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28 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस (World Safe Abortion Day) मनाया जाता है, तो जानते हैं भारत में सुरक्षित गर्भपात के बारे में।
मां बनना बेशक दुनिया का सबसे हसीन और खूबसूरत एहसास हो सकता है लेकिन अगर कोई औरत मां नहीं बनना चाहती तो जैसे उसे जन्म देने का अधिकार है वैसे ही जन्म ना देने का अधिकार भी है। जी हां, गर्भपात कराने का अधिकार आपको पापी नहीं बनाता। इसलिए आपको इससे जुड़े सही तथ्यों और कानून के बारे में जानने की ज़रूरत है।
हर साल 28 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षित गर्भपात दिवस (World Safe Abortion Day) मनाया जाता है। यह व्यक्ति के शरीर पर सबसे पहले उसके ख़ुद के अधिकार पर बल देता है।
ऐसा मत सोचिए कि गर्भपात पर बात करना ग़लत है क्योंकि हमारे समाज में इस विषय को भी एक टैबू की तरह देखा जाता है। क्या आप चाहेंगे कि आपकी पत्नी कभी भी अपनी जान को ताक पर रखकर आपको औलाद दे? क्या आप कभी भी चाहेंगे कि आपकी बेटी या बहन अपने ससुराल वालों के कारण अपने स्वास्थ्य को दरकिनार करते हुए बच्चे को जन्म दे? क्या कोई भी माता-पिता जिनकी बेटी दुर्भाग्यवश रेप का शिकार हुई हो, कभी भी चाहेंगे कि उनकी बेटी उस बच्चे को पाले या क्या वो लड़की खुद कभी इस स्थिति को झेल पाएगी? हां, इन सभी परिस्थितियों में फ़ैसला लेने का अधिकार भले ही औरत और उसके परिवार का हो लेकिन हम इस बात से भली भांति परिचित हैं कि शायद गर्भपात को पाप समझकर आपकी बेटी, बहन या पत्नी गर्भपात कभी ना कराए या वो चाहें भी तो कोई उसे रोक दे। इसलिए हम सभी को इस गंभीर विषय को गंभीरता से ही समझना होगा और इस कानून का सही पाठ पढ़ना होगा।
एक बात जिसे आप सभी को ध्यान में रखना चाहिए कि भारत में गर्भपात को कानूनी मान्यता प्राप्त है। भारत में गर्भपात यानि अबॉर्शन को लेकर ऐसी कई बातें हैं जिनकी सही जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। सभी लोगों को, चाहे वह आदमी हो या औरत इन्हें समझ लेना चाहिए कि कानून किन-किन परिस्थितियों में आपको गर्भपात की अनुमति देता है।
इस कानून का मकसद मां की जिंदगी को अधिक प्राथमिकता देना है। क्योंकि कई परिस्थितियों में मां की जान को ख़तरा हो सकता है या हो सकता है कोई महिला बच्चे को जन्म ना देना चाहे। महिला अगर किसी भी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से मां बनने के लिए तैयार नहीं है तो क़ानून के यह नियम उसे स्वयं पर ध्यान देने का मौका देते हैं।
गर्भपात के दो तरीके हैं जो सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं एक तो गोली के ज़रिए और दूसरा सर्जरी के माध्यम से। अगर कम समय के गर्भ को समाप्त करना हो तो उसके लिए अधिकतर गोली का ही इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अगर सर्जरी के माध्यम से गर्भपात कराया जा रहा है तो ध्यान रहें कि किसी अच्छे डॉक्टर की देख-रेख में ही यह सुनिश्चित हो। हममें से अधिकतर लोगों को लगता है कि गर्भपात भविष्य में आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करना है। तो यह ध्यान रखिए कि ऐसा नहीं होता। इसलिए ऐसी कोई भी शंका या भ्रम से खुद को सतर्क रखने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टरों की ही मदद लें। गर्भपात एक औरत को भावनात्मक रूप से अवश्य ही प्रभावित करता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप खुद की जान ही ले लें।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) के कुछ आंकड़ों के अनुसार भारत में होने वाले दो तिहाई गर्भपात अवैध और असुरक्षित तरीकों से या तो घर में किये जाते हैं या फ़िर गैर-कानूनी रूप से चल रहे दवाखानों में गैर पेशेवर लोगों के द्वारा। यही वजह है कि भारत में गर्भपात के दौरान हर साल 4600 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है (हर दो घंटे में एक महिला की मौत) और कई औरतों को ज़िंदगी भर के लिए स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं। यह हालात उस देश में हैं जहां गर्भपात ना केवल वैध है बल्कि सरकारी अस्पतालों में आसानी से यह अच्छे डॉक्टर्स की देख-रेख में किया जाता है।
कभी भी आपको लगे कि गर्भपात की आख़िरी रास्ता हो तो उसपर तुरंत की कार्यवाही शुरू कर दें और डॉक्टर से जाकर सही जानकारी हासिल करें और सुरक्षित गर्भपात सुनिश्चित करें । गर्भपात को एक कलंक समझना, इसकी वैधता की अनभिज्ञता और विस्तृत यौन शिक्षा का अभाव होने की वजह से हमारे देश में इतने सारे असफल गर्भपात किये जाते हैं। अगर आप यौन स्वास्थ्य के बारे में खुल कर बात करेंगे और अपनी जानकारी अपनों से साझा करेंगे तो एक तरह से आप गर्भपात से जुड़ी दकियानूसी सोच को बदलने में अपना सहयोग दे रहे हैं।
मूल चित्र : Canva Pro
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