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छोड़ दो! अब ये जताना कि तुम मेरे हो! ना जाने, कब से? सिमटा-सिमटा सा है! मन मेरा सालों से, तरसा-तरसा सा है!
मन मेरा, उदास सा है। ना जाने, क्यूं? कुछ है, दिल में जो, बताना चाहती हूँ।
ना जाने, कब से? भरा-भरा सा है। मन मेरा सालों से, डरा-डरा सा है।
तुम मेरे नहीं हो। फिर भी, न जाने क्यूं? याद आते हो। भूल जाने की कोशिशें, जारी हैं। बस! तुम फिर, याद ना आना।
ना जाने, कब से? बिखरा-बिखरा सा है। मन मेरा सालों से, उखड़ा-उखड़ा सा है।
छोड़ दो! अब ये जताना। कि तुम मेरे हो। मुझे, हर बात पर समझाना! कि जैसा है, सब ठीक है।
ना जाने, कब से? सिमटा-सिमटा सा है। मन मेरा सालों से, तरसा-तरसा सा है।
अब! पूछा ना करो, मेरा हाल। बता ना पाऊंगी। वैसे! बताने को बहुत है। पर बता पाना, मुश्किल है।
ना जाने, कब से? छूटा-छूटा सा है। मन मेरा सालों से, टूटा-टूटा सा है।
मूल चित्र:Canva
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