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और अब सबसे कठिन सवाल, ‘मम्मी आज खाने में क्या बनेगा…’

अब मैं रोज-रोज नए नए पकवान कहाँ से लेकर आऊं इसके लिए? रोज रोज नया खाना बनाना, अलग अलग सब्जियां बनाना तो मुसीबत बन गया है।

अब मैं रोज-रोज नए नए पकवान कहाँ से लेकर आऊं इसके लिए? रोज रोज नया खाना बनाना, अलग अलग सब्जियां बनाना तो मुसीबत बन गया है।

“मम्मी, आज खाने क्या बना रहे हों?” पीहू ने पूछा।

“बेटा मूंग की दाल और रोटी।”

“क्या है मम्मी! आप तो रोज-रोज दाल बना देते हो”, पीहू न गुस्से में कहा।

“अरे मेरी लाड़ो रानी अभी पिछले एक सप्ताह से तुम्हारे दादू की तबियत खराब है। खाँसी जुकाम के कारण गला खराब है तो डॉक्टर ने उन्हें हल्का खाना खाने को कहा है।”

“तुम्हारी दादी ने कहा है कि सबके लिए सिंपल तड़के वाली दाल बनाया करो। तुम्हारे पापा को भी तो कल से खांसी हो रही है। अब जब घर मे पापा और दादू बीमार हो तो रोज दाल और खिचड़ी ही बनेगी न।”

“अच्छा ये तो अभी की बात है लेकिन कितने दिनों से हमने राजमा, कड़ी, पनीर और चिकन भी नहीं बनाया है। और अब तो अंडा भी नहीं देते आप? आप अब कुछ अच्छा नहीं बनाते।”

“अरे बेटा, अब क्या करूँ ? अभी सावन का महीना चल रहा था तो उसमें कड़ी नहीं बनाते और अब पितृपक्ष शुरू हो गया इसमें चिकन और एग करी नहीं बनाते। अब आगे नवरात्रों में दुर्गा माँ की पूजा करेंगे तो खाने में लहसुन और प्याज नही खायेंगे।”

“मम्मी आप बहुत गंदे हो… मुझे खाना नहीं खाना आज। मैं टीवी देख रही हूँ। आप चले जाओ। मैं गुस्सा हूँ आप से?”

पीहू चुपचाप टीवी देखने लगे जाती है।

सुनीता रसोई में आकर बर्तन साफ कर रही है और सोच रही है कि ‘अब मैं रोज रोज नए नए पकवान कहाँ से लेकर आऊं इसके लिए? रोज रोज नया खाना बनाना, अलग अलग सब्जियां बनाना तो मुसीबत बन गया है। इस यूनिवर्सल समस्या का कोई इलाज नही है।

अपने बच्चों और घर के बुजुर्गों की सेहत को भी नजरअंदाज नही किया जा सकता लेकिन अब अपनी बेटी को ऐसे उदास नहीं देख सकती।’ तो उसने सोच लिया की इस समस्या से निपटने के लिए वह आज से अपने परिवार वालो के लिए अलग और अपनी बेटी के लिए खाना बनायेगी जिससे दोनों को कोई परेशानी भी नहीं होगी।

तभी कुकर की सीटी बज उठी अपनी विचारों में खोयी हुई सुनीता भी जाग गयी और अपनी बेटी की मनपसंद पनीरभुर्जी की तैयारी करने लगी।

सही कहा है हम औरतों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है कि खाने में क्या बनेगा किसी को घीया, टिंडा पसंद है, तो किसी को राजमा, दाल। तो किसी को डोसा तो कोई चिकन का दीवाना है। इन सब की फरमाइश को पूरा करने में ही हमारी पूरी जिंदगी निकल जाती है फिर भी रोज यही सवाल रहता है कि आज खाने में क्या बनेगा?

क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?

मूल चित्र : SnowWhiteimages from Getty Images via CanvaPro

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