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पत्नी तो बन गयी मैं, पर अगला कदम मां बनने का है। कहने को कदमभर का फासला है ये पर अभी लंबा सफर तय करना है एक 'स्टेप मोम' से माँ जो बनना है।
पत्नी तो बन गयी मैं, पर अगला कदम मां बनने का है। कहने को कदमभर का फासला है ये पर अभी लंबा सफर तय करना है एक ‘स्टेप मोम’ से माँ जो बनना है।
“रीत तुम्हारा दिमाग तो नही खराब हो गया? सोच तो लिया करो सोचने से पहले”, रीत के मां ने गुस्से में बोला।
“ऐसी क्या बात कह दी मैंने मम्मी? वैसे भी आप ही तो कब से मेरे पीछे पड़े थे। रीत बेटा शादी कर ले..बेटा लड़कियों को ज्यादा देर नही करनी चाहिये। फिर अच्छे रिश्ते नही आते।”
रीत ने इतना बोला ही था कि उसकी बात काटते रीत की मां बोली, “तेरी कौन सी उम्र निकल रही है अभी, जो तो ऐसे लड़के से, सॉरी लड़के से नहीं आदमी से शादी कर रही है? वो भी एक बेटी के पिता से?” माँ ने अपने सर पीटते हुए बोला।
“आप भी कुछ बोलिये जी। मुँह में दही क्यों जमा रखा है? कहा था मैंने ज्यादा सर पे मत चढ़ाओ, पर मेरी कौन सुनता है?” रीत की माँ ने रीत के पिता से कहा।
“सुषमा तुम शांत हो जाओ। मैं मिला हूँ समय से, बहुत सुलझा हुआ इंसान है और सबसे बड़ी बात ये एक दूसरे को प्यार करते हैं। हमारी खुशी तो बच्चों की खुशी में ही है न…?”
“अच्छा एक बात बताओ, अगर हमने रीत की उसकी मर्जी के बिना शादी करवा भी दी, तो क्या वो खुश रह पाएगी? सुषमा ये आज की पीढ़ी है अपना अच्छा बुरा समझती है। तुम मिलके देखना समय से, हमारी रीत के लिए बिल्कुल परफेक्ट है”, रीत के पापा बोले।
“जब आप पिता बेटी ने निर्णय ले ही लिया तो मुझ से क्यों पूछ रहे हो? क्या तुम समय की बेटी को दिल सेअपना पाओगी? कल को तुम्हारे बच्चे होंगे फिर?” रीत की मम्मी ने जैसे आखरी प्रयास किया।
“मम्मी मैं पीहू से मिली हूँ वो बहुत प्यारी है। मैं सिर्फ समय से प्यार नहीं करती बल्कि उसकी हर चीज से प्यार करती हूँ, फिर चाहे उसकी बेटी ही क्यों न हो”, रीत ने आत्मविश्वास से बोला।
आखिरकार न न करते रीत की मम्मी को इस शादी की स्वीकृति देनी ही पड़ी क्योंकि एक माँ के लिए अपनो बच्चों की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता।
रीत ने सिर्फ समय की पत्नी बनके ही नहीं बल्कि पीहू की माँ बनके गृहप्रवेश किया।
सारी रस्में हो रही थीं पर रीत की नज़रे न जाने कब से पीहू को ढूढ़ रही थी। कुछ तो था पीहू में जो रीत को अपनी तरफ खींचता था। शायद कोई पिछले जन्म का रिश्ता था दोनों का।
रीत दुल्हन की वेशभूषा में कमरे में बैठी थी तभी उसकी नज़र पीहू पे पड़ी। तीन साल की पीहू ने रीत को पर्दे की ओट से देखा तो रीत ने हाथ से इशारा करके बुलाया। पीहू ने भी दूर खड़े इशारे से अपना सर हिला के मना कर दिया।
रीत ने अपने पर्स से चॉकलेट निकाल के दिखाई तो धीरे से पीहू उसके पास आई। पीहू कभी रीत के चूड़ी तो कभी झुमका छू के देख रही थी, उसको शायद चॉकलेट से ज्यादा वो आकर्षक लग रहे थे।
“क्या आप मेरी स्टेप मोम हो?” पीहू तोतली आवाज में बोली। इससे पहले कि रीत कुछ कहती पीहू बिना चॉकलेट लिए ही वहां से चली गयी।
“पत्नी तो बन गयी मैं, पर अगला कदम मां बनने का है। कहने को कदमभर का फासला है ये पर अभी लंबा सफर तय करना है एक ‘स्टेप मोम’ से माँ जो बनना है।”
मूल चित्र : A and N photography via Canva Pro
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