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आज कल कौन करता है मदद या कौन पूछता है कि क्या हुआ या तुम को क्या परेशानी है। आज भी मैं अपनी 10 साल की बेटी को देखती हूँ तो वो सरदार जी याद आ जाते हैं।
ये बात कुछ 20 साल पहले मेरे बचपन की है, मैं करीब 10 साल की हुआ करती थी। माँ मुझे बाज़ार अंडे लाने भेजती थी। मैं जाती थी पर जो अंडे बेचते थे वो सरदार अंकल थे और उनकी उम्र करीब 60 के आस पास या उससे भी ज़्यदा होगी और वे बिल्कुल सफेद पजामा कुर्ता, सफेद पगड़ी, चमकता हुआ लाल चेहरा आज भी मुझे याद है और मैं उनसे करीब 6 अंडे लेकर जाती थी। वो पेपर के बैग में देते थे। मैं जल्दी -जल्दी घर जाती कि अंडे रख के खेलने जाऊंगीं। लेकिन 1-2 अंडे टूट जाते फिर मैं घर जाने की बजाए उन के पास जाती और उनसे बोलती कि 2 अंडे फूट गए मम्मी गुस्सा होंगी, फिर मैं रोने लगती।
वो बोलते “कोई गल नई बेटा जी, मैं दे देता हूँ।” मैं उनसे लेती और घर चली जाती। कई बार ऐसा हुआ, वो हमेशा खुश हो कर देते। हम कुछ साल बाद वहाँ से कहीं दूर चले गए। आज कौन करता है मदद या कौन पूछता है कि क्या हुआ या तुम को क्या परेशानी है। आज भी मैं अपनी 10 साल की बेटी को देखती हूँ तो वो सरदार जी याद आ जाते हैं।
मूल चित्र : Photo provided by the author
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