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सुनो, मैं हर धर्म कर्म में तीर्थ यात्रा में दूँगी साथ तुम्हारा, पर तुम भी चलना हाथ पकड़ कर, पढ़ लेना मन मेरा, यदि हाँ बोलो तो आओ ले लो संग में पहला फेरा...
सुनो, मैं हर धर्म कर्म में तीर्थ यात्रा में दूँगी साथ तुम्हारा, पर तुम भी चलना हाथ पकड़ कर, पढ़ लेना मन मेरा, यदि हाँ बोलो तो आओ ले लो संग में पहला फेरा…
सुनो, मैं हर धर्म कर्म में तीर्थ यात्रा में दूँगी साथ तुम्हारा, पर तुम भी चलना हाथ पकड़ कर, पढ़ लेना मन मेरा, यदि हाँ बोलो तो आओ ले लो संग में पहला फेरा।।
हाँ आज से परिवार तुम्हारा होगा परिवार हमारा, पर तुम्हें भी अपना लेना होगा दिल से परिवार मेरा, वादा करलो तो मेरे संग ले लो दूसरा फेरा।।
हाँ रखूँगी ख्याल आज से तुम्हारा और तुम्हारे घर का, पर तुम भी कहो जब थक जाऊंगी हाथ बटा दोगे मेरा, इतना सा वादा करो तो ले लें संग तीसरा फेरा।।
मैं सज संवर कर श्रृंगार कर सदा मन रखूँगी तुम्हारा पर तुम भी इच्छा अनिच्छा का मान रखोगे ना मेरा ये मान लो तो आओ संग में ले लें चौथा फेरा
सदा रहूंगी संग तुम्हारे, करूंगी सुख दु:ख की भागीदारी, तुम भी बोलो साथ रहोगे हर अच्छाई बुराई में मेरी, ये यकीन दिला दो प्रिये तो ले लें पांचवाँ फेरा।।
सदा करूंगी सेवा तुम्हारी नहीं करूंगी कोई छल, तुम भी देखो निकाल लेना मेरी हर मुश्किल का हल, ये निश्चय कर लो तुम तो छठवाँ फेरा ले लो संग।।
पत्नी बनकर साथ रहूंगी बन जाऊंगी कभी सखी, तुम भी बोलो मित्र बनोगे, बनने से पहले मेरे पति।
जो तुम वादा करलो मित्र बन कर साथ निभाने का, बन जाऊं अर्धांगनी, यही समय है वाम अंग आने का।।
मूल चित्र : RAYOCLICKS from Getty Images via Canva Pro
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