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कौन गलत कौन सही, अब ये कहना मुश्किल था…

उन्होंने तो मना कर दिया मगर क्या अवि गलत था या नैना? दोनों को उसकी खुशी प्यारी थी मगर उन्हें लगता था जब इतना वक्त  गुजर गया है तो...

उन्होंने तो मना कर दिया मगर क्या अवि गलत था या नैना? दोनों को उसकी खुशी प्यारी थी मगर उन्हें लगता था जब इतना वक्त  गुजर गया है तो…

“अम्मा! दस रुपए से मेरे लिए एक चाकलेट खरीद देना…”

“हाँ बिटिया! हम जा तो रहे हैं दुकान, ले लेना अपना चाकलेट।”

“अम्मा! तुम बड़े साहब के घर खाना बनाने जाती हो, वहाँ से केक बनाना क्यों नहीं सीख लेतीं?”

उसकी बात पर उसकी अम्मा हंस पड़ी, “अरे बिटिया! बहुत सामान लगता है। हमको तो याद भी नहीं रहेगा।” अम्मा ने बहलाना चाहा।

“अम्मा! आज मेरा बड्डे है, तो क्या तब भी तुम केक…”

“अरे चलो देर हो जाएगी। अभी बड़े साहब के घर भी तो जाना है ना”, नैना उन दोनों माँ बेटी की बातों को बहुत गौर से सुन रही थी। उसे एकदम से अपनी मम्मी याद आ गयी। कैसे उनका दुपट्टा पकड़ कर चलती थी वो। पापा हंसते, “तुम तो मम्मी की पूंछ हो?”

माँ और बाबा दोनों ही उससे बहुत प्यार करते थे, मगर बाबा बहुत जल्दी सबको छोड़ कर चले गए। एक एक्सीडेंट ने उन्हें सबसे दूर कर दिया। मम्मी तो जैसे खत्म ही हो गईं, मगर फिर भी उन्होंने नैना और अवि को किसी चीज की कमी नहीं होने दी। वो नैना और अवि के स्कूल में ही पढ़ाने लगीं।

उससे नैना और अवि को भी मम्मी के बिना नहीं रहना पड़ता था। मगर मम्मी अन्दर से बहुत उदास बहुत खाली हो गयीं थीं। हंसने की कोशिश करतीं, तो उनके अंदर का खालीपन उनके हंसी मे आ जाता। फिर एकदम से खामोश हो जातीं। नैना और अवि को उनका उदास चेहरा अच्छा नहीं लगता इसलिए वो कोशिश करतीं थीं उनकी वजह से बच्चे परेशान ना हों।

ऐसे ही वक़्त आगे बढ़ गया और बच्चे काफी समझदार और बड़े हो गए इसलिए तो एक दिन अवि ने नैना से कहा, “नैना! मेरे दोस्त के पापा हैं, वो भी हमारी मां की तरह एकदम अकेले हैं। क्यों ना हम मम्मी और अंकल की…” उसने बात अधूरी छोड़ कर उसे देखा।

नैना का दिल धक से रह गया, “तू पागल हो गया है?”

“तुम समझने की कोशिश करो। कुछ सालों बाद तुम्हारी शादी हो जाएगी और मैं भी…पता नहीं आगे क्या लिखा है…और तुम ही बताओ जब एक आदमी पत्नी के जाने के बाद दूसरी शादी कर सकता है तो औरत क्यों नहीं? हम दोनों  को मिलकर माँ को समझाना होगा।”

उसने उसे समझाना चाहा मगर पता नहीं क्यों नैना का दिल मान ही नहीं रहा था। इस उम्र में शादी? वो भी अवि के दोस्त के पापा के साथ? सब क्या कहेंगे? कितना ताना देंगे? और अवि जो अभी बहुत उछल रहा है, यही खुद से नज़र नहीं मिला पाएगा। दुनिया तो यही कहेगी, ‘माँ ने अकेले बच्चों को पालकर बड़ा कर दिया और जब बच्चों की बारी आई तो कैसे बच्चों ने पल्ला झाड़ लिया…’

“नहीं! नहीं! माँ को भी तो सब उल्टा पुल्टा बोलेंगे। मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊँगी।” दिन रात उसके दिमाग़ ने बस यही सब चलने लगा था। मम्मी को तो कुछ पता नहीं था इसलिए उसको परेशान देखकर बार-बार पूछतीं, मगर वो टाल जाती।

एक दिन अवि ने नैना से पूछा, “तुमने बात की माँ से?”

“नहीं! मेरे अंदर हिम्मत नहीं है…जब मैं खुद को तैयार नहीं कर पा रही हूँ, तो माँ…?”

“मैं जानता हूँ ये हमारे लिए बहुत मुश्किल है, मगर अपनी माँ के लिए हम इतना नहीं कर सकते? उन्होंने हमारे लिए इतना किया है, क्या हमारा फर्ज नहीं है कि हम उनके हिस्से की खुशी उनको दें?” उसने हर कीमत पे नैना को मनाने की कोशिश की।

“नहीं! मेरा दिल नहीं मान रहा है। तुमको कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मगर मुझे बहुत बुरा लग रहा है। मैं हमेशा मम्मी के साथ रहूंगी। तुम चाहो तो हमें छोड़ कर चले जाना…”, वो बोलते बोलते रुक गई।

“नहीं यार! तुम समझ नहीं रही हो…देखो ये फैसला मम्मी का ही होगा। मम्मी अगर मना कर देंगी तो हम उन्हें  मजबूर नही करेंगे और तुमको क्या लगता है मैं उन्हें छोड़ दूंगा? कभी नहीं। बस मैं तो उनकी खुशी के लिए बोल रहा था…”

वो दोनों ही फैसला नहीं कर पा रहे थे कि मम्मी से कैसे मनाएं। मगर मम्मी ने उनकी बातें सुन ली थी और उन्होंने एकदम मना कर दिया। उनका कहना था वो नैना के पापा की जगह किसी और को नहीं दे सकतीं इसलिए इस बारे में फिर कभी कोई बात ना करे।

उन्होंने तो मना कर दिया मगर क्या अवि गलत था या नैना? दोनों को मां की खुशी प्यारी थी मगर मम्मी को लगता था जब इतना वक्त  गुजर गया है, फिर जो जिंदगी बची है, उसे क्या वो अकेले नहीं गुज़ार सकतीं बिना मर्द के? अगर बच्चे उनके साथ नहीं भी रहेंगे तो भी वो अकेले रह लेंगी।

क्या उनका फैसला सही था? अवि का फैसला सही था? नैना ने सही किया? इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

मूल चित्र : Michel DeLeon from Getty Images via Canva Pro 

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