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निर्भया हो, हैदराबाद, उन्नाव या हाथरस…क्या फर्क पड़ता है!

मजाक का विषय, शारीरिक अंगों का भंडार, यही है इस देश में हर औरत की पहचान। और ऐसी मर्दांगी की बातें करने वाले मर्द हमारे बीच ही पनपते हैं। 

मजाक का विषय, शारीरिक अंगों का भंडार, यही है इस देश में हर औरत की पहचान। और ऐसी मर्दांगी की बातें करने वाले मर्द हमारे बीच ही पनपते हैं। 

चलिए कोई धार्मिक बात करते हैं? किसी धार्मिक स्थल के बारे में बात करते हैं?

नहीं?

ठीक है, तो आप का सबसे प्रिय विषय राजनीति के बारे में बात करते हैं – कौन सी पार्टी? कौन सा नेता?

चलो, बड़ा मजा आएगा, एक दूसरे को नीचा दिखाएंगे, नाम-उपनाम देंगे, कुछ चुटीला सा संवाद अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखेंगे, जिससे हाहा के रिएक्शंस आयेंगे। कुछ तर्क-कुतर्क करने के लिए कमेंट, फेसबुक पर गुट बनाएंगे या फेसबुक ग्रुप या और भी निजी करने के लिए व्हाट्सएप ग्रुप!

ओहो! अब जो हमारे संवेदनशील कुछ लोग हैं उनको ये विषय पसंद नहीं आता है…

चलो सेक्सुअल मीम शेयर करते हैं

तो खाने के बारे में बात करते हैं? या कुछ फ़ेसबुक चैलेंज खेल लेते हैं? यह भी फालतू है? तो चलिए कोई सेक्सुअल मीम शेयर करते हैं? या अपनी अर्धांगिनी पर कोई व्यंग?

सारे दोस्त फेसबुक पर मजा मस्ती करने के लिए होते हैं। ये बात कौन करता है फेसबुक पर? हम तो भाई सिर्फ मजे लेने आते हैं लोगों के। हम ठहरे रसिया। हम आते हैं सिर्फ औरतों के प्रोफाइल पिक्चर देखने और उन पर कमेंट करने और ये बताने कि मैं किस किस के साथ घूमा था या मजे लिए थे तेरे भाई ने, क्या कहते हो?

अरे रेप!

इसके ऊपर ना हम बात करेंगे और जितना हो सकेगा नजरअंदाज करेंगे क्योंकि हम मर्द हों या औरत, शायद अंदर ही अंदर हम इसे अपना चुके हैं। हमारा खून हर बात पर खौलेगा लेकिन कोई बहन बेटी जब चौराहे पर नीलाम हो रही होगी तो हम आंख फेर कर निकल जाएंगे।

सिर्फ ‘लड़की’ नहीं…विशेषण भी तो चाहिए

अब कमाल का खेल होने लगा है, किसी लड़की का रेप नहीं होता, अब हमें उसके आगे ‘विशेषण’ लगाना पड़ता है –

#दलितलड़कीकारेप
#डॉक्टरलड़कीकोरेपकेबादजिंदाजलाया
#मुसलमानलड़कीकीइज्जतकोकियातारतार
#नाबालिगलड़कीकाशवरेपकेबादखेतमें
#हिंदूलड़कीकारेप

हैं? लड़की का वजूद होता है क्या?

क्योंकि यहां भी लड़की के वजूद को ‘साइलेंस’ की तरह इस्तेमाल करना है। राजनीति की दुकान चलती रहनी चाहिए भाई साहब!

किसी लड़की का रेप हुआ है, यह महत्वपूर्ण नहीं है। उसकी जात, उप जात, आय, वर्ग, यह सब महत्वपूर्ण है, क्योंकि मरने वाला तो मर गया लेकिन उसकी हड्डियों से कम से कम बाकियों के चूल्हे जलते रहने चाहिए।

न्याय की तो बात आप भूल ही जाइए। कोई कानून आएगा, ऐसा जहां किसी लड़की के जिस्म को हाथ लगाने से पहले एक इंसान की रूह फना हो जाए ऐसा होने वाला नहीं है…

अरे ‘लड़की ही ऐसी’ होगी!

निर्भया हो, हैदराबाद, उन्नाव या हाथरस…क्या फर्क पड़ता है!

लड़की का ही कोई दोष होगा? कम कपड़े पहने होंगे, रात को बाहर निकल गई होगी, किसी मर्द को साथ नहीं ले गई होगी, बदचलन होगी!

हां 6 साल की बच्ची बदचलन हो सकती है, कुछ तो ऐसा पहना ही होगा उसने कि स्त्री-अंग जो उसके पास हैं भी नहीं है वो भी उसके कमीज के गले से बाहर झांक रहे होंगे। जिसे देखकर किसी की मर्दानगी इतनी जाग गई होगी कि उसको सबक सिखाना बहुत जरूरी हो गया होगा।

मर्दांगी औरत पर ही तो निकालेंगे

यही है हमारी समाज की सच्चाई जहां मां-बहन की गाली देना आम बात है, जहां बीवी का मजाक उड़ाना और सबका उस पर ठहाके लगाना एक आम बात है।

जहां मर्दों को लगता हो कि औरत को सबक सिखाने के लिए वो अपने पुरूष-अंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं, “भेज दे अपनी मां-बहन को मैं सिखाता हूं उनको”, “तेरी मां गई थी या तेरी बहन गई थी?” “तेरी मां को **” सरेआम सोशल मीडिया पर लिखना, मर्दानगी का सबूत हो, वहां आम जिंदगी में लड़की के जिस्म या आत्मा की क्या कीमत होगी?

और औरतों का वही रवैया चुप रहना क्योंकि हमें घर या जॉब से ही फुर्सत नहीं है, आंखें बंद! मुंह बंद! इस विषय पर बात करना भी बेकार ही लगता है क्योंकि “ये तो चलता है” और “किस-किस को सुधारेंगे”

मेन विल बी मेन

मेन विल बी मेन (Men will be Men) बोलने से पहले सोच लीजिएगा। क्या सच में मर्दानगी इसे ही कहते हैं? जहां आपके खून में धर्म और राजनीति को लेकर उबाल आने लगते हैं, वही किसी बच्ची बहन बेटी की प्रताड़ना आपकी आत्मा को नही झिंझोड पाती…

‘माइनॉरिटी?’ वो हैं हम औरतें

हिंदुस्तान में अगर कोई ‘माइनॉरिटी’ है तो, वो हैं हम। चाहे हम महिलाएं किसी भी धर्म या जात से हों, हमारी आवाज हमारी परेशानी हमारी प्रताड़ना है किसी भी समाज, वर्ग ,धार्मिक या राजनीति दल को सुनाई नहीं देती, क्योंकि शायद अभी भी हम वोट बैंक नहीं है इसके लिए!

मजाक का विषय, शारीरिक अंगों का भंडार यही है हमारी पहचान…

रेप करने वाला कोई भी हो, किसी भी जात धर्म या वर्ग से हो, उसके लिए किसी भी तरीके की सामाजिक धार्मिक या राजनीति संरक्षण देना बंद करें। लड़की होना गुनाह जैसा महसूस करना बंद करें और असली गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और समाज में औरतों को बराबर का सम्मान। 

शुरुआत आपको करनी होगी। बाहर से कोई नहीं आएगा समाज को बदलने के लिए। तो अगली बार जब आप अपने मुंह से मर्दानगी का सबूत देने के लिए कोई ऐसी बात निकालें, जो महिला की मर्यादा को खंडित करती हो, तो याद रखिएगा नींव की ईट रखने वालों में से आप भी एक हैं!

मूल चित्र : VSanandhakrishna from Getty Images Signature via Canva Pro

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