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कई रिश्तों में प्रेम नहीं सिर्फ सात फेरों का बंधन होता है…

कई रिश्ते लोग सात फेरों का बंधन समझ निभाते रहते हैं, कभी आर्थिक निर्भरता, तो कभी बच्चों की निर्भरता और ये हमारे समाज का एक और कड़वा सत्य है!

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कई रिश्ते लोग सात फेरों का बंधन समझ निभाते रहते हैं, कभी आर्थिक निर्भरता, तो कभी बच्चों की निर्भरता और ये हमारे समाज का एक और कड़वा सत्य है!

सबने औरत पर हुकूमत करनी चाही है और इसलिए आज भी औरत सहन कर रही हैलेकिन कभी सोचा है कि आदमी औरत पर हुकूमत क्यों कर पाता है? क्योंकि एक औरत ही दूसरी औरत की सबसे बड़ी दुश्मन है। ये दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है। हमदर्दी, अपनापन भी इस बात पर निर्भर करती है कि  एक औरत का रिश्ता, दूसरी औरत के साथ क्या है।  

मानवता तो खो सी गयी है, इसलिए पुरुष ने अपनी मनमानी कर रखी है। अगर औरत की ना हुई, तो उसे वो किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। अपना क्रोध जताकर, औरत को डराने की कोशिश  करेगा या  फिर उस पर हाथ उठाकर मर्द होने का एहसास अपने आप को कराएगा।

मर्द की यही बात दिखाती है, कि वो कितना कमजोर है। जिसे अपनी बात कहने के लिये हिंसा का सहारा लेना पड़ा तो वो क्या होगा? उसे लगता है कि ऐसा करने से डर की वजह से सब उसके कंट्रोल में रहेगा। वह ये भूल जाता है कि कंट्रोल दिल से होता है और दिल को प्यार से जीता जाता है हिंसा से नहीं।

आज भी हमारे समाज में कितने ही जोड़े ऐसे होंगे जो सिर्फ़ रेल की दो पटरियों की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जो कहने के लिये साथ तो है पर कभी एक नहीं हो सकते क्योंकि उनके संबंध में प्रेम नहीं सात फेरों का ‘बंधन’ है। और उसे वो किसी ना किसी वजह से झेलते रहते है कभी आर्थिक निर्भरता तो कभी बच्चों की निर्भरता और ये हमारे समाज का एक और कड़वा सत्य है!

जबकि पति पत्नी का सम्बंध तो नदी के किनारों की तरह होना चाहिए साहिल भले ही दो हों पर वो एक हों। 

मूल चित्र : Dishant S from Getty Images via Canva Pro 

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