं। यदि इनमे से कोई भी लक्षण नज़र आता है तो तुरंत अपनी दिनचर्या में बदलाव लाए। साथ ही डॉक्टर से परामर्श लें।
पीसीओएस का अक्सर महिलाओं को पता नहीं लगता है और वें इसे साधारण समस्या मानकर दर्द से गुज़रती रहती हैं। लेकिन अगर आप को कोई लक्षण नज़र आये तो आप अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करकें इससे कई हद तक इससे बच सकते हैं। शारीरिक व्यायाम जैसे डांस, स्विमिंग, एरोबिक्स, ज़ुम्बा, योग आदि अपने डेली रूटीन में शामिल करें। अपने भोजन में सही पौष्टिक तत्वों को शामिल करें और खाना समय से खाएं। जंक फ़ूड, अत्यधिक मीठा, तैलिय पदार्थ, कोल्डड्रिंक आदि का सेवन कम कर दें।
इसके अलावा अपने डॉक्टर द्वारा बताएं निर्देशों का पालन करें।
तो अब आप भी इसके बारे में सबको जागरूक करें और इस अवेयरनेस मंथ को सफल बनाये।
मूल चित्र : Screenshot, Rio Pads Advertisement, YouTube/ Canva Pro
A strong feminist who believes in the art of weaving words. When she finds the time, she argues with patriarchal people. Her day completes with her me-time journaling and is incomplete without writing 1000 read more...
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