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मैं बस एक बार अपने बच्चे को देखना चाहती थी लेकिन…

 कोई कष्ट नहीं होता! यह बात मैंने कई बार सुनी थी। मुझे अब इसी दर्द के साथ जीना था हमेशा के लिए जीना था, बिना शिकायत के।

कोई कष्ट नहीं होता! यह बात मैंने कई बार सुनी थी। मुझे अब इसी दर्द के साथ जीना था हमेशा के लिए जीना था, बिना शिकायत के।

अस्पताल का गलियारा गर्भवती महिलाओं से भरा था। ब्लीच की पूरी गंध मुझे असहज महसूस करा रही थी। डॉ अनीता वर्मा ने अपने केबिन में प्रवेश किया। मैं एक नियमित जांच के लिए उनके पीछे कैबिन मे गई।

“बच्चा बिल्कुल ठीक लग रहा है”, उन्होंनें एक मुस्कान के साथ कहा। सोनोग्राफी स्क्रीन की ओर इशारा करते हुए, “खूबसूरत छोटे छोटे हाथ देख रही हो?” मैंने सिर हिलाया और मुस्कुराई पर मैं खुश नहीं थी।

वह मेरे अंदर सांसें लेकर अपनत्व का आभास करा रहा था पर मैं उसे चाह कर भी अपना नहीं पा रही थी। हफ़्तों गुज़र जाने के बाद, मैं महसूस कर सकती थी कि बच्चा अन्दर हिल रहा है। आठ घंटों की नींद के बाद भी मैं रोज थकान का अनुभव करती थी। मेरे पेट को एक इंच से एक इंच बढ़ने के साथ असुविधा को सहन करना मुश्किल हो रहा था।

हर गुजरते दिन मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा। मैं अधीर होती जा रही थी और वह दिन आ ही गया और कष्टदायक दर्द बारह घंटे से अधिक चला। मैं घंटों जोर लगाती रही। अथाह दर्द और धीरे-धीरे मै अचेतन होती गई।

कुछ घंटे बाद जब मैं अपनी चेतना में वापस आई तो मैंने कमरे के चारों ओर देखा, “क्या हुआ लड़का है या लड़की? “मैंने पूछा। लेकिन डॉक्टर ने कुछ भी खुलासा नहीं किया। मैं रोती रही गिड़गिड़ाती रही। एक बार अपने बच्चे को देखना चाहती थी जिसे नौ महीने मैंने अपने पेट में रखा था।

“ये आपका चेक है इसे बैंक में जमा कर के आप पैसे निकाल सकती हैं। आप एक दिन में घर वापस जा सकती हैं, तब तक बस आराम करें।” कोई कष्ट नहीं होता! यह बात मैंने कई बार सुनी थी। मुझे अब इसी दर्द के साथ जीना था हमेशा के लिए जीना था, बिना शिकायत के।

आज मेरे पति की सर्जरी करने के लिए मेरे पास पर्याप्त पैसे हैं। पिछले एक साल से वो बिस्तर पर हैं और जिनके ऑपरेशन के लिए मुझे पैसों की जरूरत थी। सभी रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया मेरे पास कोई चारा नहीं था सिवाय सेरोगेसी के।

सब कुछ ना कुछ बेचते हैं, मैंने अपनी कोख। कुछ जटिलताओं के कारण, डॉक्टर ने कहा, मैं अब बच्चा पैदा नहीं कर पाऊंगी। नम आंखों के साथ डगमगाते हुए कदमों से मैं अपने घर की ओर चल दी। हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं शायद एक नजरिए से मैं एक अच्छी मां नहीं हूं। एक ऐसी मां जिसने अपनी कोख बेच दी पर मैं अपने पति के लिए यही कर सकती थी।

मूल चित्र : nazar_ab from Getty Images Signature via Canva Pro 

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Meenakshii Tripathi

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