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अब बस और नहीं!

जब तक आप अपने लिए आवाज़ नही उठाओगे तब तक आपको दबाया जाएगा, मारा जायेगा। अब बस आपको तय करना है... 

जब तक आप अपने लिए आवाज़ नही उठाओगे तब तक आपको दबाया जाएगा, मारा जायेगा। अब बस आपको तय करना है… 

नोट : विमेंस वेब की घरेलु हिंसा के खिलाफ #अबबस मुहिम की कहानियों की शृंखला में पसंद की गयी एक और कहानी!

“बहू, इधर आ… देखो तो इस मुदित ने आज फिर सुसु कर दिया, मेरे बिस्तर पर। अभी तो मैंने साफ धुली हुई चादर बिछाई थी और अभी इसने गंदा कर दिया।”

“पूनम रसोई से भागते हुए आयी और बोली मांजी अभी मैं साफ कर देती हूँ।” इतना कहकर पूनम ने अपने आटे से भरे हाथों को धोया और अपने बेटे को गोदी में लेकर चली गयी।

तभी शोभा जी पुनम की सास बोल पड़ी, “अब इसके कपड़े बदलने में ज्यादा समय मत खराब करना। जल्दी से करो, अभी तुम्हारे पापा जी भी आते होंगे दोपहर के खाने का समय हो रहा है और तुम तो जानती हो अपने पापा का गुस्सा… खाना समय पर ना मिले तो कितने गुस्से में आए जाते है।”

“हाँ जी मम्मी जी, मैं अभी गयी और आई।”

लेकिन 1 साल का मुदित रोने लगा। उसे भूख लग रही थी, पूनम उसे दूध पिलाने लगी।

तभी बाहर से ससुर जी ने आवाज़ लगाई, “पूनम बहू अभी तक तुम ने खाना नही बनाया। तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरे दुकान से आने से पहले ही तुम खाना बना दिया करो लेकिन एक तुम हो जिसे कुछ भी समझ नही आता।”

पूनम ने अपनी सास की तरफ देखा कि शायद वो उसके लिए कुछ बोलेंगे लेकिन उसकी सास ने पूनम को ही भला बुरा कहना शुरू कर दिया। “पता नहीं सारा दिन रसोई में क्या करती रहती है? इतना तो कोई बड़ा घर भी नहीं है हमारा सिर्फ 3 कमरे का ही तो है।  इतना काम तो कोई कर लेगा। लेकिन पूनम बहू से नहीं होता।”

“जब देखो कोई न कोई बहाना रहता है इसके पास… जब देखो बहू मुदित के साथ ही खेलती रहती है इसको घर की कोई चिंता नही है।  हम ही गरीब घर की लड़कीं लाये… सोचा था बहू हमारी सेवा करेगी लेकिन ये तो सुनती ही नहीं है। शायद इसके माँ पिता ने यही सीख दी है कि अपने पिता समान ससुर को खाना भी समय पर मत दो।”

आज तो पूनम की सास चुप ही नहीं हो रही थी। ये तो रोज की बात बन गयी थी। हर छोटी सी बात को लेकर सास उसको सुनाय बिना नहीं रहती और उसके ससुर भी उसे गालियाँ देते थे लेकिन

आज पूनम ने सोच लिया कि अब बस और नहीं।

चुप रहने वाली पूनम बोल पड़ी, “आप सही कह रही हो सासू माँ इस घर में काम ही कितना है… सफाई, झाड़ू, बर्तन धोना, कपड़े धोना, रसोई के काम और ऊपर से अपने बच्चे को भी देखना। और मुझे तो आप लोग काम करने के लिए लाये थे। आपको बहू नहीं एक बिन पगार वाली बाई चाहिए थी, जो बिना कुछ बोले सिर्फ काम करती रहे। यदि आप सब मेरा साथ देते तो कितना काम आसान हो जाता लेकिन नहीं।”

“यह घर सिर्फ मेरा नहीं है… सबका है। यदि एक दिन मुझ से खाना नहीं बना तो आप भी बना सकते थे… लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।”

इतना कहकर पूनम ने अपने रोते हुए बेटे को अपने सीने से लगाया और रसोई की तरफ चल पड़ी खाना बनाने के लिए…

सच ही तो है दोस्तों जब तक आप अपने लिए आवाज़ नही उठाओगे तब तक आपको दबाया जाएगा, मारा जायेगा। ये आपको तय करना है कि आप अपने ऊपर होने वाले अत्याचार को कब तक सहन करते हो और उसके खिलाफ बोलते हैं। अन्याय को करने वाला दोषी है तो उस अन्याय को सहन करना वाला भी कम दोषी नही है। तो आज ही अपनी सोच को बदलिए और अपनी आवाज़ खुद बनिए।

मूल चित्र : Deepal Tamang via Unsplash

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