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मेरी लंदन शहर की यात्रा एक सपना सच होने जैसा थी!

लंदन शहर की यात्रा कर पर्यटक उस की रम्यता में इतने लीन हो जाते हैं कि वहां से वापस आने का दिल ही नहीं करता। मेरा भी यही हाल था...

लंदन शहर की यात्रा कर पर्यटक उस की रम्यता में इतने लीन हो जाते हैं कि वहां से वापस आने का दिल ही नहीं करता। मेरा भी यही हाल था…

मेरे बेटे आकाश को जब आईटी कंपनी ने दो वर्ष के लिए किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में लंदन भेजा तो उसके मन में आया कि क्यों नहीं इस अवसर का लाभ मुझे और मेरे पति को भी लंदन बुला कर उठाने दे। उसको पता है कि मुझे नई-नई जगहों में घूमना और जानकारी लेने का बहुत शौक है।

थेम्स नदी के किनारे बसा लंदन शहर

थेम्स नदी के किनारे बसा दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश की राजधानी लन्दन, जो कभी पूरी दुनिया पर शासन किया करता था और जिसके साम्राज्य में कभी सूरज अस्त नहीं होता था, अब हर देश से पर्यटक वहाँ उस विक्टोरियन युग के वैभव की झलक देखने जाते हैं। फोब्स ने दुनिया के दस घूमने लायक शहरों में लन्दन को दूसरा स्थान दिया है।

पहले लंदन दूरी का पर्याय था

हमें  बुलाने के लिए आकाश ने औपचारिकताएं पूरी करने की कार्यवाही आरम्भ की तो मैं एक अनूठे रोमांच से भर गयी, क्योंकि पहले जमाने में तो लंदन शहर को दूरी का पर्याय मान कर किसी सुखद सपने के सच होने जैसा दुर्गम माना जाता था।

जब भी पास में रहने वाला कोई व्यक्ति किसी से मिलने में असमर्थता दिखाता था तो यही कटाक्ष सुनने को मिलता था, “हाँ… तुम्हें तो लन्दन से आना है ना!” किसी का घर दूर होने पर उसकी तुलना लन्दन से की जाती थी, “अरे… उसका घर तो लन्दन में जाकर है!” ऐसे ही और भी बहुत से उदाहरण हैं।

अब लंदन दूर नहीं

पहले अपना कोई प्रियजन लन्दन जाता था तो उससे संपर्क करने का एकमात्र साधन डाक द्वारा ही होता था, जिसको पहुँचने में कम से कम 15 दिन लगते थे, लेकिन अब नई टेक्नोलॉजी द्वारा इन्टरनेट की सुविधा ने यह दूरी पाट दी है। इन्टरनेट के ज़रिये लन्दन में बैठे अपने किसी प्रियजन से किसी भी समय बात कर सकते हैं, वीडियो कॉल से उनको और उनकी गतिविधियों को देख सकते हैं और पल-पल उनके संपर्क में रह सकते हैं।

पहले धनाढ्य लोगों की पहुँच के विपरीत अब आम जनता की भी पहुंच आसान हो गई है

सन् 2000 से पहले लन्दन जाना धनाढ्य लोगों की पहुँच तक ही सीमित था, लेकिन जबसे लन्दन की कम्पनियाँ भारत में खुल गई हैं, तबसे उन कपनियों में कार्यरत युवाओं के लिए लन्दन आना-जाना आम बात हो गई है और यदि वे लन्दन की कंपनी में वहीं रहकर कार्यरत हैं, तो उनके वहां रहने और कंपनी से मोटी रकम सैलेरी में मिलने के कारण वे बड़ी आसानी से अपने परिजन को अपने पास 6 महीनो के लिए बुला सकते हैं, इसीलिये वहां भारतीय पर्यटक प्रत्येक वर्ष भारी तादाद में देखने को मिलते हैं।

पर्यटकों के लिए 6 महीने का ही वीजा प्राप्य

लंदन शहर जाने के लिए पासपोर्ट और वीजा बनवाने की आवश्यकता होती है। पासपोर्ट तो हमारा पहले से ही बना हुआ था। वीजा प्रक्रिया के लिए वीजा कार्यालय में आवेदन करने के बाद उनके द्वारा एक तारीख निश्चित की गई। वहां पर प्रस्तुत करने के लिए आकाश ने अपने बैंक अकाउंट, कंपनी से मिलने वाली सैलरी का दस्तावेज और हमें  बुलाने के लिए आवेदन पत्र मेरे ईमेल पर भेजा। हमने भी अपने बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी के दस्तावेज सब एक साथ संलग्न किये, इसमें से एक भी दस्तावेज कम हो जाने पर वीजा निरस्त करने में वे एक मिनट भी नहीं लगाते, इसलिए ये सारे दस्तावेज बहुत सावधानी से तैयार किये गए, उसके बाद वीजा ऑफिस से स्वीकृति मिल जाने पर हमने लन्दन जाने की तैयारी करनी आरम्भ कर दी। जिस तारीख को वीजा स्वीकृत होता है, उसी तारीख के बाद से 6 महीने तक हम लन्दन में रह सकते हैं।

लंदन शहर में व्हील-चेयर की सुविधा

सभी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट एरिया में विशाल होने के कारण और हमें सारी औपचारिकतायें पूरी करने में परेशान न होना पड़े, इसलिए हमारी अवस्था को देखते हुए आकाश ने हमारे लिए व्हील-चेयर के लिए आवेदन किया था। हमने कहा कि जब हमें चलने में कोई दिक्कत नहीं है तो व्हीलचेयर किस लिए? उसने हमें समझाया कि व्हीलचेयर की सुविधा सिर्फ विकलांगों के लिए नहीं होती, कोई भी जानकारी ना होने की अवस्था में भी इस सुविधा को लिया जा सकता है, वरिष्ठ नागरिक के लिए यह बहुत लाभदायक है।

लंदन का हीथ्रो, विश्व का तीसरा व्यस्ततम हवाई अड्डा

हमने जून के महीने में एमिरेट्स एयरवेज द्वारा हैदराबाद से दुबई के लिए विमान से साढ़े 3 घंटे की यात्रा की। दुबई के एयरपोर्ट पर पहुँचते ही व्हीलचेयर के लिए हमें थोड़ा  इंतज़ार करने के लिए कहा गया। हमें लन्दन के लिये दूसरी उड़ान के लिए  तीन घंटे प्रतीक्षा करनी थी। उड़ान का निश्चित समय होने से कुछ समय पहले ही हमें व्हीलचेयर से सारी औपचारिकतायें पूरी करवाते हुए उड़ान में पहुंचा दिया गया। दुबई के विशाल एयरपोर्ट की साफ़-सफाई और रख-रखाव देखकर बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी। उसके बाद सात घंटे की हवाई यात्रा करके हमारा विमान लन्दन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर उतारा, जो विश्व का तीसरा व्यस्ततम हवाई अड्डा है। हम लन्दन के एयरपोर्ट पर खड़े हैं, यह एहसास ही मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था। एयरपोर्ट से निकलने में सारी औपचारिकतायें पूरी करते-करते दो घंटे लग गए। कुल मिला कर हमारी यात्रा सुविधापूर्वक पूरी हो गई। एयरपोर्ट के बाहर आकाश हमारा इंतज़ार कर रहा था।

लंदन शहर में सार्वजनिक यातायात

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ जब आकाश ने बताया कि हम इतने अधिक सामान के साथ ट्रेन से जायेंगे, लेकिन एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही प्लेटफॉर्म आ गया और तुरंत ही ट्रेन भी प्लेटफॉर्म के समतल  आकर रुक गई और हमें अन्दर जाने के लिए किसी असुविधा का सामना नहीं करना पडा। ट्रेन के अन्दर की सुव्यवस्था ने मेरी सारी थकान दूर कर दी। आकाश ने बताया कि वहां सार्वजनिक यातायात की सुविधा इतनी अच्छी होने और पार्किंग कठिन और महंगी होने के कारण वहां बहुत कम लोग अपनी गाड़ी रखते हैं और कैब लेना भी बहुत महँगा पड़ता है।

पैदल चलने के लिए सड़कें सुविधाजनक

मुझे भी वहां रहते हुए यह अनुभव हुआ कि जब सार्वजनिक यातायात की सुविधा इतनी अच्छी है तो क्यों नहीं उस पर ही निर्भर रहा जाए। घर से एक किलोमीटर की दूरी के अन्दर ही लोकल ट्रेन के लिए प्लेटफॉर्म, बस-स्टैंड, मार्केट, मंदिर होने के कारण और सड़क के दोनों ओर पैदल चलने वालों के लिए पटरियां, साफ़-सुथरी, खूबसूरत सड़कें और ट्रैफिक बहुत कम होने के कारण पैदल चलना बहुत सुविधाजनक लगता था और सबसे अच्छी बात यह कि पैदल चलने से हम स्वस्थ और चुस्त रहते हैं।

लंदन शहर में सड़क पर सभी वर्गों के लोगों की सुविधा का ध्यान

लंदन शहर में सड़क को क्रॉस करने के लिए उसके दोनों ओर और बीच में चिन्ह बने हुए थे, कोई भी सवारी गाड़ी किसी को भी पैदल सड़क क्रॉस करते देखकर रुक जाती है। छोटे बच्चों को वहां के लोग प्रैम में बैठा कर घूमने या स्कूल ले जाते हैं। बड़े बच्चे 2 या 3 पहिये की पैर से चलाने वाली गाड़ी, जिसको वहां स्कूटर कहा जाता है, से स्कूल या कहीं आस-पास जाते हैं। इनकी सुविधा के लिए सड़क और पटरी को स्लोप द्वारा जोड़ा गया है, जिस पर आसानी से चढ़ा या उतरा जा सकता है। वृद्ध या विकलांग व्हील चेयर पर बैठे लोगों के लिए भी यह बहुत सुविधाजनक है। हर आयु और हर स्थिति के लोगों की सुविधा का वहां ध्यान रखा जाता है, जिससे कि वे बिना किसी सहारे के आत्म-निर्भर होकर अपने दैनिक कार्य-कलाप कर सकें। आत्म-निर्भरता तो उन्हें बचपन में ही घुट्टी में पिला दी जाती है।

हर एरिया में ‘हाई स्ट्रीट’ नाम से मार्केट

लंदन शहर के हर एरिया में ‘हाई स्ट्रीट’ नाम से मार्केट होते हैं, जहां दैनिक आवश्यकताओं की प्रत्येक वस्तुएं बिकती हैं और जिसको लोकल मार्केट कहते हैं। यहाँ पर हर ब्रांड की दुकानें होती है, जहाँ  पर आप हर तरह की शॉपिंग कर सकते हैं। हर हाई स्ट्रीट में ‘क्वालिटी फ़ूड’, नाम से इंडियन स्टोर होते हैं, जिसमें ताज़ी सब्जियां और अनाज आदि मिलता है। ‘प्राइममार्क’ नाम के स्टोर में कम दाम के कपड़े और व्यक्तिगत वस्तुओं के अतिरिक्त घर के साज-सजावट से सम्बंधित वस्तुएं भी बिकती हैं। वहां ‘आसदा’, टेस्को आदि नाम से दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बड़े-बड़े स्टोर भी बहुतायत में होते हैं। जो अधिकतर चौबीस घंटे खुले रहते हैं।

लंदन शहर में हर देश के तरह-तरह के बहुतायत में खाने के रेस्तरां

लंदन शहर में हर देश के तरह-तरह के खाने के रेस्तरां हैं, जिसके बाहर भी कुर्सियों पर बैठे लोग खाने के साथ बातों में मशगूल दिखाई पड़ते हैं। इस मार्किट में पटरियों पर और सड़क की बीच लकड़ी और लोहे की बैंचें बनी होती हैं, जिस पर बैठ कर लोग अपने प्रियजनों से बातें कर सकते हैं, आते-जाते लोगों को देखने का आनंद ले सकते हैं।

खरीदारी करना थकाने वाला नहीं, रोमांचक लंदन शहर

लंदन शहर में खरीदारी करके थकने के बाद बैचों पर बैठ कर आराम कर सकते हैं। मैं प्राय: उन पर बैठ कर लन्दन में रहने वालों और घूमने आये हुए भारतीय लोगों से बातचीत करके और अनेक देशों के लोगों के भिन्न-भिन्न रंग-बिरंगी पोशाकों को देख कर रोमांचित होती रहती थी। इस मार्केट में बस और कारों का आवागमन निषेध होता है। बस बच्चों के प्रैम और स्कूटर ही दिखाई देते हैं। वहां बच्चे साइकिलों की सवारी भी बहुतायत में करते हैं और उनके स्टैंड भी हर जगह देखने को मिलते हैं। अलग तरह की सजी हुई बैटरी से चलने वाली साइकिल रिक्शा भी कई स्थानों पर देखने को मिल जाती हैं।

लंदन शहर का अनिश्चित मौसम

लंदन शहर अपने मौसम के लिए प्रसिद्द है, ऐसा मुझे भी अनुभव हुआ, घर से निकलते थे यह देख कर कि धूप खिली हुई है, लेकिन निकलने के बाद बारिश के साथ ठंढी हवा के झोंकों से कब मौसम का मिजाज बदल जाए कुछ पता नहीं चलता, इसलिए एक दिन में ही चारों मौसम का अनुभव करना वहां आम बात है। वहां लोग मौसम का पूर्वानुमान देख कर घर से निकलते हैं फिर भी कई बार मौसम का मिजाज अचानक बदल सकता है। इसलिए लोग घर से चलते समय हर मौसम की तैयारी के साथ निकलते हैं।

भयंकर सर्दी के लिए प्रसिद्द लंदन शहर

लन्दन में मैंने देखा कि सर्दियों के मौसम में दोपहर में ही 3 बजे के लगभग अँधेरा हो जाता है और बारिश के साथ इतनी शीत लहर चलती है कि वहां का दैनिक जीवन प्रभावित होने से नहीं बचता। जितने महीने ऐसा मौसम रहता है, लोग हीटर जलाकर घर में ही कैद रहने के लिए मजबूर हो जाते हैं। नौकरी, स्कूल या मजबूरी के लिए ही अतिरिक्त कपड़े पहन कर घर से बाहर निकला जाता है। जीवन जैसे ठहर सा जाता है।

गर्मी का मौसम सुहावना

इसके विपरीत गर्मियों में रात के दस बजे तक सूरज की रोशनी रहती है। इसीलिये वहां गर्मी के मौसम का बहुत स्वागत होता है। मौसम का लोगों के मूड पर भी बहुत असर होता है। गर्मी में भी गर्मी का एहसास नहीं होने के कारण घरों में कूलर, एसी तो दूर की बात है, पंखे तक दिखाई नहीं पड़ते हैं लेकिन पिछले 2-3 वर्षों से ग्लोबल वार्मिंग के कारण वहां गर्मी पड़ने लगी है, जिससे बचने के लिए घरों में प्रबंध होने लगे हैं।

बहुभाषी लंदन शहर

बस में, ट्रेन में और सड़कों के अतिरिक्त अन्य सभी स्थानों पर हिंदी बोलते हुए लोगों को देखकर बड़ा अपनापन सा लगता था, महसूस ही नहीं होता था कि हम लंदन में घूम रहे हैं। यहां पर अंग्रेज़ी मूल भाषा होने के अतिरिक्त 300 अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं, यहाँ की जनसँख्या का एक चौथाई से अधिक भाग विदेशी मूल का है, इसलिए इसे मिश्रित संस्कृति वाला शहर माना जाता है।

लंदन शहर में ना तो बच्चों के भविष्य और रिटायरमेंट के बाद जीवन

लंदन शहर के निवासियों का कहना है कि वहां पर ना तो बच्चों के भविष्य की और ना ही अपने रिटायरमेंट के बाद के जीवन की चिंता करने की आवश्यकता है, क्योंकि बच्चों के करीयर बनाने में सरकार की ओर से निःशुल्क शिक्षा दी जाती है और 18 वर्ष के हो जाने के बाद उनके आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने में भी सरकार का पूरा योगदान होता है। चिकित्सकीय सुविधा भी निःशुल्क है।

रिटायरमेंट के बाद भी सरकार अपने नागरिकों को यातायात से लोकल कहीं आने-जाने के लिए निःशुल्क पास तथा चिकित्सकीय सुविधा के साथ आवश्यकता पड़ने पर उनके अस्वस्थ होने पर घर में उनका ध्यान रखने के लिए नर्स का भी इंतजाम करती है। वहां के एक डॉक्टर ने हमें बताया कि कोई भी बीमार ना हो इसके लिए पहले ही वार्षिक स्वास्थ्य निरीक्षण द्वारा सावधानी बरती जाती है क्योंकि बीमार पड़ने पर चिकित्सा के खर्चे का भार सरकार को वहन करना पड़ता है।

सरकारी सुविधाओं के कारण आत्मनिर्भरता

सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं के कारण किसी को भी अपने परिजन पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। यही कारण हैं कि भारतीय लोग जब वहां के निवासी हो जाते हैं, वे रिटायर्मेंट के बाद भी अपने परिजन के पास लौटना नहीं चाहते। यह जान कर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि बहुत सारे अभिभावक लन्दन में और उनके बच्चे भारत में रहते हैं। युवा वर्ग भी जब तक वहां की कंपनी उनको वहां रहने की अनुमति देती है वहीं रहना चाहते हैं।

लंदन शहर में लोग जीवन जीते हैं काटते नहीं

मैंने पाया कि लंदन शहर में  व्यक्तिगत स्वतंत्रता होने के कारण लोग बहुत सुकून से रहते हैं। भारत में अधिकतर लोग कि “लोग क्या कहेंगे?” की मानसिकता के अनुसार जीते हैं, वहां लोग अपने व्यक्तिगत सोच के अनुसार जीते हैं। वहां लोग जीवन जीते हैं और यहाँ लोग जीवन काटते हैं।

गर्मी के मौसम में ही पर्यटकों का जन-सैलाब

गर्मियां आरम्भ होते ही लोग कहीं भी घूमने जाने का प्रोग्राम बनाकर घरों से निकल पड़ते हैं। वहां के लोग धूप के लिए तरसने के कारण धूप वाले दिनों को सनी-डे कहते हैं और उसका भरपूर लाभ उठाने के लिए सड़कों पर नंगे बदन भी दिखाई पड़ते हैं। दूसरे देशों से पर्यटक भी गर्मी के मौसम में ही लन्दन आना पसंद करते हैं। मैं यह देखकर हैरान थी कि जहां भी घूमने जाते थे, वहां लोगों का मेला सा दिखाई पड़ता था।

सभी देशों के लोगों के साथ भारतीय पर्यटक भी बहुतायत में दिखाई पड़ते थे। हमारे जून के महीने में वहां होने के कारण लंदन का मौसम अत्यंत सुहावना था। वातावरण में हलकी-हलकी ठंडक थी, जबकि आकाश में धूप खिली हुई थी, जो मन को आनंदित कर रही थी। मार्ग की दृश्यावलियां इस आनंद को दोगुना कर रही थीं। मैंने देखा नगर के मुख्य भाग में तो बहुमंजिली इमारतों की बहुतायत है लेकिन वहां के उपनगरों में मकान अधिकतर दोमंजिले हैं।

लंदन शहर में प्रसिद्द दर्शनीय-स्थल

लन्दन में बहुतायत में प्रसिद्द दर्शनीय स्थल हैं, जिनको हम ट्रेन द्वारा या बस द्वारा देखने निकल जाते थे। मुझे यह देख कर बहुत आश्चर्य हुआ कि वहां ट्रेन के लिए भूमिगत प्लेटफार्म का जाल सा बिछा हुआ है। जहां सीढ़ियों के अतिरिक्त एस्केलेटर, लिफ्ट और ढलान वाले रास्ते से आ-जा सकते हैं। बच्चों के प्रैम, व्हील चेयर में बैठे विकलांगों के लिए बस में और ट्रेन में चढ़ने उतरने के लिए तथा अन्दर बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे नवजात शिशु को भी प्रैम में बैठा कर कहीं भी घूमने जाना कठिन नहीं है और विकलांग भी बिना किसी सहारे के कहीं भी जा सकते हैं।

लंदन शहर के कुछ दर्शनीय-स्थल

  • ब्रिटिश म्यूजियम

आप जान कर हैरान रह जायेंगे कि ब्रिटिश म्यूजियम में 80 लाख से भी अधिक वस्तुएं प्रदर्शन के लिए रखी गयीं हैं। यहाँ आप एक ही छत के नीचे दुनिया की सभी संस्कृतियों की झलक एक साथ देख सकते हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय है।  इन महत्‍वपूर्ण वस्‍तुओं में सबसे लोकप्रिय एल्गिन मार्बल, रोसेटा स्टोन, दुनिया की सबसे पुरानी ममी ‘जिंजर’, लिंडोमेन आदि शामिल हैं। ब्रिटिश म्यूजियम हफ्ते के सातों दिन खुलता है और यहां पर प्रवेश निःशुल्क है।

  • ब्रिटिश लाइब्रेरी

ब्रिटिश लाइब्रेरी का केवल साहित्‍यिक ही नहीं ऐतिहासिक महत्‍व भी है। यहां पर कई साहित्यिक पुस्तकें और कई पांडुलिपियां रखी गई हैं, जैसे एलिस इन वंडरलैंड, द नोटबुक ऑफ़ जेन ऑस्टेन,  चारलोते ब्रोंटे की जेन आयर की पांडुलिपि, ओस्कर विल्दे की द बलाद ऑफ़ रीडिंग गओल, मेग्ना कार्टा, अ गुटेनबर्ग बाइबल, कोडेक्स सिनईकस, विलियम शेक्सपियर का ऑटोग्राफ, आर्थर सुलेवान द्वारा तैयार किया गया ओरिजनल म्‍यूजिक स्कोर आदि। इसी तरह यहां बनी स्थायी प्रदर्शनी गैलरी हेंडल और बीथोवन द सर जॉन रितब्लात में 200 से अधिक वस्तुओं को प्रर्दशन हेतु रखा गया है। यह गैलरी भी पूरे सप्ताह निःशुल्क खुली रहती है।

  • मैडम तुसाद वैक्‍स म्‍यूजियम

लन्दन में ही ‘मैडम तुसाद वैक्‍स म्‍यूजियम’ है जो मोम की मूर्तियों का विश्‍व प्रसिद्ध संग्रहालय हैं। इसकी विश्व के कई प्रमुख शहरों में शाखायें भी हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार ‘मेरी तुसाद’ ने की थी। इस संग्रहालय में विश्व के सभी सैलीब्रेटीज़ के मोम से बने पुतले देखने को मिलेंगे। भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमिताभ बच्‍चन, शाहरुख खान और सलमान खान सहित कई बॉलीवुड एक्‍टर्स और कई अन्‍य भारतीय सेलिब्रटीज की भी मोम की मूर्तियां लगाई गई हैं।

  • विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय

‘केंसिंग्टन में विक्टोरिया’ और ‘अल्बर्ट संग्रहालय’ सजावटी कला और डिजाइन की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा संग्रहालय माना जाता है। इसमें करीब 4.5 मिलियन वस्तुओं का स्थायी संग्रह है। इस संग्रहालय का नाम ‘प्रिंस एल्बर्ट’ और ‘क्वीन विक्टोरिया’ के नाम पर रखा गया है। इसकी स्थापना 1852 में की गई थी और यह करीब 12.5 एकड़  क्षेत्र में फैला हुआ है। इसमें 145 गैलरियां हैं। इसके संग्रह में प्राचीन काल की यूरोप, उत्तरी अमेरिका, एशिया और उत्तरी अफ्रीका की संस्कृतियों से आयी 5000 साल पुरानी कलाकृतियां मिलती है, जो लगभग हर क्षेत्र से संबंधित हैं। यहां भी प्रवेश निःशुल्क है।

  • टावर ऑफ़ लंदन म्यूजियम

थेम्स नदी के उत्तरी तट पर  स्थित ‘टावर ऑफ़ लंदन’ ब्रिटेन की महारानी का ऐतिहासिक महल और शाही किला है। लंदन के इतिहास में इसका बहुत ज्यादा महत्व रहा है। इस पर कब्ज़े का मतलब देश पे कब्ज़ा करना समझा जाता था। टावर ऑफ़ लंदन के अंदर ही इंग्लैण्ड के राजपरिवार का मुकुट (क्राउन ज्वेल्स) रखा गया है। क्राउन ज्वेल शब्द का इस्तेमाल शाही परिवार की उन सब वस्तुओं को समझने के लिए किया जाता है जिन्हे शाही परिवार पहनता था जैसे, तलवारें, म्यानें, कपड़े, ताज, सिंघासन, मुकुट इत्यादि। यही वो जगह है जहाँ आपको मशहूर कोहिनूर हीरा देखने का मौका मिलेगा। इस का निर्माण 11वीं शताब्दी में थेम्स नदी के उत्तरी तट पर किया गया था। नौका द्वारा थेम्स नदी की सैर करते समय ‘टावर औफ लंदन’ का सुंदर नजारा देखा जा सकता है। यह लंदन की अत्यंत लोकप्रिय पर्यटनस्थली है। इसके पास ही में एक प्रसिद्ध टावर ब्रिज भी है, जिसे अक्सर बाहर से आने वाले पर्यटक लन्दन ब्रिज समझ लेते हैं।

  • संग्रहालयों का शहर

लन्दन को संग्रहालयों का शहर कहा जाये तो गलत नहीं होगा, क्योंकि उपरलिखित संग्रहालयों के अतिरिक्त यहाँ नैशनल गैलरी, नैचुरल हिस्टरी म्यूजियम, विज्ञान संग्रहालय, डॉकलैंड्स म्यूजियम, ब्रांड्स म्यूजियम आदि और भी प्रसिद्द संग्रहालय हैं। ये संग्रहालय और कई बिल्डिंग जहाँ पुरातन संस्कृति की धरोहर हैं, वहीं लन्दन की आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैश जीवन शैली नवीनता का द्योतक है। लंदन की विशेषता यह है कि यहां पर आधुनिकता के प्रवेश के बावजूद प्राचीन स्वरूप को भी बना कर रखा गया है।

  • टावर ब्रिज

टावर ब्रिज थेम्स नदी पर  2 ऊंचे-ऊंचे स्तंभों को जोड़ कर बना हुआ खूबसूरत पुल है, जिस का निर्माण वर्ष 1894 में हुआ था। पुल का निचला हिस्सा 2 भागों में खुल जाता है, जिस के बीच से हो कर बड़ी-बड़ी नौकाएं और जहाज इत्यादि पुल के नीचे से पार हो जाते हैं। लंदन ब्रिज के ऊपरी भाग से वाहन व पदयात्री निकलते हैं और उस के नीचे से नौकाएं व जहाज। टावर ब्रिज के निकट ही थेम्स नदी पर एक और पुल भी स्थित है जिस का नाम लंदन ब्रिज है। ये दोनों पुल भिन्न हैं। लंदन ब्रिज की अपनी अलग ऐतिहासिक महत्ता है।

  • लंदन आई

‘लंदन आई’ शहर के बीचों बीच, थेम्स नदी के तट पर लगा हुआ एक विशालकाय  झूला है। 135 मीटर ऊंचाई व 120 मीटर व्यास वाला यह झूला दुनिया का एक नया अजूबा है। इस का निर्माण 2000 में, किया गया था। 19 वर्षों के बाद भी ‘लंदन आई’ पर सैर करने के इच्छुक लोगों की भीड़ कम होने का नाम नहीं लेती है। इस में पारदर्शी पदार्थ के अंडाकार 32 डब्बे लगे हैं। एक डब्बे में 25 लोगों के बैठने की व्यवस्था होती है, जिसमें बैठ कर आप 30 मिनट की सवारी में पूरे लंदन का 360-डिग्री का नज़ारा देख सकते हैं। इसे रात को देखना अलग ही रोमांच देता है क्योंकि इसे लेड लाइट्स से सजाया गया है, जिसके अद्भुत आभा बिखेरने के कारण इसकी छटा अतुलनीय हो जाती है।

  • विंडसर कैसल

विंडसर कैसल एक शाही महल है जो कि बर्कशायर इंग्लिश काउंटी के विंडसर में है। यह महल अपनी वास्तुकला और शाही परिवार के महल होने की वजह से बहुत मशहूर है।

  • बकिंघम पैलेस

‘बकिंघम पैलेस’ यूनाइटेड किंगडम के लंदन के ‘वेस्टमिंस्टर’ शहर में स्थित है। यह पैलेस ब्रिटिश राजशाही का आधिकारिक निवास स्थान है। साथ ही यह राजमहल राजकीय आयोजनों और शाही अतिथियों का केंद्र है। यह भवन आज के महलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस महल को 1703 ई॰ में ‘ड्यूक ऑफ बकिंघम’ ने बनवाया था। उसने लंदन में रहने के लिए इसे घर के तौर पर बनवाया था। परंतु 1837 ई॰ में पहली बार क्वीन विक्टोरिया ने इस महल को अपना घर बनाया। वह महल में रहने वाली पहली महारानी थीं। ये महल वर्तमान में महारानी की निजी संपत्ति नहीं है क्योंकि इस पर मालिकाना हक ब्रिटिश सरकार का है। बकिंघम पैलेस में पहली बार साल 1883 में बिजली आई थी और आज इस शानदार महल को रोशन करने के लिए 40 हजार बल्बों का इस्तेमाल होता है। बकिंघम पैलेस में कुल 775 कमरे हैं जिसमें से 52 शाही कमरे हैं। यह महल लंदन के सबसे बड़े महलों में से एक है जिसका कुल क्षेत्रफल 77 हजार वर्ग मीटर है। 2015 नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बकिंघम पैलेस में महारानी एलिजाबेथ से मिले थे। यह महल राष्ट्रीय खुशी और राष्ट्रीय संकट दोनों वक्त पर ब्रिटेन और ब्रिटेन के लोगों का इतिहास बताता रहा है।

  • स्टोनहेंज

स्टोनहेंज एक प्रीहिस्टोरिक मोन्यूमेंट है, यह दुनिया के सबसे मशहूर स्मारकों में से एक है। इसका निर्माण 3000 बीसी से 2000 बीसी  के बीच हुआ था।

  • साउथ हॉल

लंदन का साउथ हौल इलाका तो ‘छोटा पंजाब ’ के नाम से ही मशहूर है। यहां पहुंच कर ऐसा लगता है जैसे दिल्ली के चांदनी चौक या करोल बाग में आ गए हों। यहाँ का मंदिर और गुरुद्वारा मशहूर है, जहां दूर-दूर से लोग आते हैं। यहाँ के रेस्तरां में सभी प्रकार के पंजाबी और अन्य भारतीय खाने का स्वाद, जिसको लेने के लिए लन्दन के कोने-कोने से लोग आते हैं और खाने के साथ पंजाबी और  हिंदी गाने सुनने का आनंद भी लेते हैं।

  • वेम्बली

मैं लन्दन में ‘वेम्बली’ जाकर हैरान हो गयी, जिसे  लन्दन का ‘छोटा गुजरात’ कहा जाता है। यह बंबई का सान्ताक्रुज़ जैसा महसूस हो रहा था। वेम्बली में रहने वाली 70%  जनसंख्या गुजराती हैं। इंडियन स्ट्रीट फ़ूड में गुजराती खाने-पीने की वस्तुओं से सड़कें सजी दिखाई दे रही थीं। भारत में उपयोग में लाए जाने वाले मसाले, अचार, दालें व रसोई की विभिन्न सामग्री भी दुकानों पर आसानी से मिल जाती है। लन्दन में यही एक ऐसी जगह है, जहां गाउन से लेकर पार्टी में पहनने वाले हर प्रकार के भारतीय फैशन के कपड़े बिकते हैं। यहाँ पहुँच कर लगा ही नहीं कि हम लन्दन में हैं। यहाँ लन्दन का एक मशहूर चर्च भी है।

 लन्दन में देशी माहौल

लंदन में भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश और श्रीलंका के लोगों की बहुतायत है। जगह-जगह पर साड़ियाँ, सलवारकुरते पहने महिलाएं, पगड़ी पहने सिख और भारतीय भाषाओं में बात करते लोग दिख जाते हैं। हर धर्म के पूजा स्थल भी बहुतायत में देखने को मिलते हैं। सभी भारतीय निवासी अपने देश के त्योहारों को और रीति-रिवाजों को मिलजुलकर मनाते हैं। यहाँ पर क्रिसमस भी अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्द है, जिसे देखने दूसरे देशों से भी लोग आते हैं। लन्दन में भारतीय फिल्मों की शूटिंग बहुतायत में होती है। सैलीब्रेटीज़ अपने इलाज के लिए भी यहाँ आना पसंद करते हैं।

लंदन शहर में पैदल चलने की परम्परा

यहाँ किसी भी स्थान पर भ्रमण करने के लिए पैदल बहुत चलना पड़ता है, लेकिन जगह-जगह सड़क के बीच या किनारे विश्राम करने को लिए बैंच बने हुए है। बहुतायत में लोगों को पैदल चलते हुए देख कर चलना भी रोमांचक लगता है।

बेहतर सुविधाओं के कारण युवा-वर्ग  को लन्दन-पलायन आकर्षित करता है

लंदन शहर जा कर पर्यटक उस की रम्यता में इतने  लीन हो जाते हैं कि वहां से वापस आने का दिल ही नहीं करता। मेरा भी यही हाल था, लेकिन पर्यटक को तो अनुमोदित समय सीमा में वापिस आना ही होता है। मैं भी वहां की सुखद यादों के साथ भारत वापिस आ गयी। काश! हमारे देश की सरकार भी नागरिकों को वहां की तरह सुविधाएँ देती तो किसी भी युवा को लन्दन-पलायन आकर्षित नहीं करता। हमारे जैसे माता-पिता को भी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनको लन्दन भेजने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता लेकिन वहां जाकर हमें इस उम्र में आत्मनिर्भर रहने की प्रेरणा मिली, यह भी कोई कम उपलब्धि नहीं है।

मूल चित्र : Elly Fairytale via Pexels

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